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तुषार"आदित्य"
ये डिजिटल इंडिया है यहाँ सब वायरल हो जाता है। बच्चे का गाना,अमीर का दिखाना। हीरो के कपड़े,हीरोइन के नख़रे। ओलम्पिक का मेडल,व्यापारी का स्केंडल। डोमिनो का पिजा,आन अराइवल वीजा। आडवाणी खीजा-खीजा,बिका हुआ नतीजा। किसी की कमी,आँखों की नकली नमी। लोग सारे मौसमी,देश की इकॉनमी। नफ़रत वाला योगी,कोई मानसिक रोगी। छलावे वाले मंत्र,मरने से पहले तड़पता प्रजातंत्र। इतिहास से खिलवाड़, पैसे से खुलता किवाड़। देश की चिन्ता,दोहरी मानसिकता। दलित का प्यार,नियंत्रित संस्कार। जनता गांधारी और दुर्योधन सरकार। ये डिजिटल इंडिया है यहाँ सब वायरल हो जाता है। बच्चे का गाना,अमीर का दिखाना। हीरो के कपड़े,हीरोइन के नख़रे। ओलम्पिक का मेडल,व्यापारी का स्केंडल
Rashmi Hule
🙄😕 Read in caption 👇 काम की बात न करना😕 काम कभी पुरे होते हैं 🙄 कितना सारा काम😱 हम देख के ही रोते है😭 कहा से शुरू करे🤔 समझ नही आता😔 इतना सोचा बैठ के🤓 कि दिमाग थक
Zoga Bhagsariya
गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर, तो कर ,अव्वल , तर्क"ए" अक्ल, जो निकले ,कल्ब से बात ,फकत ,लिख डाल ।। इश्क गर इश्क है ,तो छुपा नहीं रहता , कलम गर है कलम ,तो छुपी नहीं रहेगी ।। जवां भी ना हुआ , बचपन ही में बैठ गया , चलो कोई जवां ,हुआ ,तो ,जवानी में बैठ गया , जो हुआ बुजुर्ग तो , बुजूरगी में बैठ गया मगर जो ,चलते चलते मर गया , वो बाद कजा ,ज़िंदा हो उठा ,।। तो बैठो मत ,चलो ,और जियो , जीकर मरो , मरकर ,जीना मरे सा हा , जीते हैं जो , सराअपा हयात ,ज़िंदा होकर , वो मरा नहीं करते , बाद ,मुरदत के भी ।। यों ही नहीं आई ,,कलम पे जवानी , बुज़ुर्ग होना पड़ा , इश्क"ए"कलम में , यूं ही नहीं मिलता ,खिताब"ए"बुज़ुर्ग , उम्रें बीत जाती हैं , बुज्रुग होने में , कई रोज़ बाद ,उनकी कोई निशानी आई , जो आई , लाफानी आईं , मेरी मुर्दत के बाद , शायरी पे जवानी आईं ।। क्या तमाशा है ,इक सकूं के लिए , अपने आप से, यलगार हो गए ।। जब रिज्क है ,तो ,रिज़क में लिखेंगे , जोगा ,नाखुदा , फाके , भी हुए तो इश्क"ए"कलम ,ना कम होगा ।। शहकार "ए"ख़ुदा हूं ,तामीर"ए"ख़ाक हूं , बुत"ए"ख़ाक हूं ,ख़ाक फकत ख़ाक , शोक "ए"तरक्की है,तो ,शायर काहे हुए , जोगा ,फिर तो कोई , वणजारा ,होना था ।। गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर,
Zoga Bhagsariya
गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर, तो कर ,अव्वल , तर्क"ए" अक्ल, जो निकले ,कल्ब से बात ,फकत ,लिख डाल ।। इश्क गर इश्क है ,तो छुपा नहीं रहता , कलम गर है कलम ,तो छुपी नहीं रहेगी ।। जवां भी ना हुआ , बचपन ही में बैठ गया , चलो कोई जवां ,हुआ ,तो ,जवानी में बैठ गया , जो हुआ बुजुर्ग तो , बुजूरगी में बैठ गया मगर जो ,चलते चलते मर गया , वो बाद कजा ,ज़िंदा हो उठा ,।। तो बैठो मत ,चलो ,और जियो , जीकर मरो , मरकर ,जीना मरे सा हा , जीते हैं जो , सराअपा हयात ,ज़िंदा होकर , वो मरा नहीं करते , बाद ,मुरदत के भी ।। यों ही नहीं आई ,,कलम पे जवानी , बुज़ुर्ग होना पड़ा , इश्क"ए"कलम में , यूं ही नहीं मिलता ,खिताब"ए"बुज़ुर्ग , उम्रें बीत जाती हैं , बुज्रुग होने में , कई रोज़ बाद ,उनकी कोई निशानी आई , जो आई , लाफानी आईं , मेरी मुर्दत के बाद , शायरी पे जवानी आईं ।। क्या तमाशा है ,इक सकूं के लिए , अपने आप से, यलगार हो गए ।। जब रिज्क है ,तो ,रिज़क में लिखेंगे , जोगा ,नाखुदा , फाके , भी हुए तो इश्क"ए"कलम ,ना कम होगा ।। शहकार "ए"ख़ुदा हूं ,तामीर"ए"ख़ाक हूं , बुत"ए"ख़ाक हूं ,ख़ाक फकत ख़ाक , शोक "ए"तरक्की है,तो ,शायर काहे हुए , जोगा ,फिर तो कोई , वणजारा ,होना था ।। गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर,
Zoga Bhagsariya
गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर, तो कर ,अव्वल , तर्क"ए" अक्ल, जो निकले ,कल्ब से बात ,फकत ,लिख डाल ।। इश्क गर इश्क है ,तो छुपा नहीं रहता , कलम गर है कलम ,तो छुपी नहीं रहेगी ।। जवां भी ना हुआ , बचपन ही में बैठ गया , चलो कोई जवां ,हुआ ,तो ,जवानी में बैठ गया , जो हुआ बुजुर्ग तो , बुजूरगी में बैठ गया मगर जो ,चलते चलते मर गया , वो बाद कजा ,ज़िंदा हो उठा ,।। तो बैठो मत ,चलो ,और जियो , जीकर मरो , मरकर ,जीना मरे सा हा , जीते हैं जो , सराअपा हयात ,ज़िंदा होकर , वो मरा नहीं करते , बाद ,मुरदत के भी ।। यों ही नहीं आई ,,कलम पे जवानी , बुज़ुर्ग होना पड़ा , इश्क"ए"कलम में , यूं ही नहीं मिलता ,खिताब"ए"बुज़ुर्ग , उम्रें बीत जाती हैं , बुज्रुग होने में , कई रोज़ बाद ,उनकी कोई निशानी आई , जो आई , लाफानी आईं , मेरी मुर्दत के बाद , शायरी पे जवानी आईं ।। क्या तमाशा है ,इक सकूं के लिए , अपने आप से, यलगार हो गए ।। जब रिज्क है ,तो ,रिज़क में लिखेंगे , जोगा ,नाखुदा , फाके , भी हुए तो इश्क"ए"कलम ,ना कम होगा ।। शहकार "ए"ख़ुदा हूं ,तामीर"ए"ख़ाक हूं , बुत"ए"ख़ाक हूं ,ख़ाक फकत ख़ाक , शोक "ए"तरक्की है,तो ,शायर काहे हुए , जोगा ,फिर तो कोई , वणजारा ,होना था ।। गर पीनी है , सारापा शराब"ए"सुराही, तो दख़ल"ए"पैमाना , में क्या नफा , सीधे लगा लबों को ,और ,पिजा ,।। गर है ,ज़ुस्तज़ु ओ आरज़ू "ए"वहशत"ए"मीर,
Rashmi Hule
True Story... Read in caption 👇 मजदूर.... एक दिन पैदल कही जा रहीं थीं। रास्ते का काम शुरू था। फुटपाथ सें गुजर रही थी, तो सामने ही एक बच्चा, जो होगा एक, डेढ़ साल का .. रो रह
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे