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sagarbouddha2418
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Sagar Borkar

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Sagar Borkar

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Sagar Borkar

*प्रकृति*

सृष्टि का विस्तार प्रकृति,
पृथ्वी का आधार प्रकृति,
तन मन को आनंद देती शृंगार झलक झंकार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

पूजा का व्यवहार प्रकृति,सुखद आकांक्षा का द्वार प्रकृति,
जिसकी सुषमा पर मोहित हो कर रहे मेरा ऐतबार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।


स्नेहा का है दार प्रकृति,परोपकार के लिए तैयार प्रकृति,
संस्कृति को संजोए रखने हर पल बरकरार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

मानवता का संस्कार प्रकृति,प्रेम का शहरयार प्रकृति,
हमे शीतल आँचल दे जो ऐसी अनोखी सरकार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

सजीवों का इकरार प्रकृति,निर्जीवो का निस्सार प्रकृति,
रुह की अमानत बनकर करे हमेशा वह प्यार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

शबनम रंगत गुलबहार प्रकृति,प्रणय का अजब इज़हार प्रकृति,
आरज़ू पूरी जो सबकी करे ऐसी कोमल मददगार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

विकेश की सच्ची निखार प्रकृति,वेणु का मधुर मंगलचार प्रकृति,
सोनल ज्योति को जो दीप्त करे ऐसी अद्भुत चमकदार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

रितु की सुंदर बहार प्रकृति,सागर की कोमल फुहार प्रकृति,
सोनाली को चार चांद लगा दे ऐसी स्वर्णिमा कंचन झार प्रकृति,
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

निशा का निनार प्रकृति,शुभमन प्रवेश का सार प्रकृति,
रजत जैसी आभा को प्रज्वलित करे बारंबार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आभार प्रकृति।

प्रेम का अप्रतिम राजकुमार प्रकृति,अंजना की खुशी का त्यौहार प्रकृति,
सात सुरों से जो दुनिया सॅंवार दे ऐसी अमृतवाणी का व्यवहार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आभार प्रकृति।

बुद्ध की बंदनवार प्रकृति,शिवी के गले का हार प्रकृति,
परमात्मा की अमूल्य निधि का सदैव करे संचार प्रकृति।
सृष्टि का विस्तार प्रकृति,पृथ्वी का आधार प्रकृति।

©Sagar Borkar #Nature


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