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supriyaverma8125
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Supriya Verma

The purpose of life is not to be happy..... It is to be useful to be honorable to be compassionate to have it make some difference that you have lived & lived well.....

aayaraavi.blogspot.com

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Supriya Verma

"तुझसे ही है"

"एतबार इंतजार इजहार सब तुझसे ही है,
फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार बस तुझसे ही है।।

जिंदगी की हसीन शामों में संजोया है तुझे,
हसरतों की खुशनुमां वादियों में पिरोया है तुझे,
ख्वाबों की हसीन महफिल में बसाया है तुझे,
जिंदगी की हर सांसों में समाया है तुझे,
अपनी जुबां से कर दू इस चाहत का इज़हार जो सिर्फ़ तुझसे ही है ,
फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार ............. ।।

तेरी कमशिन सी निगाहों की कायल हुई मैं,
जब से दीदार ए वफ़ा प्यार से देखा है तुझे,
डूबी मदहोशियत में छेड़ तराना कोई,
कर लूं में कैद दिल की बंद तिजोरी में तुझे,
करूं मैं एलान- ए- इश्क का इजहार जो सिर्फ तुझसे ही है
फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार ............. ।।

तेरी ख्वाहिश इन हसरतों से वाकिफ हूं मैं,
तेरी उल्फत भरी इन चाहतों से रूबरू हूं मैं,
तेरी नजरों की गहराई से न अंजान हूं मैं,
तुझे झकझोरती यादों को समझती हूं मैं,
फिर भी इन कशमकश भरी तमन्नाओं में मेरे दिल का हकदार सिर्फ तू ही है
फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार ............. ।।"

©Supriya Verma #प्यारऔरमोहब्बत
"एतबार इंतजार इजहार सब तुझसे ही है,
फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार बस तुझसे ही है।।

जिंदगी की हसीन शामों में संजोया है तुझे,
हसरतों की खुशनुमां वादियों में पिरोया है तुझे,
ख्वाबों की हसीन महफिल में बसाया है तुझे,
जिंदगी की हर सांसों में समाया है तुझे,

#प्यारऔरमोहब्बत "एतबार इंतजार इजहार सब तुझसे ही है, फकत इस दिल को बेसब्री से प्यार बस तुझसे ही है।। जिंदगी की हसीन शामों में संजोया है तुझे, हसरतों की खुशनुमां वादियों में पिरोया है तुझे, ख्वाबों की हसीन महफिल में बसाया है तुझे, जिंदगी की हर सांसों में समाया है तुझे, #लव

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Supriya Verma

औरत बँधी है
तीज से , चौथ से,
छठ से, अहोई से,
निर्जल व्रत से,
अर्घ्य से, पारण से,
मन्नत से, मौली से,
टोटके से, संकल्प से
दो गरम फुलकों से
घी से तर हलुए से
मलाई वाले दूध से
इस्त्री किये हुए कपड़ों से
जिल्द लगी किताबों से
सलीके से दौड़ती गृहस्थी से
घड़ी के काँटों से बँधी सहूलियतों से
कुछ खोने के भय से
अपना और अपनों को
संजो-सहेज कर रखने की आदत से
खुद को भूल जाने की खुशी से
थकान से
जिस्मानी हरारत से
संतानों की सुरक्षा और संस्कार से
पति की छाँव में भरे सुकून से
परिवार की धुरी से
अपेक्षाओं से
औरत बंधी है
अंतर्मन से
अपने दिल से
जिम्मेदारी से, और उस पर कमाल ये कि वो केवल और केवल
हाउस-वाइफ कह कर
रख दी जाती है
एक कोने में......

©Supriya Verma औरत बँधी है
तीज से , चौथ से,
छठ से, अहोई से,
निर्जल व्रत से,
अर्घ्य से, पारण से,
मन्नत से, मौली से,
टोटके से, संकल्प से
दो गरम फुलकों से

औरत बँधी है तीज से , चौथ से, छठ से, अहोई से, निर्जल व्रत से, अर्घ्य से, पारण से, मन्नत से, मौली से, टोटके से, संकल्प से दो गरम फुलकों से #कविता #Ray

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Supriya Verma

औरत बँधी है
तीज से , चौथ से,
छठ से, अहोई से,
निर्जल व्रत से,
अर्घ्य से, पारण से,
मन्नत से, मौली से,
टोटके से, संकल्प से
दो गरम फुलकों से
घी से तर हलुए से
मलाई वाले दूध से
इस्त्री किये हुए कपड़ों से
जिल्द लगी किताबों से
सलीके से दौड़ती गृहस्थी से
घड़ी के काँटों से बँधी सहूलियतों से
कुछ खोने के भय से
अपना और अपनों को
संजो-सहेज कर रखने की आदत से
खुद को भूल जाने की खुशी से
थकान से
जिस्मानी हरारत से
संतानों की सुरक्षा और संस्कार से
पति की छाँव में भरे सुकून से
परिवार की धुरी से
अपेक्षाओं से
औरत बंधी है
अंतर्मन से
अपने दिल से
जिम्मेदारी से, और उस पर कमाल ये कि वो केवल और केवल
हाउस-वाइफ कह कर
रख दी जाती है
एक कोने में......

©Supriya Verma औरत बँधी है
तीज से , चौथ से,
छठ से, अहोई से,
निर्जल व्रत से,
अर्घ्य से, पारण से,
मन्नत से, मौली से,
टोटके से, संकल्प से
दो गरम फुलकों से

औरत बँधी है तीज से , चौथ से, छठ से, अहोई से, निर्जल व्रत से, अर्घ्य से, पारण से, मन्नत से, मौली से, टोटके से, संकल्प से दो गरम फुलकों से #कविता #Ray

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Supriya Verma

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहले-सी शिद्दत नहीं रही

जहन में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुक़ूमत नहीं रही

पैहम तवाफ़े-कूचा-ए-जानाँ के दिन गए
जख्मों को खा के हसने की ताक़त नहीं रही

चेहरे की बेबसी ने भयानक बना दिया
आईना भी देखने की अब हिम्मत नहीं रही

कमज़ोरी-ए-निगाह ने संजीदा कर दिया
ख्वाबों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही

भगवान ही जाने  ये मौत कहाँ मर गई 
अब मुझको ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही।

©Supriya Verma
  #bebasi
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Supriya Verma

उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है,
मैने उन आँखों में दुनिया देखी है,

जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था,
वो मेरी इक ग़लती पकड़े बैठे है

चोट लगी पर ज़ख्म का न अहसास हुआ
खुशियों की उम्मीद लगा कर बैठे है,

आँख से निकला तब मुझको मालूम हुआ,
ख़्वाब की अर्थी पानी जैसी होता है

सन नब्बे में वो दुनिया में आया था।
सत्तानबे से शाम ये बहकी बहकी है

वो कहता है मर जाएगा मेरे बिन,
कोई बतलाना वो अब कैसे जीता है

उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है,
मैने उन आँखों में दुनिया देखी है,

©Supriya Verma उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है,
मैने उन आँखों में दुनिया देखी है,

जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था,
वो मेरी इक ग़लती पकड़े बैठे है

चोट लगी पर ज़ख्म का न अहसास हुआ
खुशियों की उम्मीद लगा कर बैठे है,

उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है, मैने उन आँखों में दुनिया देखी है, जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था, वो मेरी इक ग़लती पकड़े बैठे है चोट लगी पर ज़ख्म का न अहसास हुआ खुशियों की उम्मीद लगा कर बैठे है, #alone #शायरी

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Supriya Verma

इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो
तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो

होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या
माथा चूम कर,क्यू गले लगते हो

यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा
देखने में,इंसान तो भले लगते हो

तुम्हे क्या पता,दिल कहतें हैं इसे
तुम जो खिलोने, बेचने लगते हो

सच्चा इश्क़ ही तो, मांगा है मैंने 
हर बार ये क्या, सोचने लगते हो

उदास हो कर कहते हैं,अलविदा
जब तुम ये,घड़ी देखने लगते हो

के कुछ पहेलियां भी,समझा करो
तुम मतलब,क्यों पूछने लगते हो

कोई ख्याल बचा कर,रखो 
तुम तो बस,कलम ढूढने लगते हो

जब भी आता है कोई सवाल जुबां पर मेरे
नज़र झुकाकर मुंह क्यूं फेर लेते हो।

©Supriya Verma इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो
तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो

होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या
माथा चूम कर,क्यू गले लगते हो

यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा
देखने में,इंसान तो भले लगते हो

इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या माथा चूम कर,क्यू गले लगते हो यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा देखने में,इंसान तो भले लगते हो #betrayal #शायरी

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Supriya Verma

My last wish for 2021
**About My Death**
I don't want to see it coming like late summer ,
roses waiting to bloom
or a highway I remember in Spain, 
a giant black cutout bull
as a hilltop billboard. 
Instead let me be half asleep,
the Never and Forever twins,
 one in a brown dress, one in blue,
steeped in the shadows of my room,
 the air replacing my breath
with flow and husk, 
and then the sound.
Let me leave each twin a gift:
 a milky quartz on the night table,
my worn gold wedding ring.
I want asleep in deep sound ,
and never came to close my eyes,
 again in this world ,
Please god bless me ,
I am assure ,I never ask anything ,
from u again .
Promise

©Supriya Verma #my_burnt_diary 
My last wish for 2021
**About My Death**

I don't want to see it coming like late summer ,
roses waiting to bloom
or a highway I remember in Spain, 
a giant black cutout bull

#my_burnt_diary My last wish for 2021 **About My Death** I don't want to see it coming like late summer , roses waiting to bloom or a highway I remember in Spain, a giant black cutout bull #Life_experience

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Supriya Verma

तेरे लिए सब छोड़ के तेरी न रही मैं 
दुनिया भी गई इश्क में तुझ से भी गयी मैं।
इक सोच में गुम हूँ तिरी दीवार से लग कर 
मंज़िल पे पहुँच कर भी ठिकाने न लगी मैं।
वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को 
ये उस का करम है कि तुझे याद रही मैं।
इस तरह से मुझे खोखला कर रक्खा था ग़म ने 
लगता था गयी अब के गयी अब के गयी मैं।
इक धोके में दुनिया ने मिरी राय तलब की 
कहते थे कि पत्थर हूँ मगर बोल थी पड़ी मैं।
अब तैश में आते ही पकड़ लेती हूँ पाँव
इस इश्क से पहले कभी ऐसी तो न थी मैं।.......

©Supriya Verma तेरे लिए सब छोड़ के तेरी न रही मैं 
दुनिया भी गई इश्क में तुझ से भी गयी मैं।
इक सोच में गुम हूँ तिरी दीवार से लग कर 
मंज़िल पे पहुँच कर भी ठिकाने न लगी मैं।
वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को 
ये उस का करम है कि तुझे याद रही मैं।
इस तरह से मुझे खोखला कर रक्खा था ग़म ने 
लगता था गयी अब के गयी अब के गयी मैं।

तेरे लिए सब छोड़ के तेरी न रही मैं दुनिया भी गई इश्क में तुझ से भी गयी मैं। इक सोच में गुम हूँ तिरी दीवार से लग कर मंज़िल पे पहुँच कर भी ठिकाने न लगी मैं। वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को ये उस का करम है कि तुझे याद रही मैं। इस तरह से मुझे खोखला कर रक्खा था ग़म ने लगता था गयी अब के गयी अब के गयी मैं। #freebird #Izhaar–e–mohabbat #Life_experience

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Supriya Verma

**तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर।
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने की कोशिश न कर।
चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने की कोशिश न कर।
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने 
की कोशिश न कर।
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे, खामख्वाह खुद से लड़ने की
 कोशिश न कर।
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद सुलझाने की 
कोशिश न कर।
जो मिल गया उसी में खुश रह, जो सकून छीन ले वो पाने की
 कोशिश न कर।
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा, मंजिल पर जल्दी पहुचने की
 कोशिश न कर....।**

©Supriya Verma #ज़िन्दगी 
#ख्वाहिशें 
तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर।
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने की कोशिश न कर।
चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने की कोशिश न कर।
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने 
की कोशिश न कर।
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे, खामख्वाह खुद से लड़ने की

#ज़िन्दगी #ख्वाहिशें तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर। सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने की कोशिश न कर। चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने की कोशिश न कर। अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर। मन में चल रहे युद्ध को विराम दे, खामख्वाह खुद से लड़ने की

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Supriya Verma

प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये ,प्यार की छांव में मुझको विश्राम दे।
मैं हूं राही भटकटी रही जिस लिए, सूर्य ढलने को है वह ह सीं शाम दे।
ऐ उजालों जरा; वस्त्र को डालिए, हर किसी को नहीं रौशनी चाहिए।
चैन भी दे सके रैन भी दे सके, जिंदगी को एक ऐसा धनी चाहिए।
कंठ मेरे तेरे रो लिए हैं बहुत ,पास आके इन्हें अब तो आराम दे।
प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये... बाँह की छांव में मुझको विश्राम दे।
है बहकती पवन गंध तेरे लिए, वह तुझे भूल जाए ये मुमकिन नहीं।
मंदिरों में सुबह जब बजे घंटियां ,नाम तेरा ना लूं ऐसा मुमकिन नहीं।
एक दूजे को हम;देवता मान लें, जिंदगी के लिए एक नया धाम दे।
प्यार में चल के मैं थक गयी हूं प्रिये ...बांह की छांव में मुझको विश्राम दे।
जब फुहारों की चाहत में बैठे रहे ,अब घटाएं चढ़ी तो कहां चल दिए।
 कुछ पुरानी किताबों में ख़त जो मिले,खोलकर चूम करके कहां रख लिए।
 वृंदावन मौन है राधिका मौन है , बासुरी की मधुर गान घनश्याम दे।
 प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये..... बाँह की छांव में मुझको विश्राम दे।

...….......for *** #Hopeless प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये ,प्यार की छांव में मुझको विश्राम दे।
मैं हूं राही भटकटी रही जिस लिए, सूर्य ढलने को है वह ह सीं शाम दे।
ऐ उजालों जरा; वस्त्र को डालिए, हर किसी को नहीं रौशनी चाहिए।
चैन भी दे सके रैन भी दे सके, जिंदगी को एक ऐसा धनी चाहिए।
कंठ मेरे तेरे रो लिए हैं बहुत ,पास आके इन्हें अब तो आराम दे।
प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये... बाँह की छांव में मुझको विश्राम दे।
है बहकती पवन गंध तेरे लिए, वह तुझे भूल जाए ये मुमकिन नहीं।
मंदिरों में सुबह जब बजे घंटियां ,नाम त

#Hopeless प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये ,प्यार की छांव में मुझको विश्राम दे। मैं हूं राही भटकटी रही जिस लिए, सूर्य ढलने को है वह ह सीं शाम दे। ऐ उजालों जरा; वस्त्र को डालिए, हर किसी को नहीं रौशनी चाहिए। चैन भी दे सके रैन भी दे सके, जिंदगी को एक ऐसा धनी चाहिए। कंठ मेरे तेरे रो लिए हैं बहुत ,पास आके इन्हें अब तो आराम दे। प्यार में चलके मैं थक गयी हूं प्रिये... बाँह की छांव में मुझको विश्राम दे। है बहकती पवन गंध तेरे लिए, वह तुझे भूल जाए ये मुमकिन नहीं। मंदिरों में सुबह जब बजे घंटियां ,नाम त

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