Nojoto: Largest Storytelling Platform
anubhutigupta7647
  • 716Stories
  • 4.7KFollowers
  • 12.7KLove
    75.4LacViews

डॉ. अनुभूति

जन्मदिन 5 मार्च ✅खीरी कवि | कलाकार "घर में बल्ब कई हज़ार है, मगर बुझे हुए-से ख़्वाब है.."

http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

.चलो दर्द छुपा लेती हूँ 
फिर मुस्कुरा लेती हूँ 
एहसास है मुझको
झरने की बौछारों का 
समन्दर की पीर का
नदियों के नीर का
उसके कल-कल बहने का
पल - पल मरने का 
चलो अश्रु को बहा लेती हूँ 
कुऍं के जल को नमकीन बना देती हूँ
फिर मुस्कुरा लेती हूँ 
अपना दर्द छुपा लेती हूँ ..

सघन मेघ को
सोचा था थोड़ा रुला देती हूँ
मिट्टी की
महक को अपना लेती हूँ 
बारिश की 
बूँदों को पलकों पर सजा लेती हूँ 
फिर मुस्कुरा लेती हूँ 
अपना दर्द छुपा लेती हूँ .

दूरी का एहसास न हों
गले से लगा लेती हूँ 
हवाओं को बाहों में समा लेती हूँ 
साँसों में बसा लेती हूँ 
धड़कनों में प्रकृति को बसा लेती हूँ 
टूट कर न बिखर जाए
शायर रूठा है अपनी ग़ज़ल से
उसको मना लेती हूँ 
शहर की उदासी को
स्नेह नेत्रों में छिपा लेती हूँ 
फिर मुस्कुरा लेती हूँ 
अपना दर्द छुपा लेती हूँ ..

शाखों को स्नेह है मुझसे 
टूटे पत्तों को हथेली पर सुला देती हूँ
बेसब्र है चाँदनी 
उसकी शीतलता में नहा लेती हूँ 
तेज सूरज का 
मस्तक पर उठा लेती हूँ 
जहर जो है चन्दन के पेड़ों से लिपटा
उसको अपने कंठ में उतार लेती हूँ 
फिर मुस्कुरा लेती हूँ 
अपना दर्द छुपा लेती हूँ ...

©डॉ. अनुभूति
  #boat #poem #Poet
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

पाश !
मैंने देखा, लोग मरने के बाद
याद किया करते हैं,
जब साथ में
होते हैं, इतराते हैं, ठुकराते हैं..

पाश मुस्कुराते हुए बोले,
यही तो समझना था कि जो
मानसिक रूप से मर चुके हैं, उसे कौन मारेगा
जो हार चुका, दोबारा नहीं हारेगा..!

इसलिए तुमसे
हर बार कहता हूं, 
मैं उनके सब किए धरे पर घास सा उग आऊंगा..

©डॉ. अनुभूति
  #walkingalone
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

पाश !

इस शहर के लोग
जीते जी, अस्थि विसर्जन कर रहे हैं
संबंधों में, आ चुका है मोलभाव 

बढ़ती कीमतें
घटती संवेदनाएं
प्रश्नचिन्ह समर्पण
रूआसा दर्पण
लेकर, इमारतें चल रही हैं

मुझे यकीन है, अब
कोई, एक दूजे के करीब नहीं
नेत्रों में मित्रता नसीब नहीं

मानवता अंत पर है, और स्नेह 
गहरी खाई में डूब चुका..!

©डॉ. अनुभूति
  #motivate #poetry #poet #poetcommunity #trending
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

पाश !

ऐसा लगता है
लोग खुद से झूठ कहते हैं
वो अपनों के
जाने से पूर्व ही, भुला देते हैं 
उनका जीवित होना..

पाश ने मुस्कुराते हुए कहा:
लोग, अघोषित मृत है
वो शख़्स को तोलते हैं तराजू में 
और इतने भार के साथ
वह तराजू टूट कर ढह जाता है टुकड़ों में..

कहा था न
तुम्हारे सब किए धरे पर घास सा उग आऊंगा..!

©डॉ. अनुभूति
  #Poet #poetry #trending #nojotohindi
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

मैं कागज़ तू मेरी स्याही ज़रा
टांक दे मुझको, आसमां में यहां

करवटें बदलता मैं, दिन रात की तरह
मिलता हूं तुमसे, उलझी बात की तरह
जो ख़्वाब पिरोए सांझ के तन पर
वो खिलते हैं कैसे चांदनी के मन पर
मैं कागज़ तू मेरी स्याही ज़रा
टांक दे मुझको, आसमां में यहां

तकिए के सिरहाने कोई सो रहा
मुझको लगा था तूने कुछ कहा
दर्पण भी मुझको टोकने लगा है
ख़्वाब कोई भीतर जैसे चल रहा
खोया है मुझमें, नींद का जिक्र 
निगाहों में तैरती मेरी ही फिक्र

मैं कागज़ तू मेरी स्याही ज़रा
टांक दे मुझको, आसमां में यहां

लिरिक्स
अनुभूति गुप्ता

©डॉ. अनुभूति
  #Nightlight #Poet #poetry #nojohindi #Hindi #nojotohindi
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

अक्सर, मैंने 'जॉन' को देखा है,
कई सतायें दिन को लिखते हुए..!

©डॉ. अनुभूति
  #samandar #Trending #nojoto #nojotohindi
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

#Trending #thoughts #quotes #life #nojohindi
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

पाश!

यहां लोग ठान चुके हैं
कि :  बिना चोट पहुँचाएँ
नहीं खाएंगे, रात्रि का अंतिम निवाला..

इमारतों के कारखाने में
इक और दीवार है, और
वह मौलिक संवेदनाओं को भीतर नहीं आने देगी..

अब :
ऐसे में, क्या करूं?

पाश ने मुस्कुराते हुए कहा,
तुम, 
जो सोच कह रही हो
वह असाधारण होकर, भी साधारण दृष्टिकोण है..
इमारत हो या 
शख़्स अंदरूनी चोट हर कोई खाया हुआ है यहां तहां...!

©डॉ. अनुभूति
  #udaasi #trending #thoughts #Opinion #Hindi #nojotohindi
5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

#song#trending#nojoto#life

song#Trendingnojotolife #News #Song

87 Views

5f48bf7462b061de60207bb57026a099

डॉ. अनुभूति

मैं "व्यवस्थित नहीं, कुछ खोए हुए काँच के टुकड़ों की लपटन रहीं, जहां सब आसमां के भीतर अपनी ख्वाइश टांक रहे थे..मैं संवेदनाओं के मध्य मां को ख़ोज रही थीं। बहुत बुरा होता है उम्र का बढ़ना। जैसे ही हम बढ़ने लगते हैं दरख़्त से, यह बात भी स्वीकार्य होती है कि मां बाप की उम्र घट रहीं। यह तड़पन का शायर है जहां शायरी के मंच पर कई शायर अपने अस्तित्व के धरातल पर कंकड़ से बिछ गए.."

©डॉ. अनुभूति
  #Ladki #shayrana #Trending #Nojoto #vibrant_writer #Poet
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile