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amitnegi5097
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amit negi

Actor by Heart , writter by emotions

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amit negi

ये कैसा प्यार है मेरा 
जो तुझपे इतना गुस्सा करता है
जब भी तुझ से लड़ता है फिर तेरी ही क्यों परवा करता है
तुझ बिन रह नहीं पता
फिर दूर जाने से क्यों डरता है 
                             
                             -Oshni #love#poem#poet#romance
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amit negi

अक़्सर भूल जाती हूं
जब तेरे खयालो में खो जाती हूं
मैं खुद ही खुद को
खुद के बारे में बताती हूं

                       - Oshni #love#sad#romance#music#poem#nojoto
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amit negi

मैं दो नज़र से एक जहान देखता हूं
कभी ज़मीन तो कभी आसमान देखता हूं

रोज भीड़ में एक अनजान चेहरा देखता हूं
कभी रोता हुआ ,कभी हँसता हुआ एक इंसान देखता हूं

रिश्तों में उलझते परिवार को देखता हूं
कभी दुख तो कभी सुख छाओ को देखता हूं

जीवन की आपाधापी में व्यस्त हुए इंसान को देखता हूं
कभी नौकरी तोह कभी व्यापर देखता हूं

मासूम बच्चों की आँखों में एक सपना देखता हूं
कभी हाथ खाली तो कभी एक हाथ में कलम देखता हूं
कभी जीवन की निराशा, तो कभी एक आशा देखता हूं

सुबह स्कूल जाते हुए बच्चो को देखता हूं
कभी स्कूल की टूटी दीवार, तो कभी स्कूल की ऊंची मीनार देखता हूं

भूख प्यास से तड़पते इंसान को देखता हूं
कभी हाथ में एक रोटी,तो कभी शाही भोज देखता हूं

हर दिन हिन्दू मुस्लमान को देखता हूं
कभी एक हाथ में तलवार, तो कभी एक हाथ में गीता कुरान देखता हूं

रोज किसी प्यारी लड़की की मुस्कान देखता हूं
कभी एक दरिंदा, तो कभी एक हम सफर को देखता हूं

मिट्टी से बना एक घरोंदा देखता हूं
कभी बिखरा हुआ ,तो कभी एक छोटा मकान देखता हूं

ग़म के बादल देखता हूं, सुख की बरसात देखता हूं
कभी एक किरण तो कभी एक लो देखता हूं

इश्क़ में डूबे इंसान को देखता हूं
कभी किसी को पाने की चाह रखता हूं
कभी तेरी दो आँखों और गोल से चेहरे पर प्यारी सी मीठी मुस्कान देखता हूं ,तुझ से दूर चले जाने से में डरता हूं 

मैं दो नज़र से एक जहान देखता हूं
कभी ज़मीन तो कभी आसमान देखता हूं #poem#nojoto#writer#sad#love
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amit negi

मैं दो नज़र से एक जहान देखता हूं
कभी ज़मीन तो कभी आसमान देखता हूं

रोज भीड़ में एक अनजान चेहरा देखता हूं
कभी रोता हुआ ,कभी हँसता हुआ एक इंसान देखता हूं

रिश्तों में उलझते परिवार को देखता हूं
कभी दुख तो कभी सुख छाओ को देखता हूं

जीवन की आपाधापी में व्यस्त हुए इंसान को देखता हूं
कभी नौकरी तोह कभी व्यापर देखता हूं

मासूम बच्चों की आँखों में एक सपना देखता हूं
कभी हाथ खाली तो कभी एक हाथ में कलम देखता हूं
कभी जीवन की निराशा, तो कभी एक आशा देखता हूं

 मिट्टी से बना एक घरोंदा देखता हूं
कभी बिखरा हुआ ,तो कभी एक छोटा मकान देखता हूं

ग़म के बादल देखता हूं, सुख की बरसात देखता हूं
कभी एक किरण तो कभी एक लो देखता हूं

इश्क़ में डूबे इंसान को देखता हूं
कभी किसी को पाने की चाह रखता हूं
कभी तेरी दो आँखों और गोल से चेहरे पर प्यारी सी मीठी मुस्कान देखता हूं

मैं दो नज़र से एक जहान देखता हूं
कभी ज़मीन तो कभी आसमान देखता हूं #writer#poem#poet#love#nojoto
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amit negi

मैं बनूंगा एक ख़्वाब रेशम की डोरी में
जहाँ बरसेंगे आसमान में सपनों के झरने
इंद्रधनुष का हर रंग होगा ,एक ख़्वाब का
रंगों की मेहराब में एक नए रंग का ख़्वाब देखूंगा
पंछियो की उड़ान में, पुरे होते एक ख़्वाब को देखूंगा
सूरज की हर किरण में जीवन का एक ख़्वाब  बनूंगा,ख़्वाब के सच होने का असहास बनूंगा
बारिश की बूंद से मैं एक मोतियों का हार बनूंगा
मैं सिर्फ बनूंगा एक ख़्वाब तेरे संग एक रेशम की डोरी में #feeling#romance#poem#poet#writer#love
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amit negi

प्यार है तू मेरा इसलिए तू खास है
जिस पे हम मरते है वो मेरे साथ है
वो मेरे पास है
हम दो ज़िस्म एक जान है
प्यार है तू मेरा इसलिए तू खास है
                                   -Oshni #love#poem#poet#romance
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amit negi

मैं चाँद देखूंगा एक नहीं सौ बार देखूंगा
दिल के एक कोरे कागज़ पर तेरे नाम का एक हर्फ़ लिखूंगा
आसमान से बरसती बारिश की हर बूंदों में,मैं अक्स को खोजूंगा  
कौस-ए-कुज़ह की हसीन रंगों मेहराब के हर रंग में तुझ को खोजूंगा
खिले हुए फूलों की खुशबू में मैं तेरी महक ढ़ढूग
तेरे खनकते पायल कंगन की छनकार में।मैं तेरे आवाज़ को खोजूंगा
मैं चाँद एक बार नहीं सौ बार देखूंगा। हर चाँद,तारे में तेरा अक्स बार बार देखूंगा #love#poet#poem#writer
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amit negi

चाँदनी रात में पहेली मुलाकात का होना लाज़मी था
जब थामा था गर्दिश में मेरा हाथ।
चांदनी रात में सपनों का सच होना लाज़मी था
जब चले सुनहरे सफ़र पर एक दूसरे के साथ
चांदनी रात में पहेली बार जब तुमने थामा मेरा हाथ,मिली नसीब में एक रोटी
जब खाए हम दोनों मिलकर एक साथ, जैसे आधी रोटी पूरा चाँद #love#writer#sad#poem
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amit negi

थे तुम्हारे पास  अब हूँ बहुत दूर।
एक नदी के दो किनारे मिलने से मजबूर #love#shyari#writer
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amit negi

एक हुक सा दिल में होता है एक दर्द जिगर में होता है
मैं रात को उठ कर रोता हूँ जब सारा आलम सोता है #poem#poet#stroy#writer#shyari
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