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राज़ मेहरा
बेवफ़ा..? बेवफ़ा..? 💔 बेवफ़ा..? कभी ख़ुश नहीं रहेगी तू बेवफ़ा इस आश़िक की तड़फ कह रही है..?
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी बदइंतजामी के शिकार कुंभ में हादसों के शिकार यात्री होते जा रहे है आस्थाओं की चरम सीमा है भगदड़ में अपने खोते जा रहे है बदनीयत शासन प्रशासन की है हर प्रबन्ध हादसों की भेंट चढ़ते जा रहे है दिल्ली के रेलवे स्टेशन की भगदड़ चूले रेलवे की हिला रही है हाईटेक व्यवस्था के जमाने मे भी मौत के मुँह में सवारी जा रही है जबाबदेही किसकी तय करे सरकारों पर यात्रियों के खून की जबाब देही बढ़ती जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status यात्रियों के खून की जबाब देही बढ़ती जा रही है
#Sad_Status यात्रियों के खून की जबाब देही बढ़ती जा रही है
read morejaiveer singh
Unsplash मौत मेरी राहें ऐसे तो न सजा।..... माना कि तू अपने इशारे पे नचा रही है जिंदगी... गाने तो मेरी पसंद के बजा।।... ©Jaiveer Singh #camping नाचा रही है जिंदगी
#camping नाचा रही है जिंदगी
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White झेल रहा हूं जो, खेल रहा हूं जिससे, मेल रहा जज्बात से, कहूं मैं किससे, नतीजा कविता है, जनाजा कविता है, दिल से कागज तक कि तकाजा कविता है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodMorning #कविता है।
#GoodMorning #कविता है।
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White मुझे खोज, कौन रहा है, मन से मन मौन रहा है। क्या कर खबर ले कि करे, पता न फिर गौण रहा है। जाहिर है, दुक्ख जताये, सुख तो छू पौन रहा है। जल लूं अपने कमरे में, कहीं कोप -भौन रहा है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #अनबन रही है।
#sad_quotes #अनबन रही है।
read moreRJ VAIRAGYA
White आंख अपनी उम्र भर रोती रही रोज दाने खेत में बोती रही, आश के दीपक सदा ढोती रही।। फेर नजरें वक्त है चलता बना, आंख अपनी उम्र भर रोती रही।। हाथ में मद से भरा प्याला लिए, दौलतें मां बाप की सोती रही।। दोस्ती हमसे सभी करते चले, दुश्मनी है मीत गल जोती रही।। थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले, बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।। ©RJ VAIRAGYA #sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma
#sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी पहचान परिचय की मोहताज हो रही है अनजानी सफर जैसी जिंदगी हो रही है ना कोई रोक टोक ना कोई मानमनोबल है बिना दुआ बिना आशीर्वाद लिये आज की पीढ़ी आगे बढ़ रही है बदलाव के नाम पर दुनिया चल रही है टूट चुकी है सामाजिक व्यवस्था चौखते घरों की घायल है जिम्मेदारी कौन किसकी उठाये अपनी कमी जब पूरी हो, तब गरीब भाई बन्धुओं के प्रति संवेदना की अलख जग रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes पहचान परिचय की मोहताज हो रही है
#sad_quotes पहचान परिचय की मोहताज हो रही है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सर फिर से उठा चुके अधर्मी मर्यादा तब तार तार है होती तपस्या भंग सच्चाई की राक्षसों की प्रव्रत्ति सर उठा रही है माँस और सुरा सुंदरी का बढ़ा प्रचलन साधु भेष में हठधर्मिता पनपायी जा रही है असत्यता का कद बढ़ा कर त्यागी तपस्वी को मिटाने की धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है चीटी भी ना मारी हो जिसने उसे विधर्मी बताकर नींव धर्म की हिलायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
#sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
read more||स्वयं लेखन||
White एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। ©||स्वयं लेखन|| एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। #love #december #Winter