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vikas agrawal
जैसे पेड़ अपना फल नहीं खाता। नदिया अपना पानी नहीं पीती। ठीक वैसे ही, सरकारी स्कूल के अध्यापक अपने बच्चे को। सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाते। ©vikash पहले सिस्टम सुधारो। देश भारत में सुधारना।
प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)
#Noise आज का प्यार भी आता है निभाने मे कहा,, राधिका मिलती है मुन्नी के जमाने मे कहा,, #राम #पंडित #सुधारकरलोबे
Ankur Thakur
बड़ी सोच समझ के चयन करो यारो अपने शब्दों का, क्या पता मान जाए बुरा वो हमारे किन लफ़्ज़ों का।। #सुधार_जाओ__लड़कियों
Pushpendra Pankaj
कवि की शैली ,कवि की भाषा क्या है कविता की परिभाषा ? सब पर चिंतन करना होगा ।। कविता अस्तित्व रक्षण के लिए, कसौटी पर परीक्षण के लिए, नैतिक मंथन करना होगा।। भूलों पर हो स्वीकारोक्ति, शुद्ध मर्यादित अभिव्यक्ति, पारस से कंचन बनना होगा।। त्रुटियों को हम स्वीकार करें, मौलिक प्रखर विचार रखें, गुरू का वंदन करना होगा।। विष-मलिन विचार टकराएंगे, हलचल कोहराम मचाएंगे, तब चंदन तरु बनना होगा ।। जिससे विशिष्ट प्रज्ञान मिले, जिस संग रहकर सम्मान मिले, अभिनंदन भी करना होगा।। बढ़ना होगा,बढ़ना होगा नैतिक पथ पर चढ़ना होगा, असत्य,अमर्यादित,के विरुद्ध मिलकर क्रंदन करना होगा।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj सुधारवादी बनो
Satish Deshmukh
सुधारणा..... लोक मला कुत्रा म्हणाया लागले ! सुधारणेला खत्रा म्हणाया लागले ! एकांतलो मी पाहूनिया झूंड त्यांचे ! धाडसाला भित्रा म्हणाया लागले ! समविचारी लोक काही भेटले चळवळीला जत्रा म्हणाया लागले ! शेवटीला सफल झालो यत्न करुनी वैरी जूणे मित्रा म्हणाया लागले ! सतीश देशमुख शेंबाळपिंप्री,पुसद ©Satish Deshmukh सुधारणा #IFPWriting
Anshu kushvaha ji
ehsanphilosopher
आओ उस शख़्स को सुधारा जाए। लफ्ज़ न हो तो आहट से पुकारा जाए।। अपने जज्बात का गर कद्र जानता है, औरों के हालात को भी दिल में उतारा जाए।। सुधारा जाए
Rupesh Rawat
पांच को त्यागना कठिन था किंतु अब तो दस हो गई हे काम,क्रोध,लोभ, मोह,अहंकार इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूट्यूब,वाट्सअप,स्नैपचैट ©Rupesh Rawat अवारा दिल कब सुधारेगा
Arora PR
इस दुनिया को अंगिनित तथाकथित सुधारको ने इस पृथ्वी को सुधारने की कोशिश की हैँ और ये कटु सत्य हैँ कि इन लोगो ने जितनी कोशिश की ज़मीन की धूल और काँटों को साफ कर देने की उतनी ही ज्यादा मुश्किल पड़ ती गई हैँ ये पृथ्वी ये दुनिया.. इन तथाकथित सुधारको. के कार्ण ही . मनुष्य जाति इतनी पीदाओ मे उलझ गई हैँ कि आज कोई छुटकारा भी नहीं दिखता ©Arora PR सुधारक