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khamarsumit5606
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SUMiT KHAMAR

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SUMiT KHAMAR

Ek kitaab si hai zindagi ... 
kuchh panne bhar rahe hai ...
kuchh khaali se ho rahe hai ... 
bas yu hi ham chal rahe hai....
kuchh khwab poore ho rahe hai ... 
kuchh adhoore se jaa rahe hai...
bas yu aazad si hai zindagi... 
Ek kitaab si hai zindagi ....

kuchh log yu mil rahe hai ...
kuchh log bas bichchad rahe hai ... 
chalte chalte yu khudko hi dhundh rahe hai..
khushi ko jee sa rahe hai ... 
halato se ladh rahe hai .... 
apne aas paas se sikhte hue bas yu hi chal rahe
bas aise hi chal rahi hai zindagi.. 
Ek kitaab si hai zindagi...

Abhi aur bhi sikhna hai zamane se... 
aur bhi panne bharne hai zindagi ke ...
abhi aasmaan bhi naapna hai ... 
aur zameen b shayad dekhni hai... 
apne jazbaato ko bas yuu hi smbhaalna hai... 
ek khwaab ke liye bas chalte chale jaana hai ... 
yu intezaar si hai zindagi...
Ek kitaab si hai zindagi....

- SUMiT

©SUMiT KHAMAR #Thinking
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SUMiT KHAMAR

कभी मैने उसे ढील दी, 
कभी मैने उसे खींच लिया,

कभी हाथो को काट दिया,
कभी वो हाथों से छूट गई,

कभी किसी ने काट दी, 
कभी वो खुद ही टूट गई,

मै भागा उसके पिछे तो, 
कोई और उसे ले गया..

तुम जरा इसे समझो तो, 
ये जिंदगी भी है पतंग जैसी..

©Sumit Khamar #Poetry 

#makarsakranti
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SUMiT KHAMAR

आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!! 
क्या ज़माना था क्या बहाना था!!

हंसना खेलना यू लड़ना झगड़ना था !! 
हर एक लम्हा खुल कर जीने का ठिकाना था!!
 वो पापा की डांटे, यू मम्मी के चाटे !! 
वो जलजीरा का स्वाद वो आम की मिठास!! 
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
क्या ज़माना था क्या बहाना था !!            

वो किर्केट का टशन और कबड्डी का जश्न!!
 वो रात में लुका छिपी यू दिन में दौड़ा दौड़ी!!
 वो सारी मस्तियां यू सारी बस्तियां!! 
ना जाने कैसे कब बस एक ख़ाली मैदान हो गई!! 
वो हमेशा याद रहने वाला एक हसीन पल था !!
 हर दिन कुछ नया सीखना और सिखाना था!! 
यू हर किसी को चिढ़ा कर गलत नाम से बुलाना था !! 
खुद मारना ओर बड़ो से भी मार खिलाना था!! 
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
 क्या ज़माना था क्या बहाना था !! 

यू पेट दर्द है स्कूल ना जाना और घर में बिल्कुल ना रहना!! 
यू सबके गेट खटखटा कर भाग जाना!! 
यू त्यौहार की रौनक और मेला की भीड़ !! 
वो लालटेन में पढ़ना और दिन में खेलना!! 
टीवी में भीम की लड्डू और चुटकी की दोस्ती !! 
और भी पुरानी सारी कहानियां !! 
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!! 
क्या ज़माना था क्या बहाना था !!

©Sumit Khamar #ChildrensDay
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SUMiT KHAMAR

#ForgivenessDay
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SUMiT KHAMAR

रोज दे जाती है जीने के बहाने,
 कितने ये अनोखे, कितने सुहाने...

जिंदगी ये हुनर कहाँ से लाती है?
 खुश होते ही अपना सबकुछ लुटाती है..

बिन अटके हमारे आसपास भटकती है, 
तो भी कहाँ कभी ये हवा दिखती है ?

जो भी है दिल मे बस बोल दो खुलकर, 
यूँ घुटकर कब तक है जिंदगी बिताना?

चाहने की रीत उनकी है इतनी अनोखी, 
दूर से देखकर बस अपने दिल को मनाना..

आँखों में दिख जाए बस यहीं काफी है, 
और क्या होते है सबूत वफ़ा के ?

बंध बाज़ी कब तक खेलते रहेंगे? 
छोड़ हारने का डर और खोल ना पत्ते..

एक अमिट छाप वे दिल मे छोड़ जाएंगे, 
आज आये है तो तय है कल वापस है जाना...

©Sumit Khamar #alone
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SUMiT KHAMAR

जिंदगी की सारी खुशियां बतौर लि मैने इन कुछ सालो मैं...
लगता अब तो हसना शुरू ही किया था मैंने...
और अब वक्त आ गया अलग होने का..
न जाना हम सब अब कब मिल पाएंगे..
सबकी मंज़िल जुड़ा और रास्ते अलग हो जाएंगे...
सोचकर ही आंखों मैं आंसू आ जाते है...
कैसे उन दोस्तो को भुल जाए...
जिनके साथ जिंदगी की इतने खुशनसीब पल बिताए थे...
कैसे उन यादों का सिलसिला खतम कर दे....
आखिर कर कैसे हम अलविदा कह दे।।

©Sumit Khamar 1 अगस्त 2017 से शुरू किया कॉलेज का सफर, पता ही न चला कब खत्म हो गया और इस दरमियान चार साल भी बीत गये। आखिरकार फिर वो वक्त आ ही गया, चार साल की यादों को संभालकर अपने जेहन में रखने का ये वो दौर रहा जिसने ज़िंदगी में बहुत कुछ सिखाया और जिसमे बहुत कुछ पाया। जब भी पीछे मुड़कर इस दौर और इस वक़्त को देखेंगे तो एक प्यारी सी मुस्कान चेहरे पर आ जाएगी जो अंतर्मन को खुश कर देगी, साथ ही हंसाएगी और रुलाएगी भी।

इस 4 साल के सफ़र में बहुत सारे दोस्त मिले जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला, कुछ ऐसे दोस्त भी मिले जो हम

1 अगस्त 2017 से शुरू किया कॉलेज का सफर, पता ही न चला कब खत्म हो गया और इस दरमियान चार साल भी बीत गये। आखिरकार फिर वो वक्त आ ही गया, चार साल की यादों को संभालकर अपने जेहन में रखने का ये वो दौर रहा जिसने ज़िंदगी में बहुत कुछ सिखाया और जिसमे बहुत कुछ पाया। जब भी पीछे मुड़कर इस दौर और इस वक़्त को देखेंगे तो एक प्यारी सी मुस्कान चेहरे पर आ जाएगी जो अंतर्मन को खुश कर देगी, साथ ही हंसाएगी और रुलाएगी भी। इस 4 साल के सफ़र में बहुत सारे दोस्त मिले जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला, कुछ ऐसे दोस्त भी मिले जो हम #Life #missthosedays #lastdayofcollege

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SUMiT KHAMAR

Shades are celebrated by keeping away the causes of havoc. 
Likewise, every shade existing within you deserve to be celebrated without any biases!

©Sumit Khamar #holi2021
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SUMiT KHAMAR

एक कटे...
तो दूसरी चढ़ा लेना
पतंगों जैसी है खुशी...
दो दिन की जिंदगी 
में सब लूटा देना।

- सुमित

©Sumit Khamar दो दिन की जिंदगी है
दो दिन का मेला

दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला

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SUMiT KHAMAR

Everything was fine untill 0 to 9
LCM, average and Ratio, yes we survived. 
Entry of the unknown The X, 
Still a thrill n biggest assumption of the age.

Polygons were dragons
Area to curved surface, 
Parameter was solace.

Sin, cos were adventures,
 But all gold are not glitters. 
Iota never said tata, 
Get fitted in every's one data,

Square root become offshoot, 
Bracket of Bodmos, 
Reign us like the golden boot. 
Finally! Even after all

Those time and work are not gone,

Speed and distance, Still haunts, 
Charged with interest, 
percentage Is now king of all.

©Sumit Khamar #wetogether
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SUMiT KHAMAR

छोटी छोटी खुशियों का
एक मकान बनाना है, 
चेहरे पर सबके हंसी को सजाना है, 
ज्यादा बड़े ख्वाब नहीं है मेरे, 
बस खुद से ज्यादा 
अपनों को चाहना है।

©Sumit Khamar

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