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jitendrasharma2943
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JitendraSHARMA (सोज़)

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JitendraSHARMA (सोज़)

#uskajaana
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JitendraSHARMA (सोज़)

कभी कभी जुबान हक़ीक़त 
बयान कर जाती है __

घर पर मर्द की इज्ज़त कितनी है ?
यह कलम बया कर जाती हैं ___

ज़रूरी नही हर बार ताकत का इस्तमाल हों, 
ज़रा सी राख से भी बर्तन की चमक निखर जाती हैं __

©JitendraSHARMA (सोज़)
  #aaina
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JitendraSHARMA (सोज़)

White इस रात के बाद ___
अब कोई शहर ना होगी ।

ना तकना राह मेरी ___
अब कोई मुलाकात ना होगी ।

रहेगी सदा__ याद साथ साथ ___
फिर मिलन भरी रात ना होगी ।

तुम लाख निशान 
ढूढ़ना गुलों के बाग मे __
सेज की सिलवटों पर 
वो महक ना होगी,,

©JitendraSHARMA (सोज़) #sad_quotes
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JitendraSHARMA (सोज़)

White 
अबके जो गंगा के तट पर तुम आओ 
तो एक नहीं कई डुबकीया लगाना 
जाने कितनी वेदनाए छुपाकर रखी है मेने
हर डुबकी मे ध्यान लगा कर जरा सुनना 
मेने अपने अंदर दो मुट्ठी राख हीं नहीं 
कितनी अधूरी ख्वाहिशों को छुपा रखा हैं
तुम सुनना उस मा की वासल्य पुकार को
अपने लाल को देखने के लिए 
अंतिम समय मे एक टक रास्ता देख रही थी 
तुम सुनना एक लाचार पिता के करुण रूद्न् को
 जिसकी बेटी दहेज़ के दानवो द्वारा जलाई गई है
तुम सुनना उस अनचाही संतान की चीख को 
जिसे मा ने गर्भ मे हीं मार दिया था 
तुम सुनना उस पिता को जो चार बेटे होते हुए भी अंत मे भूख से तड़प तड़प् के अपने प्राण त्याग देता हैं
तुम सुनना पत्नी की विरह वेदना को 
जिसका पती उसे बे सहारा छोड़ कर 
चला जाता है 
तुम सुनना हर बात को मेने अपने अंदर 
सब कुछ समाहित कर रखा है

©JitendraSHARMA (सोज़)
  #Sad_shayri
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JitendraSHARMA (सोज़)

White बदनाम नज्म5

गुजरा जो अरसो बाद मे उस गली से 
देखा तो ताले लग चुके थे ।
कभी जो सब्ज बाज़ार हुआ कर्ता था?
अब वीरान वीरान सा लगता है।

ना अब वहा रक़्स होता है न किसी रक़्क़ासी के निसान, 
दिन ढलते ही अब मजमा-ए-तलबगार भी नही लगता ।

ना दादरा,ना ठुमरी,ना गजल,ना घुंघरुओं की खनक,
ना तबला ना साकी ना जाम-अबतो जाने केसा लगता है ।

जो राजे रजवाड़ों के समय, चलन हुआ कर्ता था,
अब तो बस सुनने मे, ही सोज़ अच्छा लगता है।

कोठा मत कहो,मेरा दर किसी मंदीर से कम लगता हे।
सोज़ तेरा आना, फिर नई सुबह जेसा लगता है।
सोज़

©JitendraSHARMA (सोज़) #sad_shayari
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JitendraSHARMA (सोज़)

White लगता है कत्ल करने का आज इरादा है उनका।
फिर आज अपनी अब्रू की धार तेज की  है ।
उर्म का कोई असर नही उन पर ,
जेसे पुरानी मय, उतना ही नसा है आज भी उनमे।सोज़

©JitendraSHARMA (सोज़)
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JitendraSHARMA (सोज़)

White सारे शब्द 
एक शब्द मे 
जब समाहित हों जाते है __
तब एक शब्द बनता है __
           वो है___ माँ___

©JitendraSHARMA (सोज़) #mothers_day
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JitendraSHARMA (सोज़)

White लगता है कत्ल करने का आज इरादा है उनका।
फिर आज अपनी अब्रू की धार तेज की  है ।
उर्म का कोई असर नही उन पर ,
जेसे पुरानी मय, उतना ही नसा है आज भी उनमे।सोज़

©JitendraSHARMA (सोज़)
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JitendraSHARMA (सोज़)

White अनकही बाते 
मे उन मुद्दो को भी अक़्सर उठा लेता हू 
जिनका जिक्र कोई करते नही ,

रखता हू अपनी राय खुल के ।
जिन पर अक़्सर लोग चुप्पी साध लेते है ।

कोई फर्क अब पड़ता नही 
क़्या कहेगे ज़माने भर के लोग।
या तो मे बदतमीज हू या समजो मुज़े निडर।

मे उठा ता हू वो मुद्दे जिसमे हवस हो या मुहब्बत ,
मे खुल के कहता चाहे वात्सल्य हो या वासना ,
फिर मय हो सुराही हो साकी हो या फिर कोई हमनवा।
हर मुद्दे को बेबाकी से उठा लेता हू।
सोज़

©JitendraSHARMA (सोज़)
  #good_night
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JitendraSHARMA (सोज़)

White तुम ही कहो केसा इनके बिन लगता हैं
सारा सहर वीरान वीरान सा लगता हैं

ना मय खाने ना सागर ना सुराही 
ना कोई रिंद ना साकी ना जाम पे जाम 
खामोश शहर मुर्दो की बस्ती सा लगता हैं

ना किसी से दिल लगी ना गम ए दिल 
ना इजहार ए मुहब्बत ना टूटा दिल 
तुम ही कहो कैसे इनके बिन लगता हैं?

©JitendraSHARMA (सोज़) #good_night
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