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Dhaneshdwivediwriter
रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है। ...... ©Dhaneshdwivediwriter रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि
रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि
read moreAnukaran
White थी ख़बर बाजार में हमारी गायब होने की, कमबख्त, हमे नही पता था, उस वक़्त तक, जबतक की सब के सामने हम न आ गए। ©Anukaran #GoodNight थी ख़बर बाजार में हमारी गायब होने की, कमबख्त, हमे नही पता था, उस वक़्त तक, जबतक की सब के सामने हम न आ गए।
#GoodNight थी ख़बर बाजार में हमारी गायब होने की, कमबख्त, हमे नही पता था, उस वक़्त तक, जबतक की सब के सामने हम न आ गए।
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख में अभियोग है, जो लिप्त हुआ, सुख न पाया है। जब अंतःमन प्रभु पुकारा है, हर हृदय ने प्रभु को पाया है। शरण में सर्वत्र न्यौछार दिया, प्रभु ने उस जीवन को तार दिया। जो नित ध्यान प्रभु में धारिता, उसके जीवन का सार किया। जीवन के सारे सुख निरर्थक हैं, बिन प्रभु के कुछ भी सार्थक नहीं है। जीवन का कोई राह दिखे न, तो फिर प्रभु शरण ही उपाय है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख म
#good_night मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख म
read moreAshutosh Mishra
#shayarana #हिंदीनोजोटो #हिंदी_शायरी #हिंदी_कोट्स_शायरी #रिश्ते #निभाते #दिमाग #आखरी_सांस #बाजार #आशुतोषमिश्रा irslan khan Ravi Ranjan Kuma
read moreSonam kuril
White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril #Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
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