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mahendradarro5521
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Mahendra Darro

Budding Poet ✍

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Mahendra Darro

कभी आब-ए-आईने में तेरी सूरत देखी थी।
मगर हुस्न के गुबार में, सीरत धुंधली पड़ गई ।

©Mahendra Darro #sach
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Mahendra Darro

तेरी तारीफ में, कुछ लिखूँ, इतनी मेरी औकात कहां ।
ये जुबां ही कुछ कह दे, बस इतना ही काफी है।

©Mahendra Darro

14 Love

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Mahendra Darro

भटक रहें, तुम जहाँ में बड़े बेआबरू होकर।
क्या पता था जो अपने थे, वो पराये हो चलेंगे ।

©Mahendra Darro #Last_love
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Mahendra Darro

किस्से - कहानियाँ तो तूने खूब सुने होंगे ।
पर वो, कोई कातिब की कल्पना नहीं,मेरे सीने दबी हकीकत है।

©Mahendra Darro #अनकही_कुछ_बातें
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Mahendra Darro

ये वक्त ही तो है, जिस पर किसी का बस नहीं।
या तो इन्सान वक्त के साथ खुद को बदल लेता है या वक्त इंसान को ।

©Mahendra Darro #कड़वा_सच
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Mahendra Darro

हम वो हैं, जनाब जो, आज भी सुखे गुलाब किताब में  रखा करते हैं।
कभी खता दिल से हुई थी पर क्या करें,  लोग अब भी मुझसे कहा करते हैं।

©Mahendra Darro #शायरी_दिल_से✏️

शायरी_दिल_से✏️

13 Love

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Mahendra Darro

चेहरा क्या देखते हो जनाब, ये बस सूरतें हाल बयां करती हैं।
दिल की गहराइयों में जख्म दबे पड़े हैं, जुबां थोड़े ना है,जो सब कुछ बयां करती है।

©Mahendra Darro #शायर_की_कलम_से
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Mahendra Darro

मैं टूट के बिखर जाऊं, इतना कमजोर नहीं।
मैनें तुमसे मोहब्बत की है, बेवफाई नहीं। 

मेरे जज्बात, मेरे लबोँ पे आ जाते हैं।
पर कम्बख्त, ये जुबां, कुछ कह ना पाते हैं। 

सूनी राह पे, जब कभी, तेरा दीदार हो जाता है ।
रब दी सौ, इस दिल को तुम पे, दुबारा प्यार हो जाता है। 

मेरे दर्द पर, तेरे माथे पे एक सिकन भी नहीं ।
तेरी मोहब्बत में कहीं, बेवफाई कि महक तो नहीं ? 

तेरी जुल्फों की छाँव में सो जाने का जी करता है।
तुझे अपने सीने से लगाने का जी करता है। 

मुझे तो, ये बंदिशे रोक देती हैं, सनम
वरना, हद से गुजर जाने का जी करता है।

©Mahendra Darro #दर्द_और_मैं
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Mahendra Darro

तुमको मजा आये, कुछ ऐसा हाल सुनाते हैं।
लोगों के बीच चलों, अपना कुछ गम गुदगुदाते हैं। 

दूसरों के गम पर, हर कोई खुश होता है।
क्या कोई ऐसा भी है? जो अपनी खुशी पे रोता है। 

ये बात जरा सी गहरी है, मैं शब्दों में ना कह पाउँगा ।
दर्द इतना है दिल में, गम आँखों से छलकाउँगा । 

ये आँसू नहीं ये तुम हो, जो कतरों में बहती हो।
आँखों के सागर में, कही डरी सहमी सी रहती हो। 

गम की सीमा अन्तहीन है, अश्कों से मैं बयाँ करु।
दिल में इतनी जगह नहीं कि, दर्द को अपने लिखा करुँ। 

गुमसुम तन्हा मन है, जो अपने आप में रहता है।
काँटों की शैया पर भी, एक शब्द ना कहता है।

इस गम को पिए जा रहा, दर्द की शराब से, 
मानों जिंदगी , जिए जा रहा, बस मतलूबा के ख्वाब से ।

©Mahendra Darro #दिल_का_दर्द
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Mahendra Darro

**  मैं लिखना चाहता हूँ  **


हाँ, ये सच है, मैं लिखना चाहता हूँ।
इस भीड़ से भरी दुनिया में, औरों से अलग कुछ दिखना चाहता हूँ। 

शब्द नहीं है, मन में, पर भाव से भरपूर हूँ।
दो लफ्ज लिखूंगा, पर शायद लक्ष्य से कोशो दूर हूँ। 

सतत अभ्यास करता हूँ,  गिरता हूँ, संभलता हूँ।
मन में आये निराशा, तो खुद को प्रेरित करता हूँ। 

कच्चे - मटके सी भाँति, मेरी लेखन हो सकती है। 
पर मेरे प्रयासों में, इष्ट देव सी शक्ति है। 

तुलसी व रसखान सी मेरे, काव्य में वो मिठास नहीं।
पर मेरे काव्य - कला में, इतनी भी खटास नहीं। 

उगते सूरज की भाँति, एक दिन मेरा भी सूरज दमकेगा ।
काव्य -  कला की चोटी पर, मेरा भी सूरज चमकेगा। 

ब्रम्ह देव की रचना को, अपने कलम से सजाता हूँ ।
काव्य रचना से अपनी मैं, दुनियाँ को लुभाता हूँ।
अन्त में, अपनी वाणी से बस इतना कहना चाहता हूँ। 

हाँ, ये सच है, मैं  लिखना चाहता हूँ।
हाँ, ये सच है, मैं लिखना चाहता हूँ ।

©Mahendra Darro #मैं_लिखना_चाहता_हूँ
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