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Vivek
मैंने तो श्यामपट्ट पर उसके नाम का पहला अक्षर ही लिखा वो सामने प्रकट हो मेरे चेहरे को पढ़ने लगी...!!! ©Vivek # श्यामपट्ट
Deepak Dilwala
दोबारा मोहब्बत होती जा रही है अब हमें, अब उन पुरानी गलतियों को ना दोहराएंगे हम। अब फैल तो नही होंगे...इश्क़ के इम्तिहान में फर्स्ट डिवीज़न से पास होकर दिखाएंगे हम। #NojotoQuote #नए-इश्क़-की-योजना..
Dilipkashyap
समाज की गंदी आदतें समाज की गंदी बातें सब मीट रही हैं NSS से बढ़ रहा है भारत स्वच्छता की ओर बढ़ रहा है भारत आगे की ओर समाज सुधर रहा है लोग बदल रहे हैं सोच में बदलाव आ रहा है NSS से बदल रहा है भारत नये सोच की ओर बढ़ रहा है भारत बदलाव की ओर समाज विकास कर रहा है व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है निखर रहा है टैलेंट समाज की हर गलियों से NSS से बढ़ रहा है भारत उन्नति की ओर बढ़ रहा है भारत विकास की ओर हम समाज सेवक बन गए हैं हम समाज पोषक बन गए हैं साथ - साथ बन गए हैं पर्यावरण संरक्षक NSS से बढ़ रहा है भारत सेवा की ओर उभर रहा है भारत नये स्वरूप की ओर नये स्वरूप की ओर #एक कविता राष्टीय सेवा योजना की
S. Bhaskar
कतल की योजना मेरे उठते जनाजे में कई बार ये सवाल आया है, कि योजना मेरे कतल की क्या अपनों ने बनाया है। मैं मजे में था और रूहानी खुशी से भरपूर था, क्या होती है खलाए मैं मासूम अभी इनसे दूर था, मेरे खुशियों को जाने किस से मैंने नजर लगवाया है, की अपने लहू में सने मैंने हाथ अपनों का पाया है। दोस्ती का ये नायाब सिलसिला मिला है, मतलब परस्त ही अब बागान खिला है, हमें गैरों में भी अपना ही मकान नजर आता है, पर अपनों को अपना बनाने का हुनर हमें नहीं आता है। हमारी हुनर बस इतनी सी है कि हम चुप हो जाते है, और बिन बोले ही सब कुछ समझ जाते है, मुझे अशांत मन दूसरों का बुलाता हैं, पर खुद को कैसे शांत करे समझ नहीं आता है। हज़ार टुकड़े मेरे हुए और लहू ने सवाल उठाया है, मेरे अपने लहू को क्या अपनों ने बहाया है। कतल की योजना #yqdidi #yqbaba #yqkatl
डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
ग़ज़ल की पाठशाला(पाठ२) ग़ज़ल:शिल्प और संरचना १) मतला -ग़ज़ल के पहले शे'र को कहते हैं। २) मक्ता -ग़ज़ल के आख़िरी शे'र जिसमें शायर अपना उपनाम लिखता है। ३) ऊला -मतले (पहला शेर)की पहली पंक्ति को कहते हैं। ४) सानी -पहले शे'र की दूसरी पंक्ति को कहते हैं। ५) काफिया यानी तुक और रदीफ जो काफिया के बाद आते हैं। ग़ज़ल में काफिया, रदीफ का होना अनिवार्य है। (क्रमशः) ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) # ग़ज़ल की पाठशाला (पाठ २)
डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
ग़ज़ल की पाठशाला(पाठ३) ग़ज़ल:शिल्प और सरंचना १)मसम्मन २) मुसद्दस जिस बहर के एक मिसरे में ४और शे'र में ८अरकान हो उसे ' मुसम्मन बहर ' तथा जिसमें एक मिसरे में ३, शेर में ६ अरकान हो, उसे मुसद्दस कहा जाता है। १२२ १२२ १२२,१२२ =४arkan गुलों से गुलों को चुरा ले गए हैं। १२२ १२२ १२२ १२२ शजर शाख अपनी बचा ले गए है। ४अरकान ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) # ग़ज़ल की पाठशाला (पाठ ३)