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कुमार जितेन्द्र

मैं नौकरी पेशा हूँ और समसमयिक क्षणिकाएँ, मुक्तक, कविता और कहानी लिखने पढ़ने का शौकीन हूँ।

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कुमार जितेन्द्र

डूबते देख ना घबराना,

कल सुबह मैं फिर आऊंगा,

नई जोश, उल्लास लिए ।

©कुमार जितेन्द्र
  #सुबह
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कुमार जितेन्द्र


इंतजार में बेकाबू,
मेरा दिल धड़क रहा है
तेरे आने से पहले,
बरसात आ गई

©कुमार जितेन्द्र
  # दिल

# दिल #लव

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कुमार जितेन्द्र

सिर्फ़ इंतज़ार होता है
कब वक्त इजाज़त दे कि 
दो एक हो जाएं

©कुमार जितेन्द्र
  # चाहत

# चाहत #शायरी

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कुमार जितेन्द्र

उसके साए को देखने की,
आदत सी हो गई थी
मिलने का मन बनाया,
तो रात हो गई
ज़िद थी या मोहब्बत,
दीदार-ए-यार करने की
तो आज सारे दिन,
बरसात हो गई

©कुमार जितेन्द्र
  # दीदार-ए-यार

# दीदार-ए-यार #शायरी

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कुमार जितेन्द्र

जाम का फ़रमान मैने,
कभी नही दिया
तूने आंखों से पिलाकर,
बदनाम कर दिया ।

©कुमार जितेन्द्र
  #फरमान
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कुमार जितेन्द्र

कई लोग आते हैं मगर
कोई पास नहीं आता




जब सामने आता हूं तो
लोग जाने नहीं देते ।

©कुमार जितेन्द्र
  लोग

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कुमार जितेन्द्र

हर हाथ उठाकर तिरंगा,
जब आसमान लहराते हैं
खुशियों की क्यारी रंग-बिरंगे,
फूल खिले मुस्काते हैं ।

©कुमार जितेन्द्र
  #गणतंत्र दिवस
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कुमार जितेन्द्र

आसमां में जो उड़ते परिंदे
अब नज़र आ रहे हैं हज़ारों
लाखों बलिदानों ने है बनाई
सबके उड़ने की राह -ए-आज़ादी 
उन सांसों की खुश्बू हवा में
हर कली को जिगर दे रही है
है नमन उन वीरांगना की बिंदिया
गाज़ बनके गिरी दुश्मनों पे

है नमन वीर तुमको वतन का
इस वतन की बहारें हैं तुमसे
है हिमालय से ऊंचा तेरा कद
तेरे दम से महकती फिजाएं
है नमन वीर .....

©कुमार जितेन्द्र
  # ,नमन

# ,नमन #कविता

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कुमार जितेन्द्र




तेरी इस नज़र में है
अब भी मेरी दुनिया ,
इशारा कर के देखिए 
कभी गर यकीं न हो ।

©कुमार जितेन्द्र
  @ नज़र

@ नज़र #लव

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कुमार जितेन्द्र

तिल है, गुड़ है 
गजक की मिठास है,
रंग बिरंगी पतंगे,
छूने को आकाश हैं ।

©कुमार जितेन्द्र @लोहड़ी # मकर संक्रांति

@लोहड़ी # मकर संक्रांति

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