जब बोल नहीं पाता हूं, तब लिख लेता हूं। जब समझ जाता हूं, मगर समझा नहीं पाता हूं, तब लिख लेता हूं। जब रोना चाहता हूं, मगर रो नहीं पाता हूं, तब लिख लेता हूं। जब दर्द को किसी से बयां नहीं कर पाता हूं तब लिख लेता हूं। जब भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाता हूं, तब लिख लेता हूं। जब भी कभी उदास होता हूं, तो बस लिख लेता हूं। बस जब भी कभी बोल नहीं पाता हूं, लिख लेता हूं।
samar Aryan