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ashi
जरूरत तब तक अंधी रहती हैं जब तक कि उसे होश न आ जाये आजादी जरूरत की चेतना होती हैं। -कार्ल मार्क्स #कार्ल मार्क्स
pramod malakar
देश का राजनीतिक सच (((((((((((((((((())))))))))))))))) मीडिया अगर सुधर जाए तो, मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। जो बोलने की आजादी है भारत में, रोक लगाने की कानून बन जाए तो मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। फिर नेता क्या चीज है................................ स्वार्थ हीं सही नेता देश को संभालता तो है, अपना जेब ना सही चोरों का खंगालता तो है। चार घंटे का मेहनत से लोग ऊंचा मुकाम चाहता है, बीस घंटा समय देकर नेता खुद को भी, खुशहाल और आराम चाहता है। जनता खुद लालची और काम चोर है......... बिना परिश्रम का मौज और मालामाल चाहता है, भ्रष्टाचार युक्त सरकारी काम चाहता है , राष्ट्र हित की बात करो तो आत्मा कराहता है। बातें बेतुकी लगती है कुछ लोगों को। प्रत्येक व्यक्ति फ्री का सामान चाहता है। प्रत्येक जाति अपने हाथ में सरकारी कमान चाहता है, जातिवाद रुपी झगड़े से मुक्त भारत भी अब सम्मान चाहता है । चावल फ्री, दाल फ्रि , शिक्षा और अस्पताल फ्री , बिना काम किए जनता सरकार से मोटा माल चाहता है, बिना परिश्रम का नौकरी और तनख्वाह चाहता है। सरकार चोरी करे डाका डाले , जनता खुद के लिए फ्रि का भोजन , व्यवस्था और पुर्ण विकास चाहता है.................................. जनता जातिवाद और राष्ट्रीय विरोधी सोच से, खुद को अलग कर ले तो, धर्मी भी सुधर जाए और अधर्मी भी सुधर जाए। मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। ************************************ प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #देश का राजनीतिक सच
Santosh Verma
पावलाव ई कुत्ता तोहार, ले लियो नोबेल पुरस्कार। एक रशियन ने....एक रशियन ने, दिया एस अनुबंधन का सार , ले लियो नोबेल पुरस्कार।। अनुबंधन क्लासिकल में आया, अनुक्रिया अनुकूलित में आया,, संबद्ध प्रतिवर्त में आया, सम्बन्ध प्रत्यावर्तन में आया,, शास्त्रीय अनुबंधन में...शास्त्रीय अनुबंधन में, नाचे डमरू पे बंदर हमार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। अनुकूलन चिरसम्मत को देखा, अनुबंधन प्रतिवादी देखा,, सीखते मंद बालकों को देखा, देख बिजूका...देख बिजूका , पक्षी गयो भाग पार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। जोड़, घटाना, गुणा भाग सिखाए, स्वच्छता, सफाई आदत अच्छी सिखाए, ज्ञान समय पाबंदी का कराए, बढ़ गयो बड़ों का सम्मान हजार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। पावलाव ई कुत्ता तोहार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। writer(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले खुद की ज़ुबानी ©Santosh Verma पावलाव का सिद्धांत(मनोविज्ञान) #hills
Ek villain
हीरो की बहारों की उम्मीद थी लेकिन कहर ने धोखा दे दिया मनोहर और इतना साले किसी को कब तक बेवकूफ बनाया जा सकता है एक बार फिर पर हार का सामना करना पड़ा शहरों ने एक ऐसे समय में धोखा दे दिया जनता के समर्थन की गुहार को अनसुना कर दिया कुल मिलाकर उम्मीद इतनी भेद रंग ही की हीरो के मंथन करना पड़ा मारते हैं क्या नहीं करते जब करने के लिए जब तो वे जमानत के हिसाब से अलावा कुछ और नहीं हो पाया तो हार नेता मंथन ही करते क्या होता होगा किसी पार्टी की हार के बाद वह मंत्र की बैठक में जब देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था तो एक सांप का मंथन के लिए रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था क्या हारी हुई पार्टियों की बैठक में किसी को यह पता था कि वह देवताओं के दल की तरफ से रस्सी खींच रहा है या दानव के दल की तरफ से राजनीति ने राहुल तो अक्सर अपना भी इस बदलकर देवता दिखाते रहने की कोशिश करते हैं उन्हें पछताना कैसा होगा देवताओं के बीच तो एकरा होता लोकतंत्र में बहुत बुरे राहुल रूप बदलकर देवता बन पड़े हैं पार्टी यदि सहानुभूति का अमृत भारतीय होती होगी तो सांसदों को अलग से पहचानने की मत कर पाती होगी क्या ऐसा संभव नहीं है कि कोई पार्टी अपने बीच से बुरे लोगों को दूर करने की इमानदारी कोशिश करें तो इसमें गिनती के लोग बच जाए शायद कोई ना बचे फिर पार्टी क्या करेंगे मंथन कैसे होगा पार्टी को मंथन करना ही चाहिए हालांकि पार्टी के बड़े लोग जानते थे कि पार्टी के हैरान और क्यों हैरान है पार्टी के लिए अच्छा होता कि वह मंथन करें ©Ek villain #राजनीतिक दलों का मंथन #Connection
देवेंद्र धर
कम मार्क्स और ज़िन्दगी देवेंद्र धर "देवा" मत डर ऐसे एग्ज़ाम के मार्क्स से , ये एग्जाम आखरी बार नही है आएंगे ज़िन्दगी में अनेकों कठिनाई , ये रिज़ल्ट पहली बार नही है माँ-बाप से मिली है ये ज़िन्दगी , ज़रा सोचना उनके बारे भी ऐ दोस्त मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही है मैट्रिक तो है पहली लड़ाई , लड़ाईयाँ कई तेरी अभी बाकी है इण्टर हो गया ट्रेलर फ़िल्म का , पूरी फिल्म तेरी अभी बाकी है मैट्रिक इण्टर तो है सीढ़ी पहली , लक्ष्य साधना तेरा अभी बाकी है इसके मार्क्स से घबराओगे तुम ? पूरी ज़िंदगी तेरी अभी बाकी है फैसला लो तुम ज़िन्दगी का , तु ज़िन्दगी का कोई सरकार नही है मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही है मैट्रिक के मार्कशीट की वैल्यू , आज देवा तुम्हे बताएगा मार्कशीट का काला सच , इसका सच्चा रूप तुम्हे दिखायेगा अपना मार्कशीट दिखाओगे , भले ही तुम जिस दफ़्तर में मार्क्स उन्हें दिखेगी नही , डेट ऑफ बर्थ ही उन्हें दिख पाएगा पूरी ज़िंदगी ये मार्कशीट , डेट ऑफ बर्थ चेक में ही काम आएगा कम मार्क्स के आने से , जो ज़िन्दगी ख़त्म कर लेता है असल मे वो तो कायर है , ज़िन्दगी से जो डर जाता है दोस्त और टीचर कहेंगे क्या , घर में कैसे मुँह दिखा पाएगा इन चन्द सवालों से परेशान , बेचारा ज़िन्दगी से खेल जाता है अपने लक्ष्य को छोड़ अधूरा , माँ-बाप को तनहा कर जाता है फेल हुए तो क्या हुआ , अगले एग्जाम में कल तुम पास हो जाओगे ज़िन्दगी गई तो क्या , माँ-बाप को वो खुशी के पल लौटा पाओगे? फिरसे कहता हूँ चोट है ज़िन्दगी का , ईश्वर का कोई वार नही मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही #NojotoQuote कम मार्क्स
@अलोक सिंह आर्य !!
काश़ दिसंबर में भी किसी राज्य में चुनाव होता, तो कोरोना का इतना कहर न होता, इस दुसरे लोकडाऊन करने से पहले ये नेता डरते। #लोकडाऊन #मार्क्स #कोरोना
Akashdeep
हिंदुस्तान की राजनीति पर चंद लाईन ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान ओर बचाने वाले को आतंकी पढ़ाया जाता हैं बलात्कारी को ईनाम ओर सहने वाले को तिरस्कार दिया जाता हैं देश की सीमा की रक्षा करने वाले को बलात्कारी और बलात्कार करने वालो को देशभक्त बताया जाता हैं ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान पढ़ाया जाता हैं यहाँ देशभक्त को अंधभक्त ओर देशद्रोही नारे लगाने वालों को देशभक्त बोला जाता हैं यहां आतंकवाद का कोई मजहब नही पर आतंकवादी के जनाज़े में सैकड़ों रिश्तेदार नजर आते हैं ऐसे ही राज नही किया लुटेरों ने इस देश पर चंद सिक्कों के लिए गद्दारों ने बेचा हैं देश मेरा लेकर नही आये थे वो लुटेरे सेना अपने साथ शामिल थे कुछ हमारे भाई चंद रोटी के टुकड़ों के लिए नदियां बही थी लहू की इस देश की माटी में शामिल जो थे तुर्को की सेना में कुछ गद्दार इस वतन के जय हिंद जय भारत आकाशदीप जयपुर राजनीतिक