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vinnigharami2236
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Vinni Gharami

ना किसी के आने की खुशी,ना किसी के जाने का गम। जिंदगी का हर पल,ऐसे ही जी रहे हम।

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Vinni Gharami

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Vinni Gharami

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Vinni Gharami

 #pain
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Vinni Gharami

अपने शौक के लिए भगवान को बदनाम करते हो,
स्वयं मद्यपान कर महाकाल का नाम करते हो।।
सारे सावन झूम रहे तुम नशे में,
पूछो तो कहते शिव का प्रसाद है इसमें।।
बहुत शौक है नीलकंठ बनने का तो,
सिंह खाल पहने वन में विहार करो।।
भांग में शिव दिखते है तो,
विष भी पिया करो।।
अपनी सुविधा के अनुसार ईश्वर का भी,
चरित्र वर्णन स्वयं करते हो।।
शर्म करो नशेड़ीयो निराकार है जो,
उसमें धुँए का आकार भरते हो।
महाकाल के नाम से,
गुंडागर्दी और चिलम फूंकते हो।।
तुम क्या जानो महिमा अर्धनारेश्वर की,
चरणों में था स्त्री का स्थान उसे अपने शरीर में शरण दी।।
**यदि कविता मेरी भा जाए तो एक निवेदन मेरा रख लो,
चिलम फूंकती तस्वीरों का बहिष्कार कर कृपानिधि को  वश में कर लो।।** #shiv#ka#charitra
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Vinni Gharami

मिट्टी का तन,क्षण भर जीवन
छूटे ना अहम।।

            _मानव परिचय #maanav #parichaya
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Vinni Gharami

देश की सीमा पर तैनात, मस्ती में जीवन,
तिरंगे में लिपटा तन।।
पर्वत सा धैर्य आकाश सा विशाल ह्रदय,
बस इतना सा है उन देशभक्तों का परिचय।।
अपने लिए तो सब जीते हैं,
कुछ दीवाने थे जो हमारे लिए मर गए।।
सुहाग बना रहे सुहागनो का,
यह वचन देकर अपनी दुल्हन को विधवा कर गए।।
अनगिनत बहनों की रक्षा कर,
अपनी ही बहन कि राखी अधूरी कर गए।।
रातों में हमारे मां-बाप चैन की नींद ले,
बस यही वजह है कि वे अपने मां बाप का चैन ले गए।।
मरते तो सब है दौलत शोहरत या मोहब्बत पर,
जो मर मिटे वतन पर वो शहीद बन गए।।
नमन है उन वीरों को जो अपनी मां की गोद सूनी कर,
भारत मां के आगोश में सो गए।।
कारगिल युद्ध में खून से सींचा वतन की मिट्टी को,
जान देकर अपनी एक बार फिर हमको ऋणी कर गए।। #kargilvijaydiwas
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Vinni Gharami

चेहरे पर तेज ऐसा,
विष्णु के  चक्र जैसा।
आंखों में अग्नि,
मानो महाकाल की करनी।
जनेऊ धारी मूछों पर ताव,
सरल था उस युवक का भाव।
हे वीर तुम आजाद हो आजाद थे और आजाद ही रहे,
तुम्हारी शौर्य गाता हरदम युवाओं में जोश भरते रहे।
सूर्य का प्रकाश बने तुम,
चंद्र सा उजास बने तुम।
इस उजड़े हुए गुलशन के,
गुल बने तुम।
जन्मे इस मिट्टी पर हमारे लिए,
आजादी का पाठ पढ़ाकर शहीद बने तुम।
हे वीर पुरुष क्या वीरगाथा लिखूं तुमपर,
गुलामों की तरह जी रहे हम तुम तो मरे भी आजाद बनकर।
हाथों की पिस्टल कनपटी पर रखा,
अपनी अंतिम गोली पर अपना ही नाम लिखा।
बोले तुम गुलामी की बेड़ियों में मैं नहीं रहूंगा,
अपने हाथों मरना मंजूर लेकिन मैं तानाशाही नहीं सहूंगा। 

"मित्रों आप को आजाद की आजादी मुबारक हो,
राष्ट्रीय हित के लिए जन्मे राष्ट्रपुत्र की जन्मतिथि मुबारक हो" #rashtraputra_Azad(shradhanjali)
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Vinni Gharami

#OpenPoetry मां कहती हैं .....
मुझे फरिश्तों की कहानी,
अच्छी नहीं लगती।

शहजादो का यूं मेरी शहजादी....
ले जाने की दलीले,
अच्छी नहीं लगती।

सब रुखसत कर रहे थे....
तो मुझे भी रुख़सती करनी पड़ी,
वरना मुझे बेटियों की विदाई अच्छी नहीं लगती।



                         __मां के अल्फाज #maa_ke_alfaaz
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Vinni Gharami

#OpenPoetry हमने उस शहर में कलेजा निकाल दिया,
जहां लोग दिलो से खेलते रहे।

शायद हम ही नासमझ थे......
                         जिन्हें चीखे सुनने की फुरसत नहीं,
                        एक मुद्दत से उन्हें शेर सुनाते रहे। #bazm_e_shayari
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