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आयुष AYUSH

क्या करोगे जानकर?

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आयुष AYUSH

हिंदी मेरा देश है
भोजपुरी मेरा घर…

…मैं दोनों को प्यार करता हूँ
और देखिए न मेरी मुश्किल 
पिछले साठ बरसों से
दोनों को दोनों में
खोज रहा हूं।

~ केदारनाथ सिंह #हिन्दी_दिवस #हिन्दीदिवस #14sept #14september #कविता #केदारनाथ_सिंह
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आयुष AYUSH

सुनो कुछ मेरे हिस्से भी उधार कर जाना, 

नीद आखिर तुम तक तो आती होगी! 


- आयुष #नीद #ख्वाब #प्रेम #2liner #शेर #गजल
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आयुष AYUSH

मेरे लहजे मे हिकारत है 
बुरा हूँ मै 


ऐसा करो 
मुझसे न यु उलझा करो! #हिकारत #हिज्र #2liner #शेर
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आयुष AYUSH

मेरे हिस्से में मेरी नीद अता कर मौला 

जागती आँखो मे बहुत ख्वाब बुरे आते हैं 

-आयुष #2liner #शेर #गजल #कविता #नीद #प्रेम
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आयुष AYUSH

मैने तो बस प्यार किया है! 

सच्चे रंग कौन है तेरे 
कौन रंग तेरे है झूठे 
किसे पता है किसे खबर है|

आज कहा हो किसे पता है 
कल कहां तो किसे है मालूम 
नहीं जानता, नहीं जानना

ताउम्र यही हर बार किया है 
मैने तो बस प्यार किया है #प्रेम #कविता #प्यार #ख्वाब #nojoto #nojotohindi
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आयुष AYUSH

लहरों पर बैठ कर तु बंशी बजाता जा,
गीत कोई प्यार का सबको सुनाता जा,

डोलने दे तन को मेरे डोलने दे मन को मेरे 
छोड़ गया साथी जो उसको बुलाता जा |

लहरो पर बैठ कर तु बंशी बजाता जा |


- आयुष #प्रेम #कविता
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आयुष AYUSH

तुम्हे पता है? 

मेरे दिल-ए-गुलजार मे कैद है एक इश्क का लिबास, 
उस लिबास पर टांगे है सैकड़ों रंगों के पैबंद 
कि हर पैबंद मे उकेरे है हजारों चेहरे
कि उन चहरो पर चस्पा हैं हजारों आंखें,
कि उन आंखों के अनगिनत ख्वाब
कि हर एक ख्वाब मे एक एक चाँद 
कि हर चाँद की ईक अलग दुनिया 
मगर 
हर दुनिया के एक एक झील के किनार 
एक टपकती झोपड़ी मे 
सिर्फ़ मै हूँ और मुझ जैसा ही तुम हो 
याकि सिर्फ़ तुम हो और तुझ जैसा मै |

-आयुष #तुम्हे_पता_है #कविता
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आयुष AYUSH

तुम्हें पता है? 
रेत जो बन्द है मुट्ठी मे कम्बख्त फ़िसलती ही नहीं,
वक्त के आगे ये बेबस आदम
वक्त पर भी तो ये दुनिया निकलती ही नहीं|
नूर-ए-आफ़ताब की सितारो की फ़लक
सब नजारे क्यू चुभते रहते हैं आँखो मे? 
शाम जिसका मुन्तजिर हूँ सदियों से 
कम्बख्त वो शाम है जो ढलती ही नहीं |

तुम्हें पता है सूकूत-ए-शहर का रस्ता 
तु ही बता दे की अदावत ये सम्भलती ही नहीं |

दो घड़ी का वो बचपन सम्भाला है सिरहाने, 
चुरा ले जाना की अमानत ये सम्भलती ही नहीं | #तुम्हे_पता_है #कविता
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आयुष AYUSH

तुम्हे पता है? 

मै तुम्हारे आँखो को झील 
जुल्फ़ो को बादल 
कह तो सकता हूँ 

मगर यह सब आसान है बिल्कुल धूप बरसने जैसा, 

मै खोजता हू शरद 
वर्षपर्यन्त ओस के बरसने का, 

तुम सुंदर हो बिल्कुल सुन्दर 
जैसा ना कभी मनुष्य ने रचा कुछ 
ना प्रकृति ने
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आयुष AYUSH

तुम्हे पता है? 

तुम जब ट्रेन की खिड़की से झांककर 
हद-ए-निगाह तक के समूचे फ़सल को मेरे नाम कर देती हो 

तुम मुझे सर्जक लगती हो 
शासक लगती हो 
अधिनायक लगती हो 
सम्पूर्ण प्रकृति की आधिपति! #2
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