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Parasram Arora
White नही मिला ईश्ववऱ मुझे किसी मंदिर मे औरमिला haनही दिखा मुझे कोई खुदा किसी मस्जिद मे. जो भी मिला है मुझे या तो मजहब मिला है या कोई सम्प्रदाय मिला है ©Parasram Arora नही. मिला मुझे ईश्वर
नही. मिला मुझे ईश्वर
read moreDeepankar
White जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम..... ©Deepankar #Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
#Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} ईश्वर पर श्रद्धा और विश्वास रखकर भक्त अपनी आध्यात्मिक प्रगति का भार ईश्वर पर सौंपता है। ज्ञानी मनुष्य अपनी आत्मा ज्ञानमय चैतन्यरूप ईश्वर का ही अंश है, यह जानकर आत्मबल से आध्यात्मिक प्रगति करता है। दोनों ईश्वर के आधार पर ही प्रगति करते हैं। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} ईश्वर पर श्रद्धा और विश्वास रखकर भक्त अपनी आध्यात्मिक प्रगति का भार ईश्वर पर सौंपता है। ज्ञानी मनुष्य अ
#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} ईश्वर पर श्रद्धा और विश्वास रखकर भक्त अपनी आध्यात्मिक प्रगति का भार ईश्वर पर सौंपता है। ज्ञानी मनुष्य अ
read moreRamji Tiwari
Unsplash विधा-दोहा छंद नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान। सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।। जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान। जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।। गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ। जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।। रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय। गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।। करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार। सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #दोहा #कवि #poem #Friend #साहित्य
Ramji Tiwari
Unsplash विधा-सोहाशेष आदरणीय श्री शेष मणि शर्मा जी द्वारा रचित नवीन विधा सोहाशेष जो कि दोहा+सोरठा के संयोग से बनती है। मेरे द्वारा रचित एक रचना आप सबके समक्ष सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत है - कनक वर्ण सरसों खिली, रही खूब इठलाय। बैठी तरुवर डाल पे, कोयल गाना गाय। गाय मनोहर गीत, तान छेड़ती अति मधुर। प्रीति प्रणय मन मीत, उमड़े अंतस में प्रचुर। लगे प्रभात तुषार, मन अनंग बढ़ती हनक। मधुप करे गुंजार , धरती दिखती मनु कनक।। कमल कीच में खिल गया,भँवरा गाए गान। कोयल ने भी छेड़ दी, अपनी मीठी तान। तान सुरीली छेड़, गीत सुनाती अति मधुर। पड़ी भानु की एड़, फूटे बीजों में अँकुर। बदले मौसम रूप,समीर बहती अति चपल। भोर सुबास अनूप, खिले सरोवर में कमल।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #poem #Spring #beatyfullnature #सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
#poem #Spring #beatyfullnature #सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
read moreVinay Mishra
ईश्वर करे। मेरा एक बेटा है, करीब सात वर्ष कुल दो-एक माह का, न जाने क्यों उसे मेरा सानिध्य कुछ कम ही प्राप्त होता है, मिलने को उससे दिल ये मेरा भी खूब रोता है। उसके कई प्रश्नों का उत्तर मेरे पास नहीं होता है, उसके खुशियों के खातिर ये दिल दुआएं भी संज्योता है, हँसी पे उसकि हार जाता है यह दिल, हर्षित मन होकर भरता हूँ उसके खुशियों का जब बिल। माँगे न कुछ बस साथ मेरा वह, लाखों कि भीड़ में है खास मेरा वह, ईश्वर करे खुशियों से लदा रहे उसके जीवन का हर टहना, क्या सोना क्या चाँदी लुटा दूँ उसपर निज जीवन का हर एक गहना। ©Vinay Mishra # ईश्वर करे।
# ईश्वर करे।
read morepuja udeshi
भगवान बस यही आश्रीवाद दे कि कभी मन मे किसी के प्रति द्वेष जागे किसी को कोई भी कष्ट मेरे कारण ना हो और सदा भला करू जब तक जग मे हूँ... ओम नमः शिवाय 🙏🏻 ©puja udeshi #ईश्वर #pujaudeshi
Vivek Dixit swatantra
.आज का दोहा बची संस्कृति नाम की, हैं नूतन परिधान! जितने ओछे वस्त्र हैं , उतने ही इंसान !! -विवेक दीक्षित 'स्वतंत्र ' ©Vivek Dixit swatantra दोहा
दोहा
read moreअनिल कसेर "उजाला"
White मान करो, सम्मान करो, न कभी भी बदनाम करो। गर फूल न बन सको तुम, काँटो सा न तुम काम करो। क्या रख्खा है ऊँच नीच में, सबका ही तुम ध्यान करो। इंसान को इंसान समझ लो, न खुद का तुम गुणगान करो। कर के नाश कहे अविनाशी हूँ, तुम ईश्वर का न अपमान करो। ©अनिल कसेर "उजाला" ईश्वर
ईश्वर
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