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Sanjeev0834
धीरे धीरे सब छोड़ जातें हैं becember तो एक महीना है। . ©Sanjeev0834 #december #महीन #धीरे #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #motivational hindi poetry on life urdu poetry Hinduism
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read moreAnjali Singhal
White "राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" ©Anjali Singhal "राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" #AnjaliSinghal #shayari #life #explore #explorepage #statu
"राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" #AnjaliSinghal #Shayari life #EXPLORE #explorepage statu
read moreSarvesh kumar kashyap
🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional
read moreAnuradha T Gautam 6280
धीरे-धीरे रात बीतती रही और मैं #एक_टक खिड़की से आसमान को निहारती रही..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ 👀☁️👀
read moreहिमांशु Kulshreshtha
धीरे धीरे अंतस का सारा शोर थम जाता है.. सारी पीड़ाएं,सारे दुख सुन्न से हो सो जाते हैं.. फिर कुछ भी हैरान नहीं करता, कुछ भी परेशान नहीं करता.. पीछे मुड़कर देखने पर लगता है जिस जिंदगी को जीया, भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा सब बचकाना था सब कुछ बेमानी था.... जिस को जाना था वो चला ही जाता है ख़ामोशी से बस, अपने निशाँ छोड़ कर धीमे धीमे जिदगी फ़िर ढर्रे पर आने लगती है किसी के बिना जी न पाने का डर कम होता जाता है बस.. कभी कभी सीने में एक आग सी उठती है एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है ©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...
धीरे धीरे...
read moreनवनीत ठाकुर
White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता। प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं, वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं। प्यार से सींचो, तो ये अमर हो जाते हैं, वरना ये जख्म बनकर सदा रुलाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीर
#नवनीतठाकुर रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीर
read moreRakesh frnds4ever
White मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था दुनिया से दोनो हाथ खाली थे अब ना वो हलाकू है और ना उसके साथी हैं जंग जो न कोरस है और न उसके हाथी हैं कल जो तनके चलते थे अपनी शान-ओ-शौकत पर शमा तक नही जलती आज उनकी तुरबत पर अदना हो या आला हो सबको लौट जाना है - २ मुफ़्हिलिसों का अन्धर का कब्र ही ठिकाना है - २ जैसी करनी ... जैसी करनी वैसी भरनी आज किया कल पायेगा सरको उठाकर चलनेवाले एक दिन ठोकर खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,,,,,,,,,,,, 2 ,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever मौत ने #ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे #रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख #सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था #शान _ओ_शौकत पर शमा
Rakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
read moreRakesh frnds4ever
White ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ढल रही है जिंदगानी धीरे धीरे डूब रहा है जीवन का सूरज धीरे धीरे घिर चुके हैं इस जंजाल में धीरे धीरे कि अस्त होते जा रहे हैं धीरे धीरे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, #ढल रही है #जिंदगानी #धीरे धीरे #डूब रहा है जीवन का #सूरज धीरे धीरे घिर चुके हैं इस जंजाल में धीरे धीर