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abhinavkumar5414
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Abhinav Kumar

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Abhinav Kumar

निर्भया: अब कैसा है अपना देश दीदी?
प्रियंका: न तुम पहली थी.. न मैं आखिरी हूं! हैदराबाद।

हैदराबाद।

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Abhinav Kumar

सुना है उनके मुंह से फूल गिरते हैं, 

अगर ऐसी बात है तो बात कर के देखें। हकीकत

हकीकत #story

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Abhinav Kumar

लोग हर मोड़ पर रूक-रूक कर संभलते क्यों हैं!
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यों हैं!
मोड़ होता है जवानी को संभालने के लिए,
और सब लोग यहीं आकर फिसलते क्यों है!

- राहत इंदौरी जवानी।

जवानी। #poem

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Abhinav Kumar

सिर्फ प्याज ही महंगा नहीं हुआ है, 
विधायक के दाम में भी 
आग लगी हुई है।

#महाराष्ट्र चुनाव चक्कर

चुनाव चक्कर #Comedy #महाराष्ट्र

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Abhinav Kumar

सिर्फ शाम के लिए सुनो तुम्हारे लिए पूछा,

दिल की खिड़की में मेरी आँखें खुली रखो।

मन के आंगन से बारिश ने तुम्हें वैसे भी लौटा दिया।

खोना नहीं चाहती बारिश, तुम्हें वापस चाहती है,
 
मुझे गेसियो में अपना पूरा दे दो बादल छाए रहेंगे।


                          - Abhinav Kumar मन की आंगन।

मन की आंगन। #poem

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Abhinav Kumar

।।माँ।।

।।माँ।।

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Abhinav Kumar

बसंती सौंदर्य

बसंती सौंदर्य #poem

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Abhinav Kumar

हम भी खाली, आप भी खाली,

 नेता भी खा ली, दलाल भी खा ली।


किसान भी खाली, पेट भी खाली,

बैंक भी खा ली, नीरव भी खा ली।


युवा भी खाली, रोज़गार भी खाली,

मीडिया भी खा ली, सरकार भी खा ली।


 रेल भी खाली, संचार भी खाली,

अडाणी भी खा ली, अंबानी भी खा ली।


देश भी खाली, आरबीआई भी खाली, 

चौराहें भी खाली, फांसी का फंदा भी खा ली।

               
                         - Abhinav Kumar खाली।
खा ली।।

खाली। खा ली।। #poem

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Abhinav Kumar

।।किस-किस की जश्न मनाऊं।।


पहली आजादी के जश्न से ठीक-ठाक उभरे भी नहीं कि,

फिर से गुलामी के सपने दिखा कलम को ही गुलाम बना गए।

गुलामी की भयावहता ऐसी कि हकीक़त हक भी नहीं मांग पा रहा,

कहां-कहां किस-किस की गुलामी कलम पर जश्न मनाऊं।


कैसी आज़ादी, कि तरफदार बन आजादी सा महसूस कर रहा,

अर्थ पर अर्थ बेबस, व्यवस्था की अस्थियां बहने को लाचार।
 
गुलामी कलम ढांढ़स ऐसे बांधते हैं, हम ही अर्थ पर अर्थशक्ति है,

कहां-कहां किस-किस की गुलामी कलम पर जश्न मनाऊं।
  
                                                    - Abhinav Kumar किस किस की जश्न मनाऊं

किस किस की जश्न मनाऊं #poem

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