ख़ाक हों जाऊं इस मिट्टी में
तब तुम होली मना लेना..
✍️..
बिभीषण गिरी, मुरुड
#holikadahan#कविता
एक शेतकरी बिब्या
प्रेम में सिर्फ़ सीमाओं की लकीर
अधिकतम संभोग तक ही टिकी हुई होती हैं..
जब की ढाई अक्षर वाला पवित्र प्रेम
वासना के बवंडर में जकडकर दम तोड देता है..
बिभीषण गिरी
#lovebeat#शायरी