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jagjeetsinghtome9298
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Liberal Confinement

Things to learn.... To love..... To live.... And to go with the flow....

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Liberal Confinement

सवाल ए मोहब्बत तो होना ही था।
इस सूखे हुए दिल को खोना ही था।
जानबूझ कर तुम्हे बहुत रोना भी था।
जानबूझ कर रातों को जागना भी था।
कोई दीवाना ही करता रेगिस्तान में खेती,
यूं जड़ें  ए शमशाम जोर से हिलाना ही था।
जो बज उठे इस सूने दिल के तार सभी,
खामोश  सी गूंजें, खुमारी: बरसों तक होना ही था।
बेइंतहा दर्द हैं ये जीने के सहारे, बड़ी कमी!
बेहाली बेवजह ज़माने को तो लगना ही था!!
बयां कर गया जो सारी हकीकत ही,
वो वक्त आना भी था, जाना भी था!!
इक नज़र का दूसरी आंख में समा जाना,
बीते कल का आज, फिर ताज़ा आज हो जाना,
इक मोहब्बत दूसरे दिल में हूबहू पा जाना,
ये कमाल, ए आशिक, तुझे ता उम्र, अब धोना ही था!!

©Liberal Confinement #सवाल 

#Lumi
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Liberal Confinement

बची- कुची यादों से गुज़ारा करता हूँ 
शाम होते ही तुम को पुकारा करता हूँ

उम्मीदों के तिनके बिखरे चारों ओर 
ना जाने क्यूँ घर को सँवारा करता हूँ

आते-जाते लोग टटोला करते हैं अब
 किसी बहाने उन से किनारा करता हूँ

चाँदनी रातों से अब चैन नहीं मिलता
काली घटाओं को मैं इशारा करता हूँ

ग़म ले डूबा तोहमत लगी है मय पर
ज़हर को लोगों ज़हर से मारा करता हूँ

सूनी दीवारों का सहारा करता हूँ 
सोते जागते ख़्वाब तुम्हारा करता हूँ

©Liberal Confinement Ghazal 

#Starss

Ghazal #Starss

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Liberal Confinement

कविता-लेखन बहुत कठिन है दम लगता है बाबू जी 
उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

ख़ुद पवन-वेग उल्टा हो जाए बाल जो पीछे फेंके है 
जब झटक के गर्दन ज़ुल्फ़ सँवारे वक़्त ठहर कर देखे है
 हर शाम रसोई में थक हमको इत्मीनान से सोचे वो
 फिर कमर में साड़ी खोंस के उल्टे हाथ से माथा पोछे वो
 उसके छूने से ज़ख्मों पर मरहम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

जाने क्यूँ उसके इर्द-गिर्द हर दौर शराबी लगता है 
उसकी आँखों में घुलकर काजल और गुलाबी लगता है
 हर शाम तमन्ना रहती है फिर नैन निहारें उसके हम 
आग़ोश में उसकी सर रख दें और केश सँवारे उसके हम 
उन होठों पर ठहरा क़तरा शबनम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

बारिश में बाल झटक दोहरी बरसात करे तो जन्नत है
 फिर ज़ुल्फ़ को कान के पीछे लाकर बात करे तो जन्नत है
 वो शर्म को ओढ़े हमको अपने पास बिठाले जन्नत है
 फिर नज़र मिलाए नज़र मिलाकर नज़र झुकाले जन्नत है 
जब साथ चले तो स्याह सफ़र पूनम लगता है बाबू जी 
उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

©Liberal Confinement #liberal_condinement #parrizzad #ansh 

#leaf
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Liberal Confinement

तेरा होना एक संघर्ष था 
तेरा देखना मेरी जीत है।

तेरा ख्याल एक ख्वाब था 
तेरी बातें सब संगीत है... |

तुझे पढ़ना होकर प्रीतमय
 तुझे लिखना भी एक रीत है।

तेरी मुस्कराहट मासूम थी
तेरी सादगी अभिजीत है।

©Liberal Confinement #live#love

#liberal_condinement #parrizzad 
#selfhate
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Liberal Confinement

एक आत्मा एक हृदय
एक देह
मिल  सकते हैं
है संदेह
एक आत्मा एक हृदय
हो समन्वय
है संदेह
मिल सकते है 
मिल सकते हैं
एक आत्मा एक हृदय
एक देह
हो सकते है!
हो सकते हैं?
हो सकते हैं।।

©Liberal Confinement #parrizzad #ansh #liberal_condinement 
#ValentinesDay
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Liberal Confinement

सीख कर गई है यूँ खामोश रहना मुझसे,
मेरी अपनी तन्हाई मुझे खुदा मानती है...!

©Liberal Confinement #parrizzad #ansh #liberal_condinement 
#priya_sethi_batra
#caged
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Liberal Confinement

मेरे जाने का जब भी कभी खयाल आए,
सोचना फिर न कभी ऐसा खयाल आए,
कि जाने से मेरे ये तेरी सांसें थम जाएं
और फिर तन्हाई में कुछ सवाल सताएं।
ज़िंदा रहने को महज़ सांसें काफी नहीं
हसरतें न हों तो सांसें जैसे लाश में कहीं।
सच है, बिन अंकुश के परिंदा भी
परिंदा कहां, है आज़ाद सही!
खुद से मिलकर जो खिला था
वो धड़कन थी, खुदा दिखा था।
फेरा न लिया, पर एक हुआ था,
 दिल जान का यूं साथ हुआ था।
आंखों की नमी, लबों की हंसी, 
सब तुमसे ही,सब तुमसे थी।
बाहों में होऊं,खयालों में हूं तेरी
खुशी दिल में हो, सांसों में तेरी।
फरियाद, इबादत, दुआ खुदा से ही कर
में इश्क हूं तेरा, यूं सदा रहने दे बनकर।
ना सुकूं, न सांसें, न  मैं हमसफर ।
मैं हू तेरी, तेरी राह, तेरा हर सफर।
मैं कुछ नहीं हूं,  न बनना चाहूं
मैं खयाल तेरा, बस तू मेरी रूह।
मैं रहूं न रहूं
मैं रहूं न रहूं
मैं तुझे बसूं
मैं तुझमें रहूं।।

©Liberal Confinement #parrizzad#ansh#liberal_condinement 
#HappyDaughtersDay2020
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Liberal Confinement

तेरे जाने का जब ख़्याल आता है,
दिल ओ ज़हन में बस यही सवाल आता है,
क्या तेरे जाने के बाद ये सांसें रहेंगी,
रहीं भी तो तन्हा ये मुझसे कहेंगी, 
वो जो ज़िंदा है मर के भी ज़िंदा नहीं है,
ये आज़ाद सा वो परिंदा नहीं,
कभी खुद से खुद में जो खुद ही मिला था,
तेरे मिलने से फिर वो ऐसे खिला था,
है ग़र जो तू होकर ख़फ़ा यूँ गई तो,
मेरी दिल की धड़कन वहीं रुक गयी तो,
फिर रोयेगी तू भी के मैं कुछ था तेरा,
लिया संग क्यों तूने न इक भी फेरा,
के हो जाती मेरी तो क्या बात होती,
जो सीने से लगती तो बरसात होती,
मेरी इन निगाहों में अश्क ना होते,
मेरे शाद होने पर रश्क ना होते,
कि तू होती अगर रात बाहों मे मेरी,
तो होती खुशी फिर निगाहों में मेरी,
जो जज़्बात है दिल में सब खोल दूँ मैं,
है तुझसे मोहब्बत ये फिर बोल दूँ मैं,
कि सुन मेरी फ़रियाद तू रब है मेरा,
नहीं है कोई और, तू सब है मेरा,
बस इक बार मुझपे तू सब हार देना,
तेरी हर बलाएँ मुझे वार देना,
यकीन तू ये करना कि मैं ही हूँ तेरा,
तेरे आने से ही होता मेरा सवेरा,
कि दिन का ये सूरज तेरी हैं निगाहें,
सुकूँ का समंदर हैं तेरी ये बाहें,
तेरी मुस्कुराहट हो जैसे नगीना,
है चौखट तेरी जैसे मक्का मदीना,
चलो दिल को रोकर के हल्का करूँ मैं,
तेरी हर हँसी में भी झलका करूँ मैं,
के मेरी कलम पर हो बस नाम तेरा,
तू ख़ुश है, मिले मुझको आराम मेरा,
ये हर हर्फ मेरा मैं तुझपे लिखूँगा,
तू है ज़िंदगी बस ये अब से लिखूँगा,
हो वक़्त अगर तो ये पढ़कर बताना,
जो सोचा,जो समझा, वो खुलकर जताना,
चलो अब मैं ख्वाबों में घुलकर चलूंगा,
वहीं तुम से हँसकर गले से मिलूंगा,
न होगी महज़ बस मुलाकात अपनी,
जो होगी बहोत खास हर बात अपनी,
मैं मरकर भी खुद खो के तुम में रहूंगा,
रहा न रहा बस ये तुमसे कहूंगा,
हूँ करता गुमाँ जो मेरी आन हो तुम,
हूँ मैं खुशनसीब, मेरी शान हो तुम,
मैं अब जीना चाहूँ के तुम साथ जो हो, 
मैं लड़ जाऊं हर ग़म से तुम साथ जो हो,
चलो अब मैं रखता कलम को ये मेरी,
रखो अपने ग़म को यूँ राहों में मेरी,
कि एक मुस्कुराहट मेरे नाम कर दो,
यूँ नफ़रत को बस ऐसे बदनाम कर दो,
करूँ कुछ भी ऐसा दिल-ओ-घर ही जाऊँ,
करूँ ये इबादत भले मर ही जाऊँ,

©Liberal Confinement #soulmate #parizad #Ansh #ppetry #liberal_confinent #love#life#oneness#fear_of_separation


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