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arunupadhyay7502
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Arun Upadhyay

हर वक़्त जो कभी मेरी नज़र में हुआ करता था! वक़्त गुज़र जाता है पर वो अब नज़र नही आता!!

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Arun Upadhyay

क्या मिलेगा? किसी से बैर करके!
अपने ख़ास लोगों को, गैर करके!!

मन परेशां हो, घर से निकल जाना!
बड़ा सुकून मिलता है, सैर करके!!

कोशिश बहुत की, मगर होता नहीं!
मैने देखा है गुजारा, तेरे बगैर करके!!

जिस ओर तेरे आंगन का दरवाजा है!
मैं कभी सोता नहीं, उधर पैर करके!!

तुमसे अभिलाषा क्यों रखे “सावन"!
भूलना मुनासिब समझा, खैर करके!!

©Arun Upadhyay
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Arun Upadhyay

कोई है क्या, जो मेरा ये गम रख ले।
सारा ना रख सके थोड़ा कम रख ले।।

वो कहे कि उसे भी मोहब्बत है मुझसे।
झूठा ही सही, बस मेरा भरम रख ले।।

दर्द से बोझिल होके थक चुके है अब।
मेरे कांंधों पर हाथ अपने नरम रख ले।।

बेख्याल हूं, ज़िंदगी भी उलझी है मेरी।
मुझे देकर सहारा अपना सनम रख ले।।

रहेगा कर्जदार हर जनम उसका “सावन"।
अबकी बार जो दिल में इस जनम रख ले।।

©Arun Upadhyay #boat
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Arun Upadhyay

सुहाना है मौसम, क़लम से ग़ज़ल निकलेगी!
पहाड़ों के बीच से नदी कल-कल निकलेगी!!

होगी बूंदों के साथ एक बरसात और भी यहाँ!
याद आएगी फ़िर आँखों से सजल निकलेंगी!!

मैं बहलाता हूँ मग़र ये नासमझ सुनती ही नहीं!
उसके अंजुमन से होके आरज़ू पागल निकलेगी!!

कब तक रहूंगा बिछड़कर ज़िंदा, बताओ ज़रा!
मेरी जान आज नहीं तो ज़रूर कल निकलेगी!!

है इंतज़ार कि इक़ नज़र देख ले उसको “सावन"!
गाड़ी से चलने वाली कभी तो पैदल निकलेगी!!

©Arun Upadhyay #Saffron
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Arun Upadhyay

तुम्हारे लिए होंगी महज़ कुछ रोज़ की बातें!
यहां हर रात जैसे कई सदियों सी गुजरती है!!

तुम्हें क्या मालूम, क्या हाल है आजकल मेरा!
सहमी साँसे सीने में तेज कटार सी उतरती है!!

ये मौकापरस्ती तुम्हारी और हमारा सादापन!
हमारी सादगी फिर भी गुलिस्तां सी निखरती है!!

तुम जो कहते हो कि बड़ा जिंदादिल इंसान है!
रोज़ हज़ारों ख्वाहिशें उसकी बेमौत मरती है!!

देखकर ख़ौफ़नाक मंजर, इश्क़ के अंजाम का!
 “सावन" की आँखों में आरज़ू पलने से डरती है!!

©Arun Upadhyay #Journey
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Arun Upadhyay

तुमको पलकों पे बिठा लूँ, इजाज़त तो दो!
बढ़कर सीने से लगा लूँ, इजाज़त तो दो!!

तुम जो नख़रे दिखाती हो, सब क़ुबूल है!
तुम्हारे सभी नख़रे उठा लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

कोमल गालों के भंवर, ये नरमी लबों की!
एक तस्वीर में सजा लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

मुझे रंग सांवला पसन्द है, बेइंतहा जाना!
तुम्हारा थोड़ा सा रंग चुरा लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

लिबास में ढका बदन, नादान आरज़ुएँ मेरी!
मूरत अजंता की बना लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

सुनो, कब से तुम्हें छूना चाहता है "सावन"!
आज इन बाजुओं में समा लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

©Arun Upadhyay मुझे रंग सांवला पसन्द है, बेइंतहा जाना!
तुम्हारा थोड़ा सा रंग चुरा लूँ, इज़ाज़त तो दो!!

मुझे रंग सांवला पसन्द है, बेइंतहा जाना! तुम्हारा थोड़ा सा रंग चुरा लूँ, इज़ाज़त तो दो!! #शायरी

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Arun Upadhyay

मेरे बारें में सोचने की ज़हमत ना उठाया कर!
मेरी मोहब्बत पे कोई तोहमत ना लगाया कर!!

मैं दर्दों से घिरा हूँ..अब उन्हें साथ लेकर बैठा हूँ!
मुझे छोड़ मेरे हाल पे तू रहमत ना दिखाया कर!!

©Arun Upadhyay #alone
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Arun Upadhyay

मेरी कहानी औरों से जुदा तो नहीं है!
इन आँखों में आँसू बेवज़ह तो नहीं है!!

नींदें खुल जाती है चौंक कर मेरी!
कहीं तू किसी बात पे खफ़ा तो नहीं है!!

हाँ माना कि तेरा सज़दा करता हूँ!
मग़र याद रख तू कोई ख़ुदा तो नहीं है!!

बुझ गए है चराग़ ना जाने क्यों!
बाहर इतनी भी तेज हवा तो नहीं है!!

एक पेड़ पर दिल बनाया था हमने!
चलो देख आते है वो मिटा तो नहीं है!!

सबको मालूम है, हर कोई वाकिफ़ है!
दर्द मेरा यहाँ ज़माने से छुपा तो नहीं है!!

फिर से बिखरें है ख़्वाब, छोड़ो यारों!
“सावन" के साथ ये पहली दफ़ा तो नहीं है!!

©Arun Upadhyay #tanha
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Arun Upadhyay

हम जिनकी यादों में शमां जलाए बैठे है!
अपनी ख़ुशी के हर पल को भुलाए बैठे है!!

जिन्हें पाने के लिए हमने सब कुछ खो दिया!
वो बेवफ़ा किसी औऱ से दिल लगाए बैठे है!!

©Arun Upadhyay
  #dawnn
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Arun Upadhyay

बिछुड़न  है,  बिखराव  नहीं  है!
अब तुमसे उतना लगाव नहीं है!!

दर्द  होता है  बहुत  कभी  कभी!
मेरे दिल में  मग़र घाव  नहीं  है!!

तुम  आज़ाद  हो  हमारी ज़द से!
हमारे दरमियाँ अब जुड़ाव नहीं है!!

मुझे  शिक़ायत  इन  फूलों  से  है!
खुशबुओं से कोई अलगाव नहीं है!!

रास आ गया ये पतझड़ का मौसम!
बहारों की तरफ़ मेरा झुकाव नहीं है!!

©Arun Upadhyay
  #alone
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Arun Upadhyay

उसको देखे हुए कितनी ही सदियां गुज़र गयी!
एक तस्वीर जो थी उसकी भी चमक उतर गयी!!

मैंने ख्वाबों की दीवारों पे सजाया था जिसे!
छूना जो चाह तो मेरी सारी उम्मीदें बिखर गयी!!

वो हवा के मानिंद मैं ठहरा किसी दरख़्त सा!
कब आई और कब मुझसे होकर गुजर गयी!!

आज जब तन्हा बैठा था उजड़े मकां में अपने!
लगा कि सदायें उसकी मेरे दिल को छूकर गयी!!

ये भरम था मेरा कि वो आसपास है “सावन"!
ख़ूब तलाशा मगर मिली नहीं, जाने किधर गयी!!

©Arun Upadhyay #तस्वीर
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