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mubaraktamboli9243
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रस्ते में नोकीली घाम

झुके हुए कन्धों पे साँसों की गठरी
रस्ते में नोकीली घाम

चाय के प्यालों में माथे की शिकनें
सिमटी हुई कुर्सियाँ
सरहद, सिपाही, गेंहूँ, कबूतर
अख़बार की सुर्खियाँ
सिगरेट की डिबिया में बन्दी सवेरा
लोकल के डिब्बों में शाम

लड़ता-झगड़ता कोई किसी से
बेबात कोई हँसे
सागर किनारे लहरों पर कोई
कंकर से हमला करे
लम्बी सी रस्सी पे कपड़े ही कपड़े
कपड़ों के कोनों में नाम

झुके हुए कन्धों पे साँसों की गठरी
रस्ते

© #together
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आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 
राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें 
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो 
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो 
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो 
आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में 
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो 
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो 
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन 
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो 
ले तो आए शाइरी बाज़ार में राहत मियाँ 
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो|

©Mubarak Tamboli हिंदी शायरी

हिंदी शायरी

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आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 
राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें 
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो 
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो 
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो 
आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में 
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो 
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो 
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन 
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो 
ले तो आए शाइरी बाज़ार में राहत मियाँ 
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो|

©Mubarak Tamboli #coldnights
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अगर आंसुओ कि कीमत होती तो .. 
कल रात वाला तकियां अरबों का होती. #Sunhari_Subh
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