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Stories related to कुतुब मीनार कब बना था

संजय जालिम " आज़मगढी"

# सफल इंसान बना लेंगे#

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White हम अपनी कमजोरियों को अपना हथियार बना लेंगे
हम धैर्य, लगन, हौसले,से कामयाबी पाके ज़माने को दिखा देंगे 
चाहे लाख कांटे बीछे हो, जीवन की राहों में ख़ुद को  " सफल " नेक " इंसान बना लेंगे

©संजय जालिम " आज़मगढी" # सफल इंसान बना लेंगे#

anokha shayar

#love_shayari घर बना कर शायरी लव

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White घर 🏩 बना कर मेरे ❤ दिल में वो 👩 चली गई है,

ना खुद 👩 रहती है ना 💃 किसी और को बसने देती है.. 💔

©anokha shayar #love_shayari घर बना कर  शायरी लव

F M POETRY

#मगर था फरेबी.....

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White वो दिल में समाया था सच बोलकर.. 

मगर था फरेबी निकल भी गया..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #मगर था फरेबी.....

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कब

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White ज़िन्दगी  पूछती  है  ज़िन्दगी  जियोगे  कब।
स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब।
ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में -
आसमाँ  पर  उड़ानें सपनों की  भरोगे  कब।

आप खुद  से बताओ  यार अब  मिलोगे कब।
क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब।
पालते हो  क्यूँ  दिल में  ग़म  उदास  रहते  हो-
रंग  जीवन में अपने खुशियों की  भरोगे  कब।

जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब।
दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब।
कुछ  नहीं  मिलता  है औरों  के लिए जीने से-
हो चुके  सब  के  बहुत अपने बता  होगे कब।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब

Himanshu Prajapati

#love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

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White तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब तक..!

©Himanshu Prajapati #love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

Nurul Shabd

#तू #नहीं था 

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह

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क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था।

तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना,
वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था।

रात में जो था नवनीत कभी अधूरा,
वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह

Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर वक़्त ने हर ज़ख्म को मरहम दिया, पर जो गंवाया, वो फिर कब दिया। इसने हर दर्द को कहानी बना दिया, पर जो खोया, उसे अफसाना बना दिया।

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Unsplash वक़्त ने हर ज़ख्म को मरहम दिया,
पर जो गंवाया, वो फिर कब दिया।

इसने हर दर्द को कहानी बना दिया,
पर जो खोया, उसे अफसाना बना दिया।

जो पल साथ थे, वो कहानी बन गए,
जो छूटे, वो निशानी बन गए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
वक़्त ने हर ज़ख्म को मरहम दिया,
पर जो गंवाया, वो फिर कब दिया।
इसने हर दर्द को कहानी बना दिया,
पर जो खोया, उसे अफसाना बना दिया।
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