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rakeshmehra2564
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rakesh mehra

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rakesh mehra

उस रात बरोट में नदी किनारे, कैंप में रात बिताते वक़्त मैंने एक आग जलाई थी ,
कहने को तो सिर्फ कुछ लकड़िया इकट्ठी करि और उनको जलाया था , लेकिन उस थोड़े वक़्त में मुझे जैसे अपना जीवन नज़र आया था। 
आधी सूखी और आधी गीली लकडियो को , बडे बेतरतीब ढंग से एक के ऊपर एक रखा था ,
कुछ ईंटो को खड़ा करके , एक चूल्हा सा बनाया था , अपनी ज़िन्दगी को सजाने का अनाड़ीपन सा सारा उस चूल्हे में उतर आया था , 
फिर शुरू हुई थी कोशिशें उन लकडियो को जलाने की , जैसे अक्सर ही करता हु कोशिशें अपने ख्वाबो को सजाने की ,
बार-२ हताश हुआ , परेशान हुआ , लेकिन उन लकडियो ने आग नहीं पकड़ी ,
कुछ देर के लिए जली लेकिन फिर जैसे मुझ पर हँसती हुई बुझ गयी ,
फिर कही से थोड़ा सा तेल लाया मैं ,
जैसे तुम्हारा प्यार मेरे जीवन में , 
उस तेल में भीगे कपडे को लकडियो में रख कर जैसे ही आग दिखाई ,
एक के बाद एक सारी लकड़िया जलने को उतर आयी ,
रात १ बजे तक बैठे रहे फिर उस आग के किनारे ,
मैंने देखता रहा तुम्हारा चेहरा उस आग में कभी बनते , कभी बिगड़ते हुए ,
सुबह जब उठ कर देखा उस चूल्हे को तो अब लकड़िया कही नहीं बची थी ,
सिर्फ राख थी वहाँ , सिर्फ राख ,
मुझे लगा यही मेरी किस्मत है बस,  कुछ पल का सुकून और फिर राख हो जाना है मुझे भी ,
ईंटो के किनारे सब काले पड़ चुके थे, राख के टुकड़ो को टटोलने लगा मैं एक और लकड़ी के सहारे ,
तभी राख के नीचे दबे मिले कुछ अंगारे , थोड़ा और साफ़ किया तो , वो जैसे हलके हलके मुस्का रहे थे मुझे देख कर, 

और साफ़ किया तो उन अंगारो में अभी आग बाकी थी , जो काफी थी हाथो को गर्म करने के लिए ,
अंगारो में दबी आग फिर एहसास करा गयी तुम्हारा मुझे , जब कोई न होगा साथ , जब मैं भी खुद के साथ न रहूँगा, तब तुम रहोगी साथ मेरे लिए ,
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rakesh mehra

मैं जलते अलाव सा हूँ खड़ा, आओ अपनी सर्दी सेक तो लो,
तुम हो हीटर की शौक़ीन सही, कभी मेरा साथ भी देख तो लो,
मैं आखिर तक साथ रहूँगा, कभी बुझी हुई राख टटोल तो लो,
मुझे जरूरत नहीं किसी बिजली की, बस छुअन तुम्हारी काफी है,
हसरतो को रख कर परे कभी, कभी दिल से मुझे तोल तो लो,
मैं अंत तक रहूँगा साथ तुम्हारे, चाहे जिस्म ना रहे ना साँसे रहे,
कभी सुबह सुलगते अंगारो को, किसी लकड़ी से खोल तो  लो,
मेरी धड़कन मेरा वजूद मेरा होना सिर्फ तुमसे है,
सिर्फ एक बार कभी एक बार , मुझे खुद से जोड़ कर सोच तो लो,
मैं जलते अलाव सा हूँ खड़ा, आओ अपनी सर्दी सेक तो लो,
तुम हो हीटर की शौक़ीन सही, कभी मेरा साथ भी देख तो लो

राकेश मेहरा "राम'
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rakesh mehra

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rakesh mehra

 childhood thoughts

childhood thoughts #nojotophoto

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rakesh mehra

थोड़े भूले से थोड़े याद से

थोड़े भूले से थोड़े याद से

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rakesh mehra

हाँ मैं डरता हूँ

हाँ मैं डरता हूँ #विचार

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rakesh mehra

तेरी खुशिया मैं बनु , तेरे दर्द में रो सकु, 

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु , 

तू मुझमे खो सके , मैं तुझमे खो सकु,  

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु , 


मेरे सपनो में हो तुम , मेरी आँखों में बसे,

मेरी हर धड़कन तुमसे , हर सांस तुमसे चले ,

कभी इक नज़र तो देखो , कैसे जीता हु यहाँ ,

तुम्हारे इंतज़ार में , मेरे रात दिन है जले , 


तेरी खुशिया मैं बनु , तेरे दर्द में रो सकु, 

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु , 



तू जिए मेरे लिए , मैं तेरे लिए ही जीयु ,

तुझे सोचू, तुझसे देखू , तेरा इश्क़ ही मैं पीयू, 

मुझे दुनिया की नहीं है खबर, जब से तेरे इश्क़ में मैं गिरा ,

टूटा मैं बिखरा, अब आ जोड़ दे खुद से तू , 


तेरी खुशिया मैं बनु , तेरे दर्द में रो सकु, 

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु , 

तू मुझमे खो सके , मैं तुझमे खो सकु,  

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु



राकेश मेहरा "राम" बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु 

बस इतनी है ख्वाहिश , मैं तेरा हो सकु  #शायरी

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rakesh mehra

यु छोड़ कर चल दिए हो जो हाथ तुम , कोई कसूर तो मेरा कर जाते बयान ,

बड़े नाज़ुक से धागे थे जो बाँध कर रखे थे , आज बिखरे हुए है तेरे मेरे दरम्यान ,

 

इक अजनबी सी कशिश थी , इक सिरहन सी होती थी ,

जाने अनजाने तुम छु लेती थी मुझे और बढ़ जाती थी नज़दीकियां ,

अब तो जैसे खामोश अँधेरा सा पसरा है , न मैं हु न तुम हो यहाँ ,

 

बड़े नाज़ुक से धागे थे जो बाँध कर रखे थे , आज बिखरे हुए है तेरे मेरे दरम्यान ,

 

तेरी इक मुस्कराहट में मिल जाती थी , मुझे अपनी सारी दुनिया ,

किसी खिलते फूल किसी मासूम सी दुआ में , कितनी सस्ती थी दिल की खुशिया,

पर अब ज़ख्म है हाथो में , जो उठते है तेरे लिए , जाने क्यों नहीं क़ुबूल होती मेरी दुआ ,

 

बड़े नाज़ुक से धागे थे जो बाँध कर रखे थे , आज बिखरे हुए है तेरे मेरे दरम्यान ,  


राकेश मेहरा "राम"  नाज़ुक धागे

नाज़ुक धागे #कविता

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rakesh mehra

एक सौदा

एक सौदा

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rakesh mehra

एक एक दिन की उम्मीद में दिन कैसे काटू

एक एक दिन की उम्मीद में दिन कैसे काटू #विचार

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