Find the Latest Status about टाहो कविता संग्रह from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, टाहो कविता संग्रह.
tcp
White जाने क्यूं है दरार इतना हम दोनों के बीच? जाने क्यूं है दरार इतना हम दोनों के बीच? भले ही मेरे दिल में तुम अब भी करीब हो, और हर पल रहोगे, लेकिन फिर भी, बस एक बार के लिए ही सही मुझे अपने नज़रों से अपने पास तो खींच. तुम्हारी हसी रात को मेरे कानों में गूंजती है, अक्सर तुम्हारी यादें मेरी नींद उड़ा देती है, ये क्या अजीब इम्तेहान है मेरा, मुझे तो नींद से बहुत प्यार था, नींद के आगे कोई नहीं था, लेकिन अब वो भी घबराती है मेरे पास आने से, शायद उसको तुम्हरी भनक लग गई है.... ©tcp कविता संग्रह
tcp
White दस महीने कोख में रख कर जन्म देने वाली माँ । शिशु का पहला आहार देने वाली माँ । शिशु के मुँह से निकलने वाला पहला शब्द माँ । चोट लगने पर पुकारे माँ । जिन्दगी का आखरी शब्द माँ । जिन्दगी भर का साथ है माँ । दूनिया ब साने वाली माँ । देना है तो माँ को सहारा दो। आश्रय दो , धक्का न दो। माँ को दादी माँ ,नानी माँ बनाओ। आय्याम्मा नहीं । माँ माँ माँ सिर्फ माँ हैं जननी है माँ । ©tcp कविता संग्रह
tcp
White श्रोता आपस में मरें कटें कवियों में फूट नहीं होगी, कवि सम्मेलन में कभी, किसी की कविता हूट नहीं होगी; कवि के प्रत्येक शब्द पर जो तालियाँ न खुलकर बजा सकें, ऐसे मनहूसों को, कविता सुनने की छूट नहीं होगी। कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो, बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो। ठग और मुनाफाखोरों की घेराबंदी करवा दूँगा, सोना तुरंत गिर जाएगा चाँदी मंदी करवा दूँगा; ©tcp कविता संग्रह
tcp
White तू सोचता है कि दुनिया ने दिया क्या है ! किसी ने ताउम्र तेरे वास्ते, किया क्या है ! चाहत तो पाल रखी है हर चीज़ पाने की, मगर दुनिया के वास्ते तूने किया क्या है ! मुफ़्त में ही नाम और सौहरत तो चाहिए, आखिर कमाल ऐसा तुमने किया क्या है ! तेरी दौलत भी तो मिल्कियत है ख़ुदा की, फिर भी कहता है कि हमने लिया क्या है ! ज़रा सा चैन से भी जीना सीखलो "मिश्र", वर्ना तो खुदा पूछेगा कि तूने जिया क्या है ©tcp कविता संग्रह
tcp
Black संकल्प हमारी पहचान है फिसलन विषयों में अब-तक राग है उठना ही जिन्दगी है गिरना शोभा देता नहीं है ।।1।। ---------------------------------------- उठने में परम आनंद है विषयानुराग मौत-ही मौत है जिन्दगी द्वार खड़ी है, दरबाजा खोल, संकल्प तुम्हारी पहचान है ।।2।। ------------------------------------------ गिरेगा कैसे? जब हाथ पकड़े है राम तेरे प्रण टूटेगा नहीं तेरा जब खूद में तु व्यस्त है ।।3।। ------------------------------------ ©tcp कविता संग्रह
tcp
अमर वीर वे, सैनिक ! जो भारत माता की रक्षा को बर्फीली सरहद पर, डटे हुए दुश्मन को मारें या ख़ुद ही मरते रहते बलिदान ही अपना गर्व समझते वे गढ़ते नहीं शौर्य की कविता बल्कि,जी जाते हैं वे शौर्य की कविता, वे,जो पथरीली धरती का सीना, हल के फलों से,चीर चीर कर बीज अंकुरित करते हैं कविता कभी नहीं वे गढ़ते.... हर रोज़ परिश्रम की कविता वे जीते हैं, हाँ,कविता गढ़ना बहुत सहज पर काविता जी लेना, है मुश्किल ©tcp कविता संग्रह
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता