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rahulyadavsarkar0037
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राहुल यादव 'सरकार'

शोध छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ

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राहुल यादव 'सरकार'

बदलते मौसम देखे थे 
बदलते सपने देखे है 
बदलते चांद देखे अब
बदलते यार देखे अब
बदलते खास देखे अब
बदलती रात देखे थे 
बदलते दिन देखे थे 
बदलते शाम देखे थे 
बदलते सुबह देखे है 
बदलते आपको देखे अब
बदलते जान को देखे अब
बदलते सपने देखे अब 
बदलते अपने देखे अब 
नही दिल मे है कोई आस
बदलते सबको देखे अब

©राहुल यादव 'सरकार'
  #intezaar
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राहुल यादव 'सरकार'

नजरें सामने गयी मैं स्तब्ध रह गया
जिसको सोचा नही वो सामने आ गया
नजरें हटाऊँ की अंदर बुलाऊ 
समझ से परे है 
मन को मनाऊँ या उसको बुलाऊ

©राहुल यादव 'सरकार'
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राहुल यादव 'सरकार'

सिमट सी जाती है 
जैसे उनका सारा संसार बस यही तक सीमित है ।

©राहुल यादव 'सरकार'
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राहुल यादव 'सरकार'

तुम्हारा संघर्ष हमारे जीवन की नई ऊँचाई को रंग देगा ।

©राहुल यादव 'सरकार'
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राहुल यादव 'सरकार'

दूर होके भी तुझमें खोया हुआ हूं मैं
हा तेरे जिस्म का हर एक हिस्सा हूं मैं
नाराज़ मेरी जान मेरे बस जिस्म से तुम होना
मेरे रूह से नाराज़गी का ख्वाब भी न देखना

©राहुल यादव 'सरकार'
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राहुल यादव 'सरकार'

नारी नर से बड़ी निराली
सब कुछ सहती कुछ न कहती 
कितना कुछ व सोचती रहती
बाप की इज्जत, माँ की इज्जत
इज्जत अपने घर परिवार की
 अपने तन पर सहती जाती 
इज्जत सैकड़ों इंसान की  
गाली सुनती, मार वह खाती 
खुद के तन को सौंप भी देती
राक्षस उस शैतान को  
बड़े घमण्ड में वह जो रहता
चूड़ी पहने परिवार में 
शरम हया सब बेच दिया जो
 इंसानियत के बाजार में।
 कुछ न कहेगी
 सब कुछ सहेगी ये न सोचो,
मुझे लगता है देखा नहीं तुमने 
काली, चण्डी इस संसार में | 
                                    Rahul  Yadav

17/05/22

©rahul yadav sarkar #dusk
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राहुल यादव 'सरकार'

एक जिंदगी एक जान है 
सब आपके ऊपर कुर्बान है।
एक ही तमन्ना  है इन निगाहों की
 कि जब आखिरी सांस हो 
आपका चेहरा मेरे पास हो।
                    सरकार

©rahul yadav sarkar ♥️
#Hope
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राहुल यादव 'सरकार'

मृग सा जैसा जीवन मेरा 
कस्तूरी जैसे हो मेरे अंदर तुम
बिन तृष्णा के मिल जाओ तो
कैसे सफल ये जीवन होगा ,
अधरों की प्यास बुझेगी कैसे? 
जब तक प्यासा मन न होगा ।
     और
स्वाति नक्षत्र का पानी हो तुम
करना होगा इंतजार तुम्हारा,
बन पपीहा रात-रात भर 
लेना होगा नाम तुम्हारा ।
                          राहुल यादव सरकार

©rahul yadav sarkar नौकरी

#Books

नौकरी #Books #कविता

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राहुल यादव 'सरकार'

नही अब ठीक है सब कुछ,
तुम्हारे अनुरूप है सब कुछ । 
यही तो चाहती थी तुम ,
की हमसे भागती थी तुम
हमारे सही बातो पर भी 
झिड़क सी जाती थी तुम
क्या अब खुश नही हो तुम
तुम्हारे अनुरूप है सब कुछ।
हमारा हाल मत पूछो की
तुमसे बेहतर रहते है 
हमी हम में ही रहते है 
कही जुर्रत नही करते
क्या अब खुश नही हो तुम 
की तुमसे दूर रहते है
यही तो चाहती थी तुम
तुम्हारे अनुरूप है सब कुछ ।
                           राहुल यादव सरकार

©rahul yadav sarkar तुम्हारे अनुरूप है सब कुछ

#FadingAway

तुम्हारे अनुरूप है सब कुछ #FadingAway #कविता

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राहुल यादव 'सरकार'

#OpenPoetry गरीब बीमार 


वो तंग बेहाल
 परेशान 
जिंदगी से निरास 
ये छोटी से आशा लिए 
पहुँचता है अस्पताल
होता है थोड़ा और निरास 
देख वहाँ पर हाहाकर,
चकाचौंध और भागदौड़
चुपचाप निरास बैठा अस्तब्ध 
देख रहा है सब अनजान
लाइन पर लाइन
नंबर पर नम्बर
आस लगाए लगे है लोग
बड़ी मस्साकत करनी पड़ी 
बस देख ले साहेब एक बार
हो गयी आज तो सुबह से शाम
               अगले दिन जब बस
 आने वाला था नम्बर उसका 
तब तक आ जाते है 
बी बी आई पी साब
देख रहा था कैसे जो दुतकार
डाट रहे थे उसको 
कैसे दुम हिला रहे है वो 
उस साहब के आस पास ।
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