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mayakumari7991
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Maya Kumari

Na kr umeed n'a rkh umeed Phir jivan saral ho jayegi

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Maya Kumari

वो मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो।
माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।।

जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था।
जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।।

एक  महकती फूल सी बच्ची पे, ये कैसा अत्याचार हुआ।
एक बच्ची को बचा सके ना, कैसा मुल्क लाचार हुआ।।

उस बच्ची पे जुल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी।
मेरा कलेजा फट जाता है,तो माँ कैसे सोयी होगी।।

जिस मासूम को देखके मन में, प्यार उमड़ के आता है।
देख उसी को मन में कुछ के, हैवान उत्तर क्यों आता है।।

कपड़ो के कारण होते रेप, जो कहे उन्हें बतलाऊ मै।
आखिर  कब तक बच्ची कोा, घर में  रख पाऊँ मै।।

गर अब भी हम ना सुधरे तो, एक दिन ऐसा आएगा।
इस देश को बेटी देने मे, भगवान भी जब घबराएगा।।

उसकी मुट्ठी में बंद है नफरत
बलात्कारी की भूमिका में उतरने के लिये काफी है
कि क्या वह देख पाता है तुम्हारी देह को,

छेदने वाली मशीन की नज़र से,

दाहक गैस लैम्प निगाह से,
अश्लील साहित्य और गन्दी फिल्मों की तर्ज़ पर!

हा  डरती हुँ
खुद 
को
लङकी 
जानकर
,

©Maya Kumari #Sa #poem 
#poet 

#Lights
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Maya Kumari

आज मैंने एक लड़की को सिसकते हुए देखा!

अपने आंसुओं को उसे छुपाते हुए देखा!!
जो कल थी आसमान की पंछी

उसे आज पिंजरे में कैद होते हुए देखा!!
जिन कंधों पे स्कूल का कभी थैला था!

आज उसे , उन्ही कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ उठाते देखा!!
बचपन में खेला करती थी जो कभी गुड़ियों सें..!

उसे आज खिलौना बनते हुए देखा!
कच्ची उम्र में रिश्तो को बोझ उठाते हुऐ देखा!

जो कभी घर की राजकुमारी थी!
उसे रिश्तो में बंधते हुए देखा!!

कभी खुद में मस्त रहा करने वाली को,
आज उसे दूसरों की खुशियां ढूंढते देखा !!


अपनों के लिए खुद उसे मरते हुए देखा !
आज मैंने एक लड़की को औरत बनते देखा!!

कभी खुद मां की ममता में रहने वाली ,
आज उसे अपनो के लिए ममता लुटाते हुए देखा!!

कभी अपने कभी अपनो के लिए,
नदियों की जलधारा में बहते हुऐ देखा!!


हां , आज मैंने एक लड़की को औरत बनते देखा

©Maya Kumari #poem 
#poet 
#Be #Sa 

#Lights
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Maya Kumari

लड़की के पीछे घूमत है
सब लड़के आवारे, 
मन भर जाए तो 
ब्रेकप करके कल्टी वो मारे
हर आशिक़, माशूक़ा को,
समझे बाप की खेती है

अब छोड़ दे पीछे पीछे आना तू
बातें ऐसी मीठी मीठी ना बनाना तू
है मुश्किल, बड़ा मुश्किल
बड़ा मुश्किल है फुसलाना

लड़किया कोई है, 
टिश्यू पेपर नही
जो चल देते है हाथ पोंछ के, 


तेरे फ़ितरत में है धोखा
तेरी नियत में है धोखा
बेवफा के नाम से मशहूर है तू
हा मशहूर बड़ा ही मगरूर है तू

लड़किया भोली भाली
पिघल जाती है,
ये पटा लेते है स्वीट बोलकर

©Maya Kumari #Sa 
#Shayar 
#poem 
#Poet 

#Lights
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Maya Kumari

💢💢वक्त नहीं 💢💢

हर खुशी है लोगों के पास

पर एक हंसी के लिए वक्त नहीं

दिन-रात दौड़ते इस जहां में खुद के लिए वक्त नहीं!!



मां की प्यार की एहसास तो है,

पर मां को मां कहने का वक्त नहीं

सारे रिश्तों को तो हम कब के मार चुके हैं,

इस आपाधापी जीवन में,

अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं!!



बड़ी अचरज की बात है

सारे नाम मोबाइल में है

पर दोस्ती के लिए वक्त नही!!



गैरों की क्या बात करें'

जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं

आंखों में नींद तो बहुत है"

पर सोने का वक्त नही!!



दिल है गमो और दुखों से भरा हुआ'

पर इस आपाधापी में,

रोने का भी वक़्त नहीं!!



पराए एहसासों की क्या बात व कद्र करें'

जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नही!!



तू ही बता ए जिंदगी?

इस जिंदगी का क्या होगा?

कि हर पल मरने वालों को"

जीने के लिए भी वक़्त नहीं!!



तुम ही बताओ जिंदगी तुझे ,जीने के लीऎ वक्त नहीं"

हर खुशी है लोगों के पास,

पर खुद के जीवन के लिए वक्त नहीं!!

©Maya Kumari #Sa 
#Shayar 
#poem 
#Lights
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Maya Kumari

My quty 😘😘😘

My quty 😘😘😘

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Maya Kumari

#Sa 
#Shayar 
#Poet 
#mohabbatein
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Maya Kumari

क्या लिखा है?

हाथों के लकीरों में।

कभी गहरा तो कभी फिका 
उकेरी है इन हथेलियों में में!

कुछ किस्से कुछ सबूत
छुपी है लकीरों में।


रंग उतरे इन लकीरों पर।
कई कहानियां 
जागती इधर-उधर
रात के पहर!

अनायास ही
नजर पड़ती है जब इन पर।

सोचने लगती हूं मैं
क्या कहती है यह लकीरे?

जब से 
जन्म लीया
तब से यूं ही बैठी है इन हाथों पर।


जीती जागती 
कई सड़कों से
मूकदर्शक बनकर।

माया

©Maya Kumari #Sa 
#SAD 
#poem 
#

#Lights
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Maya Kumari

अपना वजूद भुलाकर
  न जाने कितनी तकलीफे भुलाती है..

सलाम है उस मां को
जो
घर को स्वर्ग बनाती है..

©Maya Kumari #maa 
❤️❤️❤️
#Sa 
#poem 

#freebird
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Maya Kumari

एक ख्वाब थी जीवन का
जिसमें साथ हो सब का 

सब
हंसे ,
जग रोए ना!
कोई गम ना  हो अपनों का।

यूं तो हमने कभी सोचा नहीं 
कि इस कदर बिखर जाएंगे 
और उम्मीद ही 
ना रह पाएगी अपनों से अपनों का।

मौसम के इस अदला-बदली में 
कई रंग 
बेरंग लाएगी और अश्क बन कर बहेगी। 
कुछ पुराने पत्तों सी
पलको सा!

देखें अब क्या है ?
इस किस्मत में कुछ अपनो सा!


मुस्कुराहट या फिर कोई नई नुमाइश
जिंदगी के तउल में 
उलझ कर रह गई 
खुद से खुद के सपनों सा!!

माया

©Maya Kumari Aum lokhaha, smsthaha sukhino oo bhabntuu🙏🙏
#Sa 
#SAD 
#will 
#coldmornings

Aum lokhaha, smsthaha sukhino oo bhabntuu🙏🙏 #Sa #SAD #will #coldmornings #कविता

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Maya Kumari

#maa 
#SAD 
#sa
#poetryunplugged
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