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Raone
बी एच यू में मुलाक़ात तो उनसे लंका पे बोलचाल हुआ अस्सी पर मिलना तो नाँव पर इज़हार हुआ कभी बी बी सी की थाली तो कभी पहलवान लस्सी के बहाने मिलना जो सौ सौ बार हुआ कभी मधुवन तो कभी लंका की काॅफी पर पैसा खर्च हजारों हजार हुआ कभी वीटी तो कभी करमनबीर बाबा तो कभी कालभैरव बाबा का आशीर्वाद हुआ गोदौलिया हमारा ससुराल तो दालमंडी से उनको प्यार हुआ डी एल डब्ल्यू हमारी सुबह तो घाट की ठंडक हमारा शाम हुआ चढ़ा जब इश्क़ परवान उनपर हमारा तो लगा अब पूरा बनारस हीं उनका जहांन हुआ कभी वो हमसे लड़ते कभी हम उनसे लड़ते फ़िर तीन साल यूँ पल मे गुज़र गये और अब उनसे मिलना बस सपनों में साकार हुआ आज वो भले बनारस से अलग हुए हैं पर बनारस के रविदास हीं उनके शहर का नाम हुआ राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ इश्क़ बीएचयू
Raone
बी एच यू में मुलाक़ात तो उनसे लंका पे बोलचाल हुआ अस्सी पर मिलना तो नाँव पर इज़हार हुआ कभी बी बी सी की थाली तो कभी पहलवान लस्सी के बहाने मिलना जो सौ सौ बार हुआ कभी मधुवन तो कभी लंका की काॅफी पर पैसा खर्च हजारों हजार हुआ कभी वीटी तो कभी करमनबीर बाबा तो कभी कालभैरव बाबा का आशीर्वाद हुआ गोदौलिया हमारा ससुराल तो दालमंडी से उनको प्यार हुआ डी एल डब्ल्यू हमारी सुबह तो घाट की ठंडक हमारा शाम हुआ चढ़ा जब इश्क़ परवान उनपर हमारा तो लगा अब पूरा बनारस हीं उनका जहांन हुआ कभी वो हमसे लड़ते कभी हम उनसे लड़ते फ़िर तीन साल यूँ पल मे गुज़र गये और अब उनसे मिलना बस सपनों में साकार हुआ आज वो भले बनारस से अलग हुए हैं पर बनारस के रविदास हीं उनके शहर का नाम हुआ राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ इश्क़ बीएचयू
Raone
बी एच यू में मुलाक़ात तो उनसे लंका पे बोलचाल हुआ अस्सी पर मिलना तो नाँव पर इज़हार हुआ कभी बी बी सी की थाली तो कभी पहलवान लस्सी के बहाने मिलना जो सौ सौ बार हुआ कभी मधुवन तो कभी लंका की काॅफी पर पैसा खर्च हजारों हजार हुआ कभी वीटी तो कभी करमनबीर बाबा तो कभी कालभैरव बाबा का आशीर्वाद हुआ गोदौलिया हमारा ससुराल तो दालमंडी से उनको प्यार हुआ डी एल डब्ल्यू हमारी सुबह तो घाट की ठंडक हमारा शाम हुआ चढ़ा जब इश्क़ परवान उनपर हमारा तो लगा अब पूरा बनारस हीं उनका जहांन हुआ कभी वो हमसे लड़ते कभी हम उनसे लड़ते फ़िर तीन साल यूँ पल मे गुज़र गये और अब उनसे मिलना बस सपनों में साकार हुआ आज वो भले बनारस से अलग हुए हैं पर बनारस के रविदास हीं उनके शहर का नाम हुआ राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ इश्क़ बीएचयू
अविनाश कुमार
सियासत का नया बेहूदा रंग देख रहा हूँ बीएचयू की हवाओं में "संघ" देख रहा हूँ बीएचयू में हो रही घटनाओं से मन बहुत दुखी हुआ जा रहा है। मालवीय जी की बगिया में छात्राओं के साथ ये व्यवहार बहुत ही निंदनीय है। मुझे तो इन सभी
Dr Upama Singh
यात्रा वृतांत: मेरी पसंदीदा स्थान वाराणसी मोक्ष का स्थान अनुशीर्षक में जीवन में बहुत जगह मैंने यात्रा की हूं बचपन में उत्तराखंड से जो शुरुआत की अभी तक मैंने हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थ
Shitanshu Rajat
सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त.... और BHU (Read full poem in caption) सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त और बीएचयू (BHU)...... मंजर-ए-उपद्रव हुआ है यहाँ भी उनके साथ अब, जो कह रही थीं, बख्श दो, ओ नापाक हाथ अब, ना मान सके जो
अशेष_शून्य
सुनो मधुबाला ...! Dedicating a #testimonial to Madhumayi पत्र बहुत कम लिखती बहुत कम लोगो को लिखा भी है आज तक बहुत लापरवाह हूं इस मामले में या यूं कहूं कीउन न