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mihirchoudhary7996
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मिहिर

मै और मेरे विचार रूठे है एक दूसरे से एक दूजे का साथ जो नहीं देते समय से

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मिहिर

White जबान खुल और बंद हो रहा है
बातें नहीं हो रही है
कोई कुछ बोल रहा है
सुन रहा हूं
जवाब दे रहा हूं
बस मैं बोल नहीं रहा
मेरी तरफ से कुछ भी नहीं हो रहा है 
बस जबान खुल और बंद हो रहा है
आवाज निकल रही है
बातें नहीं हो रही है 
ना किसी और ना खुद से
कुछ पूछ नहीं रहा
कुछ कह भी नहीं रहा
तो बस जबान खुल और बंद हो रहा है
बातें नहीं हो रही है !!

©मिहिर #बातें
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मिहिर

White ये क्या पूछा
ये बिंदी कैसी लगती 
ये साड़ी कैसी दिखती है
ये काजल ठीक तो लगते है  ना !

जो सच पूछो तो
ये जचना खिलना मत पूछो 
तुम बिंदी पर जँचती हो
तुम साड़ी पर खिलती हो
तुम काजल से तीखी हो
तुम सोने से ज्यादा चमकती हो 

तेरे होने से इनका होना है
तू हंसती है तो ये सोना है
तेरे आगे इनका क्या मोल 
अरे ओ बावली
तू क्या जाने तू अनमोल !!

©मिहिर #तू क्या जाने

#तू क्या जाने #कविता

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मिहिर

White जब देखना हो तुम्हे 
बस चांद देखता हूं
जब मिलना हो तुम्हें
पूरा आसमान देखता हूं
जब सुनना हो तुम्हें 
अपनी धड़कने गिनता हूं 
तुम हो चाहे जहां कहीं 
मेरे लिए तुम हो यहीं
यहीं कहीं बस यही कहीं !!

©मिहिर #तुम्हारा मिलना
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मिहिर

White जब देखता हूं तुम्हें 
क्या मैं तुम्हे ही देखता हूं !!
या जब तुम कहते हो कुछ
क्या मैं तुम्हे ही सुनता हूं 
ना....….... 
सच है ये की
तुम में भी खुद को ही ढूंढता हूं
सच है ये की
तुम से भी वही सुनना है 
जो है मेरे ही मन की आवाज है
सच हैं ये की
अन्दर और बाहर भी
खुद से खुद को ही ढूंढने की कश्मकश है
खुद से खुद को ही मिल पाने की आरज़ू है !

©मिहिर #आरज़ू
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मिहिर

सुनो हरसिंगार
है एक सवाल

वैसी क्यों हो तुम 
जैसे और सब नही
जैसे हैं ये सब
तुम वैसी क्यों नहीं 

और भी तो फूल है
खेलते है खिलते है
डालियों पर टिकते है
जब तक तोड़ें नही जाते 
डाली छोड़ते नही

पर तुम तो हो बिलकुल अलग 
खिल तो जाती हो
पर क्यों तुम रुक नही पाती
खुद ही डाली छोड़ जाती हो

क्या है ऐसा की
सब मोह में पड़े 
और तुम मोह से परे 

हरसिंगार क्यों हो तुम ऐसी ??

©मिहिर हरसिंगार

हरसिंगार #कविता

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मिहिर

White पहाड़ नदिया झरने और जंगल
सदियों लड़ें है हम इनसे 
हमे शहर बसाना था
काट कर ही जंगल और पहाड़
हमें अपना घर बनाना था
नही रहना था हमें
पेड़ शेर और सांपों के बीच
हमें था डर ये हमें मारेंगे
इस डर से
हमने जंगल को खेत बनाया
खेतों को उजाड़ गांव बसाया
गांवों को उखाड़ शहर बसाया
अब जब 
जंगल में जंगल का कुछ रहा नही
पहाड़ पर पहाड़ का कुछ बचा नहीं
फिर क्यों शहरो से निकलते हो
अपनी कुंठा भ्रम और तृष्णा को शांत करने 
मरे कटे कुछ कुछ बचे जंगल पहाड़ और झरनों में !!

©मिहिर #पहाड़
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मिहिर

White बहन

छोटी हो या बड़ी
जो थोड़ी थोड़ी सब होती है
"बहन होती है"
कभी मां
कभी बाप
कभी दादी
कभी दोस्त
थोड़ी थोड़ी सब होती है
"बहन होती है"
थोड़ी थोड़ी उलझी होती है
पर भाइयों के लिए 
पूरी ही सुलझी होती है
"बहन होती है"

©मिहिर #raksha_bandhan_2024
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मिहिर

White  कहानी

कितना कुछ उनसे है कहना
अंदर कितने किस्से अब भी
अंदर कई कहानी अब भी

जितना बाकी भी हो अंदर
कैसे करे बयानी फिर भी
दिल का ये दिल ही जो कह दे
कहनी नहीं जबानी कुछ भी

उसने भी तो कहा नहीं कुछ
कुछ उसको भी कहना होगा 
जाने क्या हो अंदर उनके
क्या कुछ होंगे उनकेकिस्से 
जाने क्या क्या कहानी होगी

मेरे उनके बीच सोच में
सोच सोच में पड़ी कहानी
सोच सोच कर हुई पुरानी !!

©मिहिर #कहानी
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मिहिर

White झूठ है

हार जाना जीत जाना
ईर्ष्या और घृणा करना
पूंजीवादी और धार्मिक होना
हिंसक और उग्र होना
और सब से बड़ा झूठ
बड़ा और सफल आदमी बनना 

तो सच है क्या !!

प्रेम करना 
करुणा रखना 
प्रकृति को जानना प्रकृति जैसा होना
अहिंसा को चुनना 
और सच है  आदमी बनना 
आदमी बने रहने की कोशिश करना

©मिहिर #सच है क्या

#सच है क्या #कविता

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मिहिर

White ये झूठ क्या है
हार और जीत
लोभ और घृणा
भाषा और धर्म
समाज और बाजार
और सफल आदमी होना

तो सच क्या है !!

प्रेम, करुणा
फूल, नदी 
पहाड़ और जंगल
प्रकृति
और आदमी होना

©मिहिर
  #love_shayari
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