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चाँदनी
मै चीरना चाहती हू ख़ुद के अंदर की वो सारी आवाजें जो युगों युगों से खामोश रखी है मुझे मै हृदय की आग को दिसम्बर की बर्फीली लहर मे समेटना चाहती हू जी वर्षो से सीने मे धधक रही है पर रिवाजों का कैद बहुत गहरा है और संस्कारों का पिंजर बेड़ियों से लबालब धीर! मेरे रूह की अपर्याप्तता बताती है ©चाँदनी #धीर
The unconditional Love
चलो कुछ बात हो जाये कुछ अपनी जजबात हो जाये। बीते हुए पल को फिर से याद कर लिया जाए । कुछ खट्टी मिट्ठी यादों के साथ फिर से मुस्कुराया जाएं। क्रोना वायरस का टेंशन छोडो घर में बैठ कर आपनो के साथ बचपन की यादों को फिर से तरोताज़ा करो। खुश रहो ,मस्त रहो, अपने घर में स्वस्थ रहो। खुश रहो मस्त रहो अपने घर में स्वास्थ्य रहो।
KAKE KA RADIO
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ , जिन्दगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ । अभी वक़्त है सैर कर लो , गर आ गयी रात तो शाम सुहानी फिर कहाँ । कभी बैठो हवाई जहाज़ में और लो सपनों की उड़ान , कभी देखो उस फ्लाइट स्टीवरडेस की प्यारी मुस्कान। कभी हज़ारों फ़ीट की ऊँचाईं पर जहाज में खाना खा के देखो , कभी पहाड़ की चोटी पर खड़े होके गाना गा के देखो । कभी जाओ समंदर किनारे और ठंडी हवा लो , खुद को उस हवा में पूरा बहा दो । कभी रेत पर नंगे पाव चलके देखो , दुनिया कितनी हसीन है निकल के देखो। अगर नही देखा तुमने कुछ भी तो ये कहानी फिर कहाँ , सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ। सफर में रहो । 😊 सफर में रहो
Marutishankar Udasi
चुभ न जाए कांटा कही मेरे दिलबर के पाव में मुझे राख बना के बिछा देना उदासी मेरे महबूब के राहों मे ©Marutishankar Udasi #PhisaltaSamay रहो में
writer##Zeba Noor
पथरीले रास्ते पर जब तक अंस थी तब तक चलते चले गए आंख मूंद कर विश्वास करते चले गए अब पथरीले रास्ते पर अकेले चलना हैं दूसरों को सुख खुद को दुःख देना है अब मेरे पिता नहीं रहे इस दुनियां में मुझे छोड़ गए इन पथरीले रहो में।। पथरीले रहो में####
Anjali
बदलो की तरह बारिश की कहानी में रहो तुम मेरा गम हो , मेरे आँख की पानी में रहो। मुझको मालूम है , तुम इसक नहीं कर सकते तो हवस बांके जिस्म के मानी में रहो। दोस्ती तुमसे दुबारा तो नहीं हो सकती तुम मेरे साथ दुश्मन जनि में रहो। ये नई दुनिया तुम्हे रास नहीं आएगी लौट के आओ मेरी जान पुराणी में रहो। ©Anjali कहानी में रहो....
sujit kumar
धर्म से समाज का कल्याण होता है, धर्म कोई सा हो, अगर नहीं होता, तो आप धर्म समझ ही, नहीं पाए।। धर्म में सुख है, धर्म से नहीं
TarunRaj
Sudha Bhardwaj
ओ मन मेरे तनिक धीर धर। न हो व्याकुल न तू हो बेसबर। लक्ष्य पर ही दृष्टि ध्यान तू रख। वहीं पर हो तेरी अगली सहर। ओ मन ....... भले ही हो दुर्गम हो सूनी डगर। ढूंढ़ लेगी मंजिल को तेरी नज़र। न हार स्वयं से मत टेक घुटनें। विपदा पर टूट तू बन के कहर। ओ मन....... सुधा भारद्वाज "निराकृति" विकासनगर उत्तराखंड #धीर(Dheer)