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deveshdixit4847
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Devesh Dixit

मुझे कविताएँ लिखना, पढ़ना, सुनना एवम सुनाना अत्यधिक पसंद है। 7982437710

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Devesh Dixit

आघात (दोहे)

आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात।
पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।।

जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात।
कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।।

समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम।
मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।।

देता जब कोई कभी, हमको है आघात।
व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।।

दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास।
धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।।
..............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #आघात #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry 

आघात (दोहे)

आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात।
पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।।

जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात।
कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।।

समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम।
मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।।

देता जब कोई कभी, हमको है आघात।
व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।।

दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास।
धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।।
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देवेश दीक्षित

#sandiprohila  Taslima muskan Ayushi Agrawal Anupriya Sm@rty divi P@ndey  PURAN SING‌H CHILWAL बाबा ब्राऊनबियर्ड munish writer Sandeep Surela Bobby(Broken heart)  Lalit Saxena karan singh rathore Rooh_Lost_Soul Nîkîtã Guptā m raj. g

#आघात #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आघात (दोहे) आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात। पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।। जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात। कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।। समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम। मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।। देता जब कोई कभी, हमको है आघात। व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।। दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास। धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।। ................................................. देवेश दीक्षित #sandiprohila Taslima muskan Ayushi Agrawal Anupriya Sm@rty divi P@ndey PURAN SING‌H CHILWAL बाबा ब्राऊनबियर्ड munish writer Sandeep Surela Bobby(Broken heart) Lalit Saxena karan singh rathore Rooh_Lost_Soul Nîkîtã Guptā m raj. g #Poetry

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Devesh Dixit

जीने लगें हैं अब

सारे गमों को पीछे छोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।
लोगों की फ़िक्रों को छोड़,
देखो बढ़ने लगे हैं अब।

नज़रअंदाज़ किया उनको,
जिसने भी कांँटे बोए हैं।
क्या कहें अब हम उनको,
वे खुद ही कर्मों पर रोए हैं।

उन्हें उनके हाल पर छोड़,
सपने बुनने लगे हैं अब।
उन सपनों को अपने जोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।

क्यों करनी है उनकी चिंता,
उनसे क्या सरोकार है अब।
नकाब के पीछे है जो चेहरा,
उन पर कहाँ एतबार है अब।

आशाओं को जो हटाया,
देखो जीने लगे हैं अब।
स्वयं को फिर सुदृढ़ पाया,
और संवरने लगे हैं अब।
.....................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #जीने_लगें_हैं_अब #nojotohindi #nojotohindipoetry 

जीने लगें हैं अब

सारे गमों को पीछे छोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।
लोगों की फ़िक्रों को छोड़,
देखो बढ़ने लगे हैं अब।

नज़रअंदाज़ किया उनको,
जिसने भी कांँटे बोए हैं।
क्या कहें अब हम उनको,
वे खुद ही कर्मों पर रोए हैं।

उन्हें उनके हाल पर छोड़,
सपने बुनने लगे हैं अब।
उन सपनों को अपने जोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।

क्यों करनी है उनकी चिंता,
उनसे क्या सरोकार है अब।
नकाब के पीछे है जो चेहरा,
उन पर कहाँ एतबार है अब।

आशाओं को जो हटाया,
देखो जीने लगे हैं अब।
स्वयं को फिर सुदृढ़ पाया,
और संवरने लगे हैं अब।
.....................................
देवेश दीक्षित

#sandiprohila  Lalit Saxena Sethi Ji Arshad Siddiqui Satyaprem Upadhyay Yogenddra Nath Yogi  Self Made Shayar अज्ञात Sudha Tripathi karan singh rathore SACHIN SAMRAT  Internet Jockey Shilpa yadav kanchan Yadav Raj choudhary "कुलरिया" Sandeep Surela

#जीने_लगें_हैं_अब #nojotohindi #nojotohindipoetry जीने लगें हैं अब सारे गमों को पीछे छोड़, देखो जीने लगे हैं अब। लोगों की फ़िक्रों को छोड़, देखो बढ़ने लगे हैं अब। नज़रअंदाज़ किया उनको, जिसने भी कांँटे बोए हैं। क्या कहें अब हम उनको, वे खुद ही कर्मों पर रोए हैं। उन्हें उनके हाल पर छोड़, सपने बुनने लगे हैं अब। उन सपनों को अपने जोड़, देखो जीने लगे हैं अब। क्यों करनी है उनकी चिंता, उनसे क्या सरोकार है अब। नकाब के पीछे है जो चेहरा, उन पर कहाँ एतबार है अब। आशाओं को जो हटाया, देखो जीने लगे हैं अब। स्वयं को फिर सुदृढ़ पाया, और संवरने लगे हैं अब। ..................................... देवेश दीक्षित #sandiprohila Lalit Saxena Sethi Ji Arshad Siddiqui Satyaprem Upadhyay Yogenddra Nath Yogi Self Made Shayar अज्ञात Sudha Tripathi karan singh rathore SACHIN SAMRAT Internet Jockey Shilpa yadav kanchan Yadav Raj choudhary "कुलरिया" Sandeep Surela #Poetry

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Devesh Dixit

किताबें करतीं हैं बातें

मुझे किसी के सिसकने की, 
कहीं से आवाज़ आ रही थी।
जो कि लगातार मेरे कानों से,
आकर अब भी टकरा रही थी।

ढूँढा उसको मैंने, पर कहीं न पाया,
आवाज़ ने उसकी, कहर बरसाया।
ध्यान को केंद्रित भी नहीं कर पाया,
इस कदर उसने मुझको भटकाया।

ध्यान लगाया आवाज़ पर, तो पाया,
हल्की सी दबी साँसों को सुन पाया।
कहीं पर लगा था ढेर, किताबों का,
जिस पर लगी धूल को मैं देख पाया।

निकलने लगा मैं जब वहाँ से,
बोली तभी किताब तपाक से।
यूँ ही देख कर मुझे जा रहे हो,
मुझे बिना सुने ही भाग रहे हो।

सुन कर दुविधा में आ गया,
रुका मैं इंसानियत के नाते।
तब जाकर समझ में आया,
कि किताबें करती हैं बातें।
.........................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry 

किताबें करतीं हैं बातें

मुझे किसी के सिसकने की, 
कहीं से आवाज़ आ रही थी।
जो कि लगातार मेरे कानों से,
आकर अब भी टकरा रही थी।

#किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लगातार मेरे कानों से, आकर अब भी टकरा रही थी। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट।

हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान।
लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान।

संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार।
जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार।

भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार।
हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार।
.................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry 

आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।

#आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

दीवार (दोहे)

खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच।
रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।।

उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात।
खींचा तानी ये करें, देते भी आघात।।

मन मुटाव भी कम नहीं, खड़ी हुई दीवार।
जंग छिड़ी है देखलो, निकल गये हथियार।।

अब सबको ही चाहिए, अपना घर परिवार।
एक साथ मिलकर नहीं, रहने को तैयार।।

कैसी ये दीवार है, होते सब आघात।
बेचैनी भी बढ़ रही, हो दिन या फिर रात।।

कलयुग का ये है समय, चुभा रहे हैं शूल।
अलग हुए जब से वही, तब से सब अनुकूल।।
...............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
  #दीवार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry 

दीवार (दोहे)

खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच।
रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।।

उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात।

#दीवार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

टूटा हुआ तारा (दोहे)

टूट रहा तारा कहे, कैसी मुझसे आस।
मैं गिरा खुद ऊपर से, कौन रहा है पास।।

गिरता मुझको देख कर, सबको रहती चाह।
माँगे सभी मुराद भी, दिल से कहते वाह।।

पीड़ा को समझें नहीं, हैं बालक नादान।
घर भी अब ये छूटता, रहा नहीं आसान।।

धरती पर जब भी गिरा, समा गया हूँ जान।
कैसी मुझसे कामना, कहाँ रहा सम्मान।।

अद्भुत है ये जिंदगी, अकसर करे कमाल।
मैं भी था समझा नहीं, जिसका मुझे मलाल।।
.............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #टूटा_हुआ_तारा #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi 

टूटा हुआ तारा (दोहे)

टूट रहा तारा कहे, कैसी मुझसे आस।
मैं गिरा खुद ऊपर से, कौन रहा है पास।।

गिरता मुझको देख कर, सबको रहती चाह।
माँगे सभी मुराद भी, दिल से कहते वाह।।

पीड़ा को समझें नहीं, हैं बालक नादान।
घर भी अब ये छूटता, रहा नहीं आसान।।

धरती पर जब भी गिरा, समा गया हूँ जान।
कैसी मुझसे कामना, कहाँ रहा सम्मान।।

अद्भुत है ये जिंदगी, अकसर करे कमाल।
मैं भी था समझा नहीं, जिसका मुझे मलाल।।
.................................................
देवेश दीक्षित

#sandiprohila  Sethi Ji Shourya Pratap Singh Adhuri Hayat Swati kashyap PURAN SING‌H CHILWAL  Neha verma Dr SONI Dr.santosh Tripathi Reena Sharma ꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂  Arshad Siddiqui Rakesh Kumar Das Rina Giri Nîkîtã Guptā Urmeela Raikwar (parihar)  Kumar Shaurya Praveen Jain "पल्लव" Ishika kavita pramar Sandeep Surela

#टूटा_हुआ_तारा #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi टूटा हुआ तारा (दोहे) टूट रहा तारा कहे, कैसी मुझसे आस। मैं गिरा खुद ऊपर से, कौन रहा है पास।। गिरता मुझको देख कर, सबको रहती चाह। माँगे सभी मुराद भी, दिल से कहते वाह।। पीड़ा को समझें नहीं, हैं बालक नादान। घर भी अब ये छूटता, रहा नहीं आसान।। धरती पर जब भी गिरा, समा गया हूँ जान। कैसी मुझसे कामना, कहाँ रहा सम्मान।। अद्भुत है ये जिंदगी, अकसर करे कमाल। मैं भी था समझा नहीं, जिसका मुझे मलाल।। ................................................. देवेश दीक्षित #sandiprohila Sethi Ji Shourya Pratap Singh Adhuri Hayat Swati kashyap PURAN SING‌H CHILWAL Neha verma Dr SONI Dr.santosh Tripathi Reena Sharma ꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂ Arshad Siddiqui Rakesh Kumar Das Rina Giri Nîkîtã Guptā Urmeela Raikwar (parihar) Kumar Shaurya Praveen Jain "पल्लव" Ishika kavita pramar Sandeep Surela #Poetry

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Devesh Dixit

अटल सत्य (दोहे)

अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।।

मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।
अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।।

अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद।
अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।।

ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल।
अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।।

घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान।
अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।।
...............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry 

अटल सत्य (दोहे)

अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।।

मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।

#अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

उमंग

लिपट कर तुमसे जो उमंग चढ़ती है।
होने से ही तुम्हारे जिंदगी मिलती है।।

यूं ही लिपट जाया कर सीने से मेरे।
आगोश में ही तेरे तसल्ली मिलती है।।

डुबाती हो जब इन नशीली आँखों में।
डूब कर ही उसमें तबियत खिलती है।।

अधरों को अपने मिला मेरे अधरों से।
नशे की झलक ही यहीं पर मिलती है।।

हमारे जिस्म जब टकराएँ आपस में।
तुम्हारे पास होने की महक मिलती है।।

खो जाऊं तुम्हारे केशों के आंचल में।
ऐसी काली मस्त घटा कहां मिलती है।।

तुमसे ही मेरी जिंदगी में ये उजाला है।
ऐसे उजाले की चमक कहां मिलती है।।
......................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #उमंग #nojotohindi #nojotohindipoetry 

उमंग

लिपट कर तुमसे जो उमंग चढ़ती है।
होने से ही तुम्हारे जिंदगी मिलती है।।

यूं ही लिपट जाया कर सीने से मेरे।

#उमंग #nojotohindi #nojotohindipoetry उमंग लिपट कर तुमसे जो उमंग चढ़ती है। होने से ही तुम्हारे जिंदगी मिलती है।। यूं ही लिपट जाया कर सीने से मेरे। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

अयोध्या सज गई (दोहे)

देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम।
राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।।

प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार।
हैं उत्साहित देखलो, झूमें सब नर-नार।।

कृपा आपकी हो जिसे, है वो ही धनवान।
राह खड़े सब आपकी, पाने को वरदान।।

भोग सभी तैयार हैं, आ जाओ भगवान।
द्वार खड़े हैं आपके, हम सब ही नादान।।

भक्ति भाव से तृप्त हों, ऐसा हो रघुनाथ।
जीवन में यश भी मिले, और आपका साथ।।
............................................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit
  #अयोध्या_सज_गई #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi 

अयोध्या सज गई (दोहे)

देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम।
राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।।

प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार।

#अयोध्या_सज_गई #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अयोध्या सज गई (दोहे) देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम। राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।। प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार। #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

जीवन एक बिसात

ये जीवन देखो एक बिसात है,
जिसमें शतरंज सी हर बात है।
फूँक फूँक कर कदम रखना है,
आती मुसीबत से भी बचना है।
कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे,
काट कर बातों को वो मेरे।
मुझ पर ही हावी हो जाए,
काम ऐसा कुछ कर जाए।
उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में,
शतरंज के फैले इस डेरे में।
शह-मात का चलन रहा है,
देख पानी सा रक्त बहा है।
युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर,
कभी नारी की इज्जत पर।
भाई-भाई में द्वेष बड़ा है,
देखो कैसे अधर्म अडा़ है।
खून के प्यासे दोनों भाई,
महाभारत की देते दुहाई।
प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है,
ये जीवन अब खेल हुआ है।
सभ्यता ही सब गई है मारी,
बुजुर्गों का जीवन ये भारी।
मिले नहीं सम्मान उन्हें अब,
संतानें ही विद्रोह करें जब।
कलियुग का ये प्रभाव सारा,
किसने किसको कैसे मारा।
संस्कारों की बलि चढ़ी है,
मुश्किल की ही ये घड़ी है।
होती है ये अनुभूती ऐसी,
शतरंज में दिखती है जैसी।
..........................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
  #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry 

जीवन एक बिसात

ये जीवन देखो एक बिसात है,
जिसमें शतरंज सी हर बात है।
फूँक फूँक कर कदम रखना है,
आती मुसीबत से भी बचना है।

#जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। #Poetry #sandiprohila

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