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साधना कृष्ण

कवयित्री, समीक्षक ,समाजसेवा

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साधना कृष्ण

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साधना कृष्ण

एक प्यारी सी ग़ज़ल आपकी आँखों पर......

ग़म पीती  तो  रोती आँखें।
सुख में खुद को धोती आँखें।।
●●●●●●●●●●●●●●
गुपचुप-  गुपचुप करती बातें।
मन  का दर्पण   होती  आँखें।।
●●●●●●●●●●●●●●
गीत गजल कितने लिखवाती।
सपने   बेहद   बोती  आँखें।।
●●●●●●●●●●●●●●
चमचम  करती  सीपी  जैसी।
होती अनुपम  मोती  आँखें।।
●●●●●●●●●●●●●●
कितने  सपने  सजते  रहते।
जगते  जगते  सोती  आँखें।।
●●●●●●●●●●●●●●
लगती  गहरी  झील  सरोवर।
फिर क्यों खुद को खोती आँखें।।
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साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #aashiqui
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साधना कृष्ण

सुप्रभात!

दोहा

सोने सा आकाश है,धरा हरित है आज।
 माटी का कण कण करे,दानवीर सा काज।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #SunSet
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साधना कृष्ण

1.पंखुड़ी की तरह क्यूँ झरूँ रोज मैं।
    आपकी याद में क्यूँ  मरूँ रोज मैं।

2.ज़िदगी तो जली धूप में ही सदा।
    रंग सारे तभी तो भरूँ रोज मैं।।

 3.लोग कहते यही सच सदा बोलिए। 
     झूठ को साँच कैसे करूंँ रोज मैं।।

4.ये जालिम जमाना छले है सदा।
    दिल लगी से तभी तो डरूँ रोज मैं।। 

5.आपकी बात का है असर ये सनम।
सोचकर ही सदा पग धरूँ रोज मैं।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण #phool
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साधना कृष्ण

ग़ज़ल

छोड़ मुझे साजन जाता तब।।
दौड़ उधर ही मन जाता तब।।

चाक जिगर लोहे का होता।
उससे लड़ने घन जाता तब।।

हो जाती गर मुझे मोहब्बत।
मैं भी शायर बन जाता तब।।

इन  पैरों  में होती  दुनिया।
दीन के हक में तन जाता तब।।

खत्म  कहानी   मेरी   होती।
घुन की मानिंद सन जाता तब।।

 याद  हमेशा  ही   आती है।
दूर चला  बचपन जाता तब।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #Parchhai
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साधना कृष्ण

मन गढ़ता ही रहा  लाखों मुर्तियाँ
हथेलियों को मिली छुअन ही नहीं।
आँख मुंदे ही होता दरस आपका।
आपके लायक  यह भुवन ही नहीं।

©साधना कृष्ण
  #RajaRaani
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साधना कृष्ण

सुप्रभात!
दोहा छंद

1.अवनत माथा कीजिए, देवों के दरबार।
नाम अधर पर हो सदा ,उनका ही हर बार।।

2.नाम विधाता का बने, जीवन का आधार।
 वही उबारे भवजाल से,वही लगाये पार।।

3. भवसागर संसार है, ईश नाम पतवार।
रखता जो पकड़े इसे, हो उसका उद्धार।।

4.ईश नाम से कीजिए,रोज दिवस शुरुआत।
खुद ही होगी आप पर,खुशियों की बरसात।।

5.लेकर रब का नाम जो,हो जाते हैं तुष्ट।
मिले सफलता काम में,भय खाते हैं दुष्ट।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #walkalone
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साधना कृष्ण


गीतिका छंद
2122  2122   2122  212

जिंदगी का गीत गाना,है नहीं आसान जी।
है खड़े हर मोड़ पर ही,आज तो हैवान जी।
फेंकते वे जाल ऐसे, हैं  छले जाते सभी।
और खुद को बोलते वो,इस धरा का शान जी।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #Problems
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साधना कृष्ण

सुप्रभात!

किरणों को ले कोख में, रोज पधारे भोर।
 लख के स्वर्णिम भोर को,हुलसे मन का मोर।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #Qala  Tarkeshwar Singh Nirmal

#Qala Tarkeshwar Singh Nirmal #कविता

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साधना कृष्ण

सुप्रभात!

किरणों को ले कोख में, रोज पधारे भोर।
 लख के स्वर्णिम भोर को,हरसे पोर -पोर।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण
  #Qala
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