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Adarsh Patel
ये नया नया सलीका प्यार का कहां से पाते हो? किसी का दिल तोड़ ,किसी से बहलाते हो और कितनो के दिलो से खेलोगे तुम अब कोई खिलौना ही सही , ले लो तुम । यूं आशिकों की आशिकी बदनाम न कर सच्चे दिल वालों के भी हैं यहां घर कई। दिलों से खेल खुलेआम न कर। ©Adarsh Patel दिल का खेल दिल का खेल #Thinking
Narendra Sonkar
कहीं पर निराट निर्जनता तो कहीं पर रेल पेल चार दिन की जिंदगी का मुख्तलिफ है खेल ©Narendra Sonkar "चार दिन की जिंदगी का मुख्तलिफ है खेल"
Naveen kumar
मैंने देखा है मेरी बदकिस्मती को, जो मुझे पसंद होता है वो मुझे कभी नहीं मिलता ©Jaimata Di किस्मत का खेल
Jyotsana yadav
कुदरत कुदरत का करिश्मा भी अजीब है, कही किया ठंड तो कहीं चिलचिलाती धूप कहीं सब है हरा-भरा तो कहीं गया सब सूख / कोई सबकुछ पाकर भी दुखी है कोई थोडे़ मे ही दिखता खुश, किसी को बिन मेहनत किए मिला रोटी तो कोई मेहनत करके भी झेल रहा भूख । ये सब कुदरत का करिश्मा है , किसी को कुछ पैसों के लिए भटकना है पड़ता, तो कोई सब कुछ रहते हुए बनता है कंजूस/ ये क़िस्मत का कैसा निराला है खेल कोई सबको अपना बना लेता है तो कोई अपनो को ही जाता है भूल......... ©Jyotsana Yadav #कुदरत का खेल
ASHOK KUMAR POET
आपने पगला बना दिया और नाचने वाला बना दिया क्या नहीं बनाया जनाब देखो किस्मत का खेल । अपने बनकर लोग अपनो की जिन्दगी को तबाह करने पर उतर जाते है लोग । किस्मत अच्छी थी वरना आज कैदखाने में होते जनाब यदि ना रह सको किसी के दिल में तो उसे अपने हालात पर छोड़ दो । आजाद है ये दुनिया तुम भी इसके एक हिस्से हो जनाब । दोष हमारा ना था फिर भी दोषी हम निकले । अपने हाथों का था कारनामा दोष हमारे हाथों का आया । गलती उसकी नजर ना आई सारा दोष अपने सिर मढ गई वो । खुदा भी माफ ना करे जिसे जो निर्दोष पर वाणी का चाबुक चला गई वो। वे कितने भोले चेहरे थे जीब सर्पिणी की निकली उनकी यारो। ©ASHOK KUMAR POET किस्मत का खेल
SALIN JOSHI
सोच रहा हूँ, खेल उसने जो खेला है झूठे इश्क़ का आज उसको में जीत लेता हूँ, इश्क़ में मिला दर्द थोड़ा बराबर तो होंगा, बहुत सजाई हैं महफ़िल उसने ख़ुद की,अपनी महफ़िल में उसको नचाऊ तो कोई बात बने,उसे लगता हैं मैं कोई पाग़ल हुँ इश्क़ का उसकी,उसकी याद में डूब जाऊँगा, कोई बताओ उसको हम भी यादों में उनकी अब नहीं तैरते, समंदर का सीना चीर कर मोती चुगने वाले हैं हम,।। खेल इश्क़ का#