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pradeepkumar2211
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Pradeep Kumar

मेरी शख्सियत न पूछ जमाने से तुझे हर किरदार अधूरा मिलेगा, ख्वाहिश है मुझे जानने की तो दो पल कभी मेरी खामोशी को जी।

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Pradeep Kumar

मैं तुझे भुला चुका, 
तू बस मेरे लिए अब एक दौर है
बेशक इन आँखों में धुंधली सी चमक बची है इश्क की अब भी,
मगर उसका हकदार अब कोई और है। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

सोचा न था
इस कदर मतलबी हो जाऊँगा इक दिन मैं भी
कि जब तक तुझसे मोहब्बत थी 
तेरे पास आने के बहाने ढूंढा करता था
आज भूलना चाहता हूँ अपनी मोहब्बत को
तो तुझसे दूर जाने की कोशिश में लगा हूँ । #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

वक्त ने ही तो करवट ली है 
कि आज तुम ये उम्मीद करते हो 
कि मैं सब कुछ बता दूँ 
और एक वक्त ऐसा भी था 
कि मैंने, ये उम्मीद की थी, 
की तुम सब कुछ जान लो। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

हम सभी एक प्रक्रिया का अंश हैं किसी एक परिस्थिति में हम किसी से आगे किसी के समान और किसी से पीछे होते हैं यह भेद ही सूक्ष्म होता है यदि आपने यह जान लिया तो आपके जीवन के कई प्रश्नों का उत्तर आप जान जायेंगे और आपका जीवन एक सीमा तक सरल हो जायेगा । #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

तुम दूध सी सफेद 
पत्ती सा रंग सांवला मेरा
समर्पण जल में 
इश्क की मिठास लिये
सुख-दुख की तपती आग में 
चलो जीवन को चाय सा मधुर बनायें। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

मन की पीड़ा की जलन में 
छिन्न-भिन्न यादों के अंगारों में 
ह्रदय के खालीपन में खौलते आँसू मेरे
आँखों तक पहुँचते पहुँचते भाप सा कहीं उड़ जाते हैं 
शीतल स्पर्श किसी के हाथों का 
कोमलता किसी के शब्दों में 
ह्रदय में मातर्त्व की छाया मिले जो किसी की
कि आँसू सारे मेरे दामन में उसके ठहर कर गिर जायें । #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

डर लगता है मुझे तेरी आँखों में झाँकने से,
एक अर्से से दिल में छुपाकर रखें हैं जो राज मोहब्बत के, 
कहीं वो सारे खुल न जायें। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

समय की किताब में 
लम्हों के पन्नों में 
अहसास के लफ्ज मेरे भी 
कुछ यूँ ही दब कर रह गये
नाम कभी कुछ लिखा ही न था
शायद इसलिए जमाने ने कभी ख्वाहिश भी न की पढ़ने की। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

हर कोई पढ़ता तो है तुझे  
खुली किताब समझकर  
मगर बार-बार पढ़ना चाहे, 
ऐसे शब्दों में ही तू कई राज गहरे रख ले
यूँ तो घर खुला रख हर किसी के लिए 
मगर  बात करनी हो जिन कमरों में, खुद से
उन पर पहरे रख ले
तुझे ठोकर लगी अपनों से ही तो इसमें कुसूर तेरा है
तू भी जमाने की तरह चेहरों पर कई चेहरे रख ले। #जीवनअनुभव
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Pradeep Kumar

करवटों में ही ये रात और गहरी हो चली है 
भटकती रही दर-ब-दर किसी सहारे की तलाश में 
सहमी मायूस यादें फिर सिरहाने से जा लिपटी हैं 
लगता है दामन आज भी कोई न मिला अपना
चुपके से बदनसीब आँसू की बूँदें अंधेरों में जा घुली हैं । #जीवनअनुभव
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