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vijaykumar1548
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

govt. सीनियर टीचर,मैथ्स

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

White "रोशनी"
अंधकार तो बहुत है,इस जिंदगी में
फिर भी रोशनी ढूंढ रहे,इस जिंदगी में
अगर भीतर दीप जी रहा हो,बेबसी में
बाह्य रोशनी का क्या फायदा जिंदगी में
यदि भीतर चराग जिंदा खुद की खुदी में
फिर जुगनू रोशनी बहुत गम की घड़ी में
जिसने भीतर जोत जलाई,घनी निशी में
वो बना फिर ध्रुव तारा,फ़लक जमीं पे
जो आखिर तक लड़ा,अमावस निशी से
उसने फैलाई रोशनी,पूनम चंद्र चांदनी से
 आओ लड़े,अपनी अंधेरे जैसी कमी से
फिर कैसे न होंगे,रोशन,अपनी खुदी से
जो लड़ा मृत्यु जैसे विचार खुदखुशी से
उसने ढूंढी खुशी सी रोशनी,आत्म वर्तनी से
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #Night
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

White "रोशनी"
अंधकार तो बहुत है,इस जिंदगी में
फिर भी रोशनी ढूंढ रहे,इस जिंदगी में
अगर भीतर दीप जी रहा हो,बेबसी में
बाह्य रोशनी का क्या फायदा जिंदगी में
यदि भीतर चराग जिंदा खुद की खुदी में
फिर जुगनू रोशनी बहुत गम की घड़ी में
जिसने भीतर जोत जलाई,घनी निशी में
वो बना फिर ध्रुव तारा,फ़लक जमीं पे
जो आखिर तक लड़ा,अमावस निशी से
उसने फैलाई रोशनी,पूनम चंद्र चांदनी से
 आओ लड़े,अपनी अंधेरे जैसी कमी से
फिर कैसे न होंगे,रोशन,अपनी खुदी से
जो लड़ा मृत्यु जैसे विचार खुदखुशी से
उसने ढूंढी खुशी सी रोशनी,आत्म वर्तनी से
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #कविता रोशनी

कविता रोशनी

17 Love

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

 #Sands चुप

#Sands चुप #Poetry

12 Love

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

sunset nature "सूर्य पैगाम"
उगता हुआ सूरज देता है,यह पैगाम
उठो ओर अपना कर्म करो,तुम इंसान
बिना जले नही होता है,कोई उजाला
तम वो मिटाता,जो होता बड़े दिलवाला
जैसे जलकर दीपक देता रोशनी,तमाम
वैसे तुम अंत तक उजाले का करो काम
पूरी शक्ति से कर्म तो करो,आप श्रीमान
लगन से कर्म करोगे,झुका दोगे,आसमान
जैसे सूर्य रोशनी मिटाती,तम खानदान
वैसे सच्ची जुबां मिटाती,झूठ का निशान
जिंदगी में यदि कमाना,तुम्हे कोई नाम
मेरी तरह कर्म करो,तुम भी सुबह-शाम
जो जलता है,दूसरों के लिए आठो याम
खुदा भी करता उनका तो,यहां सम्मान
परोपकार को कमजोरी न जान,तू इंसान
यह हमारे लिए एक ऐसा अद्भुत वरदान
जो ला सकता है,पत्थरों के भीतर जान
आखिर में उस चेहरे पर रहती,मुस्कान
जिसने किया हो,परहित का कोई काम
मरकर भी उसकी तो जिंदा रहती,पहचान
जो चंदन जैसे करता निःस्वार्थ खुश्बू दान
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #sunsetnature
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

"हो जा तू बड़े"
जब-जब भी हुए हम यहां पर बड़े
यहां लोग जाने क्यों हो गये,लँगड़े
कुछ फैसले क्या लिए,हमने तगड़े
साये भी छोड़कर जाने पर जा अड़े

सबकी नजर में,तबतक ही सही रहे
जबतक की,उनकी ख्वाहिशें ढोते,रहे
लोगों के तब किसी काम के नही रहे
जब हमारे पास,पैसे कुछ भी नही रहे

बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा,तू बड़े
लोग शीशे तोड़ते,अक्स के करा,झगड़े
ठोकरें खाकर संभलने से तो अच्छा है,
ठोकर देनेवालों के ही फाड़ दे,तू कपड़ें

इस ज़माने में रहना तू अकेले ही भले
पर दगाबाजों से रह,तू रहना कोसों परे
जुगनू की रोशनी,भले होती थोड़ी,पगले
पर घोंटती जरूर,वो काल दिलों के गले
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #snowpark हो जा तू बड़े

#snowpark हो जा तू बड़े #Poetry

15 Love

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

ram lala ayodhya mandir "500 बरसों का स्वप्न"
500 बरसो का संजोया स्वप्न हुआ,आज साकार
हमारे प्रभु श्री राम का मंदिर बन गया,आखिरकार
सभी राम भक्तों को मिले,आज प्रभु का आशीर्वाद
आज तो दीपावली जैसा पर्व मन रहा,हर घरबार
दिनांक 22 जनवरी सब याद रखेंगे,इतिहासकार
शहीदों की आत्मा को मिली,आज शांति अपार
धन्य कारसेवक,श्रीराम मंदिर हेतु कष्ट सहे,हजार
घर-घर रंगोली सजेगी,जलेंगे दीपक आज हजार
नाचेंगे,गाएंगे,श्री राम नाम के बाटेंगे दुपट्टे उपहार
भूखों को भोजन कराएंगे,बेजुबानों से करेंगे प्यार
बेजुबां दाना-पानी बांटकर मनाएंगे,आज त्योंहार
जरूरतमंदों को बाटेंगे,आज तो रुपये पैसे,हजार
छोटों को लगाएंगे गले,मिटाकर खुद का अहंकार
शबरी जैसे अगर प्रभु श्री राम का करेंगे इंतजार
500 वर्ष ही सही,प्रभु श्रीराम जरूर पधारेंगे,द्वार
यह मंदिर हिंदुओं की एकता का,वो मजबूत तार
इससे मिट गये,जातिवाद,छुआछूत के दैत्य हजार
सबको बधाई,आज जय श्री राम से गूंजेगा संसार
500 बरसो का संजोया स्वप्न हुआ,आज साकार
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #ramlalaayodhyamandir
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

Jai shree ram "श्री राम मंदिर महोत्सव"
महोत्सव मनाने की कर लो,सब जन अब तो तैयारी।
आ गये राम मंदिर बनवाने को सब भगवा वेशधारी।।
जब आयेगी,22 जनवरी की वो शुभदिन घड़ी प्यारी।
इसदिन तो दुल्हन जैसी सजेगी अयोध्यानगरी हमारी।।
किसी उपवन में फूलों की नही होगी,उतनी क्यारी।
उससे कई ज्यादा फूलों से सजेगी अयोध्या हमारी।।
प्रभु श्री राम को पूजने आएंगे पूरे विश्व के नर-नारी।
साथ मे सब ही देवता आएंगे,धरकर मनु देहधारी।।
सजेगी प्रत्येक घर मे रंगोली,आज न्यारी-न्यारी।
लगेगा आज सबको हिंद में है,उत्सव बहुत भारी।।
जो आ न पाएंगे किसी कारणवश अयोध्या हमारी।
वो भी प्रभु के लिए घरों में दीप जलाएंगे सुखकारी।। 
मिटेगी कई सालों की रात आज के दिन अंधियारी।
बनाकर श्री राम मंदिर बनेंगे प्रभु के हम आज्ञाकारी।।
लगेंगे जो सूर्य स्तम्भ,होंगे वो धर्म स्तम्भ के नामधारी।
जो शहीद हुए,उनकी याद में होगा स्मृति स्मारक भारी।।
ये थे कारसेवक,जो राम के लिए समर्पित थे,भारी।
प्राणों की आहुति दे दी,न हटे,श्री राम हेतु प्रणधारी।।
उन्हें भी याद करेंगे,आज 22 जनवरी को हम नर-नारी।
धन्य है,वो जिन्होंने राम के लिए दे दी,जिंदगी सारी।।
बनने वाले इस श्री राम मंदिर,पर मे तो जाऊं बलिहारी।
क्योंकि इसमें समाहित है,हिंदुओं की एकता,बहुत भारी।।
इसके निर्माण में,हर हिन्दू का योगदान है,बहुत सुखकारी।
सबने मंदिर के लिए दिये पैसे,बिना अहंकार तलवारी।।
जब बन जायेगा मंदिर,इतिहास में रहेगा बखान जारी।
इसकी शोभा आगे,तो स्वर्ग की सुंदरता भी है,हारी।।
इससे मिलेगा रोज़गार,मिटेगी कुछ तो बेरोजगारी।
जिसने राम में आस्था दिखाई,उसके हनुमंत हितकारी।।
जश्न मनाने की कर लो अब तो सब ही जन तैयारी।
विराजित होंगे,22 जनवरी को प्रभु श्री राम धनुषधारी।।
साथ में होंगे सीता,लखन,भरत,शत्रुघ्न,ओर हनुमंत गदाधारी।
आपकी जय हो,प्रभु श्री राम आप हो भक्तों के हितकारी।।
22 जनवरी को गूजेंगी गगन में जय श्री राम ध्वनि प्यारी।
जिसने सुना और सुनाया उसकी कटी भवबाधा सारी।।
 दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #JaiShreeRam
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

"गुरु गोविंद सिंह जी"
अंधेरे से ले जाते,उजाले की तरफ
गुरु गोविंद सिंह थे,प्रकाशपुंज नभ
चिड़ियों से आप बाज लड़ा देते थे,
आप के करतब थे,गुरुजी गजब
आपका जन्मदिन ऐसे मनाते,हम
घरों को करते,रोशनियों से जगमग
आपका जन्मदिन कहते,प्रकाशपर्व
आपने चलना सिखाया,रोशनी तरफ
आप थे,सिख्खों के गुरु जी दशम
आपने मुगलों को सिखाया,सबक
धर्म खातिर शहीद हुए,साहिबजादे
उनकी याद में मनाते,हम बालदिवस
गुरु गोविंद सिंह थे,ऐसे सद्गुरु समर्थ
चिड़ियों नूं बाज,बनाते अजब-गजब
आपने,स्थापना की थी,खालसा पंथ
जिसमे धर्म ख़ातिर,लड़ते योद्धा सब
केश,कड़ा,कच्छा,कृपाण ओर कंघा
आपने बताया,पंच ककार का तप
अन्याय का आप तो प्रतिकार करो,
चाहे करवाना पड़े,अपना सर कलम
गुरुजी की जिंदगी,इसका उदाहरण
उन्होंने धर्म के खातिर लिया,जन्म
मुगलों के ख़िलाफ़ लड़े,जीवनभर
परिवार को किया,भारत माँ को अर्पण
चमतकौर के युद्ध में 42 सिख्खों ने,
10 लाख मुगलों को दिया था,पटक
अंधेरे से ले जाते,उजाले की तरफ
गुरु गोविंद सिंह,आप हो हमारे रब
आओ इनकी शिक्षा ग्रहण करे,सब
झूठ,अधर्म के बंद कर दे,सब लब
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #swiftbirdगुरु गोविंद सिंह जी

#swiftbirdगुरु गोविंद सिंह जी #Poetry

17 Love

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

"सुधर जाओ"
जो विद्यार्थी किनारे के आसपास सुधर जाओ
अनुतीर्ण होने के दरिया में डूबने से बच जाओ

जो विद्यार्थी अनुतीर्ण होने के बहुत नजदीक है,
वो ओर ज्यादा सुधकर,अपना भविष्य बचाओ

जो अर्द्धवार्षिक में,उतीर्ण हुए,ज्यादा न इतराओ
गणित विषय पर जरा सा भी रहम तुम न खाओ

करो परिश्रम,न करो किसी बात का गम विद्यार्थियों
शूल जैसे विद्यार्थी जीवन में गुलाब जैसे मुस्कुराओ

आर्यभट्ट वंशज,तुम भारतीय हो,यह न भूल जाओ
अथक परिश्रम से,तुम आसमां के तारे गिन जाओ
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #स्टूडेंट लाइफ
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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

"हवाई जहाज उड़ाना"
वो कागज का हवाई जहाज बनाकर उड़ाना
वो भी क्या खूब था,हमारे बचपन का ज़माना
साथ मे खेलना,रूठना ओर लड़ना फिर मनाना
हमारे समय तो नही था,नफरतों का कोई गाना
बंद हुआ,आज खेल मैदान में हमारा आना-जाना
बंद हुआ,आज आकाश में हवाई जहाज उड़ाना
आधुनिकता की दौड़ में,भूल गये बचपन पुराना
जबसे आया विध्वंसकारी,मोबाइल का ज़माना
तब से खो गया किसी अंधेरे में बचपन सुहाना
मैंने मोबाइल को सब रिश्तों का कातिल माना
आज बचपन को निगल गया मोबाइल सयाना
गर साखी फिर से चाहता,सुहाना बचपन लौटना
तोड़ भले ही नही,छोड़ व्यर्थ में मोबाइल चलाना
गर मोबाइल से निकल,दोस्तों में रखे आना-जाना
फिर तो लौट आएगा फिर से बचपन का ज़माना
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #udaan
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