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Yashpal singh gusain badal'

अपने अंतर्मन में झांको ! बहुत नाप चुके औरों को अब खुद को भी नापो !

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Yashpal singh gusain badal'

White  जज्बात मुझसे दिल के संभाले नहीं गए,

आँखों में भरे अश्क थे निकाले नहीं गए,

खुशियां थी अमन था चैन था मुहब्बत थी,

सब था मगर वक़्त पर उछाले नहीं गए ।

तू गैर था मगर फिर भी अपना सा लगा था,

अपनों के दिए जिगर से छाले नहीं गए।

इक साया सा रहा बनके सालों यूं हमसफ़र,

बस इस स्याह रूह के इतर उजाले नहीं गए।

जीने का हुनर आता जो होती उम्मीद भी,

थे मौके बहुत मुझसे मगर खंगाले नहीं गए।

यशपाल सिंह ,"बादल"

©Yashpal singh gusain badal' #गजल
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Yashpal singh gusain badal'

White शहीद 
खून की तरह बहा वो शिराओं में ,
सारा बदन तर कर गया,
मरना कहाँ था उसे ? अमर होना था !
इसलिए शहीद हो गया,
कुछ हवा बनकर महक गया,
कुछ जमीं पर बिखर गया,
वो चिरायु है तेरे और मेरे ख्यालों में,
वो खुद को प्रेम सा गढ गया,
उसने अमर बना दिया खुद को,
वो जर्रे जर्रे में निखर गया,
भारत माँ का सपूत है वो,
मातृ चरणों में बिखर गया,
चिर युवा है वो अमर है,
बुढापा छू नहीं पायेगा उसे,
वह अमृत रस चख गया,
खून बन कर बहता है वह शिराओं में,
इसलिए मातृ रज में लिपट गया।
खुद को विलीन कर गया ।

©Yashpal singh gusain badal' शहीद

शहीद #कविता

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Yashpal singh gusain badal'

White  जो प्रकृति के साथ उत्पन्न हुआ,
वही सनातन है,
सत्य है वही !
मिश्रण हीन !
प्राकृतिक !
धर्म  निष्काम परोपकार कर्तव्य का प्रतिमान है,
कर्तव्यों को धारण करना ही धर्म है,
धर्म कभी बृद्ध नहीं होता है,
धर्म समृद्ध होता जाता है समय के साथ,
धर्म की उत्पत्ति कोई नहीं करता,
धर्म बांधता नहीं,
धर्म मुक्त करता है,
धर्म स्वतंत्रता का समर्थन है,
धर्म जीवन को सरल बनाता है,

©Yashpal singh gusain badal' धर्म

धर्म #कविता

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Yashpal singh gusain badal'

White रात महफ़िल में जो बरसे थे फूल रात भर,

सुबह डालियां रो पड़ीं फूलों हस्र देख कर,

©Yashpal singh gusain badal' #Thinking
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Yashpal singh gusain badal'

White दर्द की रात कटती नहीं ,खुशियों की रात नींद कहाँ आती है ।

समय की राह में जिंदगी कटती है और जिंदगी गुजर जाती  है।

©Yashpal singh gusain badal' #Thinking
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Yashpal singh gusain badal'

White चाहत  इतनी  थी कि, कहाँ  कोई  और नजर आता  था ?

अंधे भी इस कदर थे कि हर जुल्म को प्यार समझते रहे ।
यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' #Sad_Status
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Yashpal singh gusain badal'

White बड़ी  मुश्किलतर  जिंदगी  गुजार  दी बच्चों  के खातिर,

फिर  भी वो  पूछते हैं, तुमने क्या किया हमारे खातिर ,
यशपाल सिंह

©Yashpal singh gusain badal' #Thinking
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Yashpal singh gusain badal'

White मैं कौन हूं .... शरीर!!!
मैं कौन हूँ....आत्मा!!!
बस यही समझ जाओ तो आपका बेड़ा पार हुआ समझो !!!

©Yashpal singh gusain badal' विचार

विचार

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Yashpal singh gusain badal'

White तुम हमको जानने का दावा करते हो तो तुम झूठे हो।
मैं खुदको ही समझ नहीं पाया तो तुम मुझको क्या समझ पाओगे ।

©Yashpal singh gusain badal' #Thinking
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Yashpal singh gusain badal'

White  किसकी    कितनी    चाहत    है,
क्या   इसका  है   कोई   पैमाना ?
कौन    किसे   कितना   चाहेगा,
इसको भला  किसने   पहचाना,

कौन त्याग कर अपना सबकुछ,
प्यार  में  तप  कुंदन  बन  जाये,
कौन   समर्पण   करे  पुष्प  सा,
जाकर   केशों   में   गुंथ   जाए ।

कौन   मधुकर   सा   प्रेम   करे,
जो  घूम-घूम  मृदु  राग   सुनाए,
कौन दीपक बन खुद जल  कर ,
निज  जीवन  अर्पित कर  जाए ,

बने   कौन   सरिता  सा  आतुर,
इस  वसुधा  की  प्यास   बुझाये,
धवल   चंद्र के  प्रीत  में  विह्वल,
कौन   चकोर  सा  प्रीत  लगाए ।

मीरा  बन  सब  कुछ  तज  कर ,
कौन   माधव   के  अंक  समाए।
किसकी   चाहत  है  बने  समीर,
जो सबकी  सांसों  में  घुल जाए।

बने   कौन  श्री  राम  की  सीता,
कौन राधा के  माधव  बन  पाए ,
जिसको  नापें  जितना  भी  हम,
खोज  न  पाएं  जिसका।  उद्गम,
प्रेम  को  जो  परिभाषित   कर,
प्रेम  इक  परिभाषा  बन  जाए ।

रचना- यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' #Sad_Status प्रेम
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