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Atif Mast
पन्ने पुरानी यादों के पलट रहा हूँ मैं ख़ुद में ही पूरी तरह उलझ रहा हूँ मै हक़ीक़त था जो सब ख़्वाब बन गया सही होके भी कितना गलत रहा हूँ मै कभी ज़रूरी था जिनको बहुत ज़्यादा अब उनकी आंखों में खटक रहा हूँ मैं बढ़ रहा हूँ ज़िन्दगी में जितना ही आगे उतना ही खुद में पीछे से घट रहा हूँ मैं मुझे रहना था खुल के सभी के हसी में अपने ही गम के अंदर सिमट रहा हूँ मैं जो भी किया सबके लिए दिल से किया बदले में टूटा दिल लिए भटक रहा हूँ मैं मैं इंसान था यहां का,पूरी दुनिया मेरी थी फिर क्यों देश और धर्म मे बंट रहा हूँ मैं Atif Hussain #yqbaba #poetry #feelings #yqhindi #yqd
Juhi Grover
राजनीतिवेता आखिर क्यों देश का नहीं बस सोच पाते हैं, क्यों स्वहित ही उन के लिए हमेशा अग्रणी रहता है। शायद हम में से भी कुछ बस अपना ही सोच पाते हैं, जनता में ही फूट डाल कर बस लड़ाया ही जाता है। फिर ठीक से उस का बस फायदा उठाया जाता है, हर बार कोई न कोई मुद्दा राजनीति का बनाया जाता है। राजनीति ही की वजह से दो टुकड़े बस कर जाते हैं, बस सालों साल दुश्मनी निभाने के लिए छोड़ जाते हैं। क्यों दूसरों की सोचें, वो तो बस समय बिताने आते हैं, किसी को कुछ भी हो, बस राजनीति चमकाने आते हैं। हर परिस्थिति हो, बस कीचड़ ही उछाला जाता है, कभी वहाँ धरना, कभी यहाँ धरना बस यही तो आता है। अपने ही घर में फूट डाल बस तमाशा देखने आते हैं, सेना ही सुरक्षित नहीं, साधारण लोग घबरा जाते हैं। सरकारों की राजनीति बस खेल अपना खेल जाती है, चाहे सम्मानित हुए शहीद, सुरक्षा पर सवाल उठ जाते हैं। राजनीतिवेता आखिर क्यों देश का नहीं बस सोच पाते हैं, क्यों स्वहित ही उनके लिए हमेशा अग्रणी रह जाते हैं। शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। राजनीतिवेता आखिर क्यों देश का नहीं बस सोच पाते हैं, क्यों स्वहित ही उन के लिए हमेशा अग्रणी रहता है।
keshav
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दूर तक वह अब नज़र आता नहीं । और कहता फिर मुझे खोजा नहीं ।।१ मुश्किलों से कौन घबराता नहीं । एक इंसा हूँ यहाँ कान्हा नहीं ।।२ तुम गरीबों के यहाँ हम क्या चलें । शीत भर चावल मिले आशा नहीं ।।३ आज तक देते रहें वह फैसले । न्याय की जिनको पता भाषा नहीं ।।४ हो रहा क्यों देश में घाटा बहुत । जब गरीबों को यहाँ बख्शा नहीं ।।५ धर्म का पढ़ते चलें हम पाठ भी । कर्म से तो हाथ कुछ आता नहीं ।।६ अब न कर सच की तरफदारी यहाँ । झूठ का बाजार अब फीका नहीं ।।७ आज अपने ही तुम्हारे दूर है । क्या सबक अब ये तुझे भाता नहीं ।।८ ईश से बढ़कर पिता होते यहाँ । तू प्रखर ये बात क्या जाना नहीं ।।९ ०८/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दूर तक वह अब नज़र आता नहीं । और कहता फिर मुझे खोजा नहीं ।।१ मुश्किलों से कौन घबराता नहीं । एक इंसा हूँ यहाँ कान्हा नहीं ।।२ तुम गरीबों के य
BROKENBOY
देश मेरे रक्त का हर कण ऋणी है देश के नाम का क्या मोल चुकाएँगे हम इसके दान का दिया अस्तित्व, हमें नाम, फिर पहचान दी मान हर धर्म को, हर जाति को नई आन दी देश के स्थायी कुटुंब के हम सदस्य अभिमानी फिर क्यों देश से पहले हमने अपनी महत्ता मानी क्यों भुला दिया बोलो, कर्तव्य मानवता का क्यों खोए स्वत्व में, उगाया पौधा यह भ्रम का भारत से ऊपर कहीं और क्या हम ठौर पाएँगे स्वार्थ कहीं भी हो बँधा, हम भारतीय ही कहलाएँगे एकता के परिवार को आओ बंधुत्व का रक्त दें त्याग, प्रेम, सौहार्द से आज इसे रंग दें सुदृढ़ करें यह कुटुंब, आओ सब भेद मिटाएँ देश पर सर्वस्व अर्पण, मिलकर यह गान गाएँ ऐ भारत, तेरे पवित्र नाम की शपथ उठाते हैं निर्बल परावलंबी थे हम, अब शक्ति-स्रोत बन जाते हैं ©BROKENBOY देश मेरे रक्त का हर कण ऋणी है देश के नाम का क्या मोल चुकाएँगे हम इसके दान का दिया अस्तित्व, हमें नाम, फिर पहचान दी मान हर धर्म को, हर जाति
Aishwarya CMH
Girl quotes in Hindi बेटी वो आशीर्वाद है जो घर को मुस्कुराहटों से सजा देती है फिर क्यों हम बेटियों के हक के लिए खड़े नहीं होते हैं। आखिर किस किससे, कब तक इंसाफ मांगेंगी लड़कियां। कब तक जुल्म सहेंगी लड़कियां।। बस, मार्केट, रास्ते, में गलत लोगों को अवसर के रूप में दिखाई देती हैं लड़कियां। समाज में आज भी रेप का शिकार होती हैं लड़कियां।। पाक नजर जो तुम्हारी माता, बहन, के लिए हैं वही नजर बाकी लड़कियों के लिए क्यों नहीं। जैसी सुरक्षा तुम खुद के घर के सदस्यों के लिए चाहते हो वैसी ही सुरक्षा दूसरों के घर की बेटियों के लिए क्यों नहीं।। जीवन से हार जाने पर मजबूर करते हो। क्यों चंद कैंडल उठाकर चार दिन का शोर मचाते हो। क्यों देश में रेपिस्ट के दिल में खौफ पैदा नहीं करते हो। आखिर तुम भी इस देश के वासी हो, क्यों तुम इस रेप नाम की बुराई को हमारे देश से जड़ से उखाड़ फेंकने के कदम नहीं उठाते हो।। ©Aishwarya CMH बेटियां वो आशीर्वाद हैं जो घर को मुस्कुराहटों से सजा देती है फिर क्यों हम बेटियों के हक के लिए खड़े नहीं होते हैं। आखिर किस किससे, कब तक इ
Shubham Anand Manmeet
#AzaadKalakaar हर तरफ़ साँपों का डेरा इस विषय पर बात हो। है कहाँ गायब सपेरा इस विषय पर बात हो। रोज़ लूटी जा रही माँ भारती की अस्मिता, कौन है घर का लुटेरा इस विषय पर बात हो। सिर्फ़ तारीखों में आज़ादी सिमट कर रह गयी, सो गया क्यों देश मेरा इस विषय पर बात हो। हम शहीदों की शहादत को भुला बैठे हैं क्यों, स्वार्थ ने क्यों हमको घेरा इस विषय पर बात हो। उनको आज़ादी के नारों से भला मतलब है क्या, है सड़क जिनका बसेरा इस विषय पर बात हो। मज़हबी जालों में कैसे फंस रही हैं मछलियाँ, कौन है इनका मछेरा इस विषय पर बात हो। क्यूँ भला कुम्हला गयीं केसर की कोमल क्यारियाँ, किसने शोलों को बिखेरा इस विषय पर बात हो। एक मुद्दत से जहालत के तिमिर में देश है, दूर हो कैसे अँधेरा इस विषय पर बात हो। हाय आज़ादी मिली 'मनमीत' आधी रात में, कब तलक होगा सवेरा इस विषय पर बात हो। ©Shubham Anand Manmeet हर तरफ़ साँपों का डेरा इस विषय पर बात हो। है कहाँ गायब सपेरा इस विषय पर बात हो। रोज़ लूटी जा रही माँ भारती की अस्मिता, कौ
Priti Meharwal
हर बेटी को अपना धर्म पढा दो फिर कोई कैसे उसे नुकसान पहुंचा सकेगा सब समझा दो माना आजकल सब शिक्षित ज्यादा है लेकिन श्रद्धा जैसी ज्यादा शिक्षित का ही नम्बर आता है आधुनिकता का चोला पहन कर बेमौत मरी जाती हैं लेकिन उस जैसी ना जाने कितनी फिर तैयार हो जाती हैं क्यों मानवभक्षी बने खुद माता पिता क्यों संस्कार नही दे पाए अपने धर्म संस्कृति का करो प्रेम विवाह किसने रोका हैं पर उत्तेजना में परिवार को क्यों झोंका हैं माता पिता अगर पहले सम्भल जाते तो क्यों कोई आफताब आता श्रद्धा को फुसलाने विश्वास दिलाओ बेटी को तुम ही हो सबसे अच्छे मित्र ये best friend का trend अब नही सुहाता हैं सच तो यही है कि दोस्त ही दोस्त के काम आता हैं लेकिन क्या दोस्त और आस्तीन के सांप में अंतर नज़र नही आता हैं या एक बार फिर से माता पिता ये समझा ही नही पाए मैं तो एक ही बात सिख ओर समझ पाई हूँ *ये आजकल के बच्चे* वाली line ने ही सारा बखेड़ा खड़ा किया है आप England या amrica के नही विश्व गुरु भारत के रहवासी हैं तो जो दो थप्पड़ आपको आपके माता पिता ने रसीद किये थे आपका हक हैं उन्हें ब्याज समेत उपयोग करने का *अपने बच्चों पर* तो फिर क्यों इस लाइन को बोल बोल कर पहले खुद बच्चो का brain wash करते हो फिर बच्चे खुद समझ जाते हम बालीक है कुछ भी कर सकते है जब हाथ आपका बच्चे आपके तो फिर संस्कार भी आपके अपने ही दीजिये ना क्यों देशी खून में विदेशीकरण झोंकते हो पैर छूने वाले बच्चे को क्यों कंधे पर हाथ रखवाते हो गलती खुद की फिर दोष बच्चो पर क्यों डाल जाते हो नही है आप *secular* आप *pure* *हिंदू* हैं अगर विश्वास नही होता तो *श्रद्धा* का *श्राद्ध* देखिए ऐसा इसी लिए हुआ क्योंकि वो हिन्दू लड़की थी ओर ढूंढ लीजिए अपने आस पास की बची हुई *श्रद्धाओ* को 35 टुकड़ो को 35000 होने में देर नही लगेगी विश्वास कीजिए ।। ©Priti Meharwal हर बेटी को अपना धर्म पढा दो फिर कोई कैसे उसे नुकसान पहुंचा सकेगा सब समझा दो माना आजकल सब शिक्षित ज्यादा है लेकिन श्रद्धा जैसी ज्यादा शिक्षि