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आयुष सिंह

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आयुष सिंह

#kavita #poem #motivation #roshni
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आयुष सिंह

बिजली के जाने के साथ
घर में छा जाता है अँधेरा
अंधेरा होने पर घर में 
जला दिए जाते है 
दीये और मोमबतियां
जो वापस घर को प्रकाश से भर देती है
वो प्रकाश, घर में लगे बल्ब 
के समान तो नही देता,
मगर उस रोशनी में भी,
हमे दिखने लगते रास्ते
और फिर से शुरू हो जाते है
घर में कामकाज, 
जो अंधेरे के चलते थम गया था
और कुछ समय बाद बिजली आती है
तो पाती है कि घर में काम रुका ही नहीं। #Fire #mashoor #Trending #kavita #poem #motivation
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आयुष सिंह

प्रेम! परमात्मा द्वारा दिया 
सबसे अनमोल भेंट है
प्रेम कोई क्रिया नही
अपितु एहसास है, 
जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
प्रेम में पड़े इंसान को 
प्रेमिका में दिखते है विश्व भर के सद्गुण
प्रेम में इंसान चाँद तारे तोड़ने का प्रण लेता है
और साथ जीने मरने के वचन भी लेता है
परन्तु,
मैंने प्रेम में साथ चलने का प्रण लिया है
उसके कोमल पैरों से काटें निकालने का प्रण लिया है
उसे दुनिया के साथ खुशी बाटने की आजादी दी है
उसके दुख में आगे खड़े होने का वचन दिया है
प्रेम में इंसान वचनों पे ध्यान नहीं देता,
जरूरी होती है उस वक्त में एहसास,
इसीलिए मैंने जीवन भर साथ देने का वचन लिया है
क्योंकि मेरा एहसास तो बस वही है #alone #love #poetry #poet #famous #star
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आयुष सिंह

आज कोरा कागज़ लिए बैठा हूँ
इस सोच में, क्या लिखूं?
क्या लिखूं 
इसमें उन दोस्तों के नाम
जिनके साथ गुज़ारी है 
ना जाने कितनी ही रातें 
आसमान को एकटक निहारते हुए
सीधे ना चल पाने की हालात में संभालते हुए
या लिखूं 
इसमें उन दोस्तों के नाम
जिनके साथ गुज़ारी है
रातें राजनीती और साहित्य बतियाते हुए
चाय पे समाज बदलने की चर्चा करते हुए
या लिखूं 
इसमें उन दोस्तों के नाम
जिनके साथ गुज़ारे है दिन
बेंच पे पीछे बैठ भूतों  की आवाज़ निकालते हुए
सुबह 5 बजे पहली बैटिंग के लिए झगड़ते हुए
तो अंत में लिख रहा हूँ 
बस उन सब दोस्तों के नाम
जो आये, गए और रुके है
मेरी इस बेरूख जिंदगी में। #weather #friends #love #poetry #famous
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आयुष सिंह

शाम होने को है
अंधेरा होने को है
मंजिल दूर है और सफर लंबा
लंबे सफर में कहीं रुक ना जाऊं
डरता हूँ की पीछे ना छूट जाऊं
मैं उस पीपल के पेड़ की तरह हूँ
जिसमे पतझड़ तो आ चुका है
मगर नए पत्ते नही आये 
सामने नए पत्तों से लबालब
नीम को देखता हूँ, तो डर जाता हूँ
कहीं सफर में पीछे तो नही छूट गया मैं
कहीं सफर के बीच रुक तो नही गया
अगर कोई साथ होता 
तो अंदेशा लगा सकता था मैं
खुद को बता सकता था मैं
कि अकेला नहीं हूँ और ना ही अलग हूँ
अलग है तो सिर्फ मेरा रास्ता 
रास्ते में अगर कोई साथी होता
मुझसे थोड़ा दूर सही,
तो उसके कदमों के पीछे चल पड़ता मैं
मगर, ये कैसा रास्ता है ?
जहाँ से कोई नही गुज़रा
जहां तक नजर जाती है 
वीराना ही नज़र आता है
ना कोई पेड़ है, ना ही कोई नदी
मैं सही रास्ते पे तो हूँ ना?
कहीं भटक तो नही गया मैं?
पूछना चाहता हूँ किसी से
मगर किस्से पूछुं मैं,
सही रास्ते पे चलना चाहता हूँ
मगर दूर तक कोई नही दिखता
सिर्फ एक अंतहीन सड़क है 
और उस पे चलता मैं #footsteps


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