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प्यार का फ़साना किसे जाकर कहें हम अपने ग़म का फ़साना कुछ समझ नहीं आता है । लोग तो हंसते हैं प्यार करने वालों पर अब तो प्यार करना भी गुनाह नज़र आता है ।। पहले प्यार को लोग वफ़ा का नाम देते थे आजकल प्यार को पैसों में तोला जाता है । हकीकत समझ नहीं आ रही प्यार की प्यार हंसाता है या रुलाता है ।। प्यार अगर हंसाता है तो लोग प्यार में रोते क्यों है । प्यार अगर रूलाता है तो लोग प्यार के सपने संजोते क्यों है । अजीब होता है प्यार जो समझता है उसे मिलता नहीं है । जिसे मिलता है वो समझता नहीं है लेखक-राज पेंटर झांसी चिरगांव
Vivek Nagil