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Writer Abhishek Anand 96
क्या दोष रहा उस नारी का जो मणिपुर की भेंट चढ़ गई। लुटी हुई उस लाज को लेकर अपमान आग की भेंट चढ़ गई। दे सकते सम्मान नहीं, तो अपमान का भी अधिकार नहीं। बन कर कौरव भरी सभा में लाज लूटना अब स्वीकार नहीं। मां, पत्नी और बहन यही है बेटी भी यह अपनी प्यारी क्यों हिंसा की आग झोंकते हो यह तो है बेचारी किस्मत की मारी। ©Writer Abhishek Anand 96 इज्जत
इज्जत #विचार
read moreThe unconditional Love
कब ऐसी सुबह होंगी , बेटियों के लिए जो हैवानियत की नजर से नहीं बल्कि इज्जत की नजर से देखी जाएंगी। इज्जत
इज्जत
read moreSweta Sagar
मुझे प्यार मत करो पर मेरी इज्जत करो मेरे साथ मत रहो पर मेरी इज्जत करो मुझे छोड़ दो पर मेरी इज्जत करो ©Sweta Sagar इज्जत
इज्जत #Love
read moreRajnish Sharma
जो करोगे मेरे नजर , वही शिद्दत से वापिस मिलेगा अंधे कुएं की यही रीत,जो बोलोगे,वापिस मिलेगा इज्जत
इज्जत
read moreThe Royal's Rana
"इज्जत दिलों में होती है जुबान पर नहीं" दिल में इज्जत होगी तो जुबान से निकला हर लफ्ज़ इज्जत भरा होगा जरूरी नहीं फिर वो सख़्श सामने हो ना हो "लोग आगे कुछ पीछे कुछ वक्त ए आज" #इज्जत
पूर्वार्थ
इज्ज़त इज्ज़त दूसरों की हो तो उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते, जो अपनी हो तो लोग जां तक दे देते हैं, ये इज्ज़त है साहब इसके लिए लोग अपने आप को भी दाव पे लगा देते हैं, नहीं मिलता कोई उपाय गर तो लोग घर - बार छोड़ दूसरे शहर में अपना आशियां बना लेते हैं, इज़्ज़त की खातिर लोग यहां क्या - क्या नहीं कर जाते हैं।। कभी मुसाफ़िर बन दर - दर की ठोकरें खाते, नाम छुपा अपना लोग, गुमनामी का लिबास ओढ़ लेते हैं, अपनी इज़्जत की खातिर लोग पीर फ़कीर तक बन जाते हैं।। सुना है आजकल लोग पैसें वालों की इज़्जत बहुत करते हैं, लिबास देख कर ही बैठने को घर में स्थान दिया जाता है, कहते हैं सब आजकल बाप ना भैया भाई सबसे बड़ा रुपया।। जो पैसा ना हो पास तो अपने भी मुंह फेर लेते हैं, पैसे की ही इज़्जत यहां पर तुझ कंगाल की अब ज्यादा कौन सोचता है, पैसा ही पहचान आज़ सभी की पैसा देख अब पास लोग पैसों से ही इज़्जत देते हैं।। भरी जेबों का स्वामी मूर्ख आदमी द्वार - द्वार अब इज़्जत पाता है, पढ़े लिखे तो यूं ही बिन रुपयों के अपनी शिक्षा का भी ना उपयोग कर पाते हैं, नहीं मिलती उनको वो इज़्जत जिसके वो हकदार होते हैं, यही है आज़ की न्याय नीति इससे कहां कोई बच पाता है।। धन का ढोंग बढ़ गया भैया विद्वानों की कोई पूछ नहीं अब यहां पे नक़ली सम्मान उन्हें दिया जाता है, पैसों की ही होती आज़ इज़्जत इंसानों की कद्र अब कौन करता है।। ©purvarth #इज्जत