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amardeepsingh8957
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Amar Deep Singh

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Amar Deep Singh

इश्क क्या है जज्बातों का एक फसाना है,

किसी ने सुना दिया है,किसी को सुनाना है।

©Amar Deep Singh
  #eternallove
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Amar Deep Singh

हर पल एक नया मोड़ लेती है ज़िंदगी
बादशाहों का भी गुरुर तोड़ देती है ज़िंदगी
कभी ना रुकने वाले वक्त के दायरे में
हर रोज नयी कहानी छोड़ देती है ज़िंदगी।

©Amar Deep Singh
  #tanha #twistoflife
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Amar Deep Singh

हर दर्द में एक पहचान छिपाती है ये जिंदगी
हर आंसू में एक किस्सा सुनाती है ये जिंदगी
ये दर्द ही तो है जो हमें पल-पल बदलता है
वर्ना कितनी दफा आइना दिखाती है ये जिंदगी

दर्द की गहराइयों में सपने छिपाती है ये जिंदगी
परत दर परत रोज परदे उठाती है ये जिंदगी
ये दर्द ही तो है जो बेखौफ हो जवाब देता है
वर्ना धड़कनों पर भी सवाल उठाती है ये जिंदगी

गहरे समंदर में अक्सर ले जाती है ये जिंदगी
बीच मझधार में ही छोड़ जाती है ये जिंदगी
ये दर्द ही है जो हमें लड़ने की ताकत देता है
वर्ना किनारों पर खड़ी मुस्कुराती है ये जिंदगी।

©Amar Deep Singh
  #painislove #painislife
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Amar Deep Singh

क्या कहूं,क्या लिखूं,क्या जिंदगी की बिसात है
मोहरे सजाए बैठे सभी पर चाल हर अज्ञात है

आज है वो कल नहीं,कल का कोई हल नहीं 
कल,आज,कल जिंदगी बस इतनी सी बात है

हर वक्त खुशियों के मायने रहें ये संभव नहीं
कभी चांदनी है जिंदगी कभी स्याह काली रात है

लेकर रोज ढेरों निकलती ये उम्मीदों का कारवां
मिल जाए तो है खुशियों वरना गहरा आघात है

स्याही से लिखी हो या लिखी हो जज्बातों से
अनायास करवटें लेती जिंदगी बड़ी अकस्मात है।

©Amar Deep Singh
  #lifeisunpredictable
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Amar Deep Singh

हिसाब-ए-जख्म कहो कैसे रखे कोई 
जब हर सवाल ही नया जख्म दे जाए।

©Amar Deep Singh
  #save_girls #respect_women
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Amar Deep Singh

अल्फाज़ थे कुछ जो लबों तक ही रह गए
जज़्बात थे कुछ जो अश्क बनकर बह गए

शोर-ए-क़ियामत दर्मियाँ थी तब शायद
हम कुछ समझे नहीं,वो सब कुछ कह गए

जख्म-ए-जुदाई तो भर चला है, दर्द ये है
कि ये दर्द वो भी सह गए,हम भी सह गए

दोष किसका था ये कोई कैसे हिसाब करता
हम कसमें गिनाते गए, वो वादे गिनाते गए

जुदाई का मलाल कुछ इस कदर धोया हमनें
समंदर में हम डूबते रहे वो बारिश में भीगते गए

बताएं क्या जुदाई का सबब इस जमाने को 
जितने करीब आते गए उतने दूर जाते गए।

©Amar Deep Singh
  #hindigazal #Love #shayri
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Amar Deep Singh

हारना कौन चाहता है पर कभी हार को अपना कर देखो

नुस्खा ये पुराना ही सही पर एक बार तो आजमाकर देखो

प्रेम बस भावना है त्याग की दिल को ये समझा कर देखो 

नई रेखाएं मत खीचों पुरानी को ही सरल बना कर देखो।

©Amar Deep Singh
  #Love #velentineweek #hindi_poetry
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Amar Deep Singh

खल्वत-ए-गम में हूं कि जर्रा-जर्रा दर्द में डूबा है मेरा 

आईना रौशन न कर कि चराग़-ए-हस्ती-ए-ग़म मिटाने का मंसूबा है मेरा





खल्वत-ए-गम= दुख का एकांतवास
चराग़-ए-हस्ती-ए-ग़म=जीवन में आने वाले दुखों का स्रोत।

©Amar Deep Singh
  #Love #hindi_shayari
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Amar Deep Singh

किसी अपने की याद में....

बेचैन मन था उसका वो कौन से शहर गया
दर्द दिल में लिए वो खामोशी से गुजर गया

जमीं पर बैठकर एकटक आसमां देखता रहा
जैसे कोई शिकारी उस परिंदे के पर कतर गया

वक्त से हारा था या वो खुद से ही हार गया
या ख्वाब था कोई जो आंखों में बिखर गया

कोई अपना दिल में उसके कभी उतरा नहीं
हर कोई मिलकर गले बस हौंसला देकर गया

तेरी हर जीत तेरी हर हार मंजूर थी हमें
पर तेरा यूं बीच में छोड़ कर जाना अखर गया।

©Amar Deep Singh
  #sad_feeling #Memories
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Amar Deep Singh

वो मुहब्बतें वो शिकायतें जाने कहां खो गईं
ए जिंदगी  अब कुछ देर यहीं  रख दे  मुझे
कुछ रोज़ उनकी जुदाई का गम मना सकूं
ए मशरूफियत मेरी इतना तो हक दे मुझे।

©Amar Deep Singh
  #Memories #lovelife #hindishayari
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