Find the Latest Status about करू आरती तेरी जग जननी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, करू आरती तेरी जग जननी.
SmileyChait
White मेरी राहें बस तेरे तक आती हैं तुझपे ही तो सिर्फ मेरा हक जताती है कुछ अनकहा सा अहसास करा जाती हैं कितने ही लम्हे लोगों के साथ गुजारे हैं हमने पर ना जाने क्यों एक वो तेरी याद बस तुझ तक ले आती हैं ©SmileyChait #GoodMorning बस एक तेरी याद An_se_Anshuman nnupur Author Shivam kumar Mishra SHIVANSH UP WALA Satish agrahari
Sarvesh kumar kashyap
Dilbag Creator
White मैं खामोश रहा उसके सामने मगर दिल में अजब सा शोर था मैं उसे देख कर मुस्कुराया मगर दिल मेरा रो रहा था ©Dilbag Creator #Moon सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02 Vani gaTTubaba Ambika Jha
दूध नाथ वरुण
जब जुल्फें तू लहराती है, बागों में बहारें आती है। जब तू मुस्काए देख तुझे,ये कलियां भी मुस्काती है।। ©दूध नाथ वरुण #तेरी #जुल्फें
आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी
Hi friends please like its ©आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी ना जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गई तेरे लिए, की मेरा दिल भी अब तेरी खातिर मुझसे रूठ जाता है !!
Ravindra Singh
Ravi yaduvanshi61
White 💰 पैसा वो साबुन है जो आज के जमाने में हर तरह के दाग 🙏साफ कर देता है..🙏 ©Ravi yaduvanshi61 #Road Sm@rty divi P@ndey Noor narendra bhakuni Ashutosh Mishra Sethi Ji Bhanu Priya MohiTRocK F44 Kiຮhori (ᵔᴥᵔ) Urmeela Raikwar (parih
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच