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Mohan Sardarshahari
आ गया फाल्गुन लेकर मस्ती के दिन पेड़ों पर कौंपल देख मुस्काये मेरा मन। मधु के प्याले छलकें आंखों देख गौरियों का तन गींदड़ , डांडिया खेलकर पाऊं उनका संग। मेरा रोमांस फैल रहा ज्यों बारहसिंगा के सींग कचनार सी गोरियां सोच-समझ बढाइयो रे प्यार की पींग।। ©Mohan Sardarshahari #बारहसिंगा के सींग
Aman
1. घमंडी बारहसिंगा : (Moral Stories In Hindi) एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। वह बड़ा घमंडी था। एक बार वह तालाब में पानी पी रहा था और पानी हुए उसने अपनी परछाई देखी। वो अपने सुन्दर सींगो को देखकर बहुत खुश हुआ, पर अपनी पतली टाँगो को देखकर बहुत दुखी हुआ और वो भगवान को कोसने लगा। पीते घमंडी बारसिंघा एक बार कुछ शिकारी कुत्ते जंगल में आ गए और वो बारहसिंगा के पीछे पड़ गए। ये देखकर वो घबराकर दूर भाग गया। उसकी पतली टाँगे ही उसकी भागने में सहायता कर रही थी। भागते-भागते अचानक उसके सींग टहनियों के बीच फँस गए। उसने अपने सींगों को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह अपने सींगों को बाहर ना निकाल पाया। जिसके बाद उन शिकारी कुत्तों ने उसे घायल कर दिया और वो मरने की हालत में हो गया था। मरते समय वह सोचता रहा, “इन सुंदर सींगों ने मुझे मरवाया है और मेरी पतली टाँगे मुझे बचा सकती थी।" ©Aman #घमंडी बारहसिंगा #khani #Trending
rajkumar
विचार अपना अपना ©rajkumar खुद को हीन भावना से ग्रसित ना होने दें|| एक बार की बात है। जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उसको अपने खूबसूरत सींगों पर बहुत ही गर्व था। जब भ
Sarbjit sangrurvi
माना कि सीधा सादा, चुस्त चलाक नहीं मैं, ना की कभी किसी से, भुल कर भी होशियारी। रहा हरदम ही, मैं संगरूरवी, अपनी औकात में, नहीं कभी भी भुल कर, बना हंकारी। दिल आया जो भी,लिखा,गाया, जितना हो सका, हमारे हिस्से नहीं आई, कभी भी कोई कलाकारी। कसर कोई ना छोड़ी, सर पे चढ़े कर्ज ने, कुछ मार डाला संगरूरवी, मुझे ला इलाज बिमारी। ना छोड़ी कभी कहीं कमी किसी ने, कोशिश की हरदम मुझे, मिट्टी में मिलाने की, गिर कर चोटें खाई बेशक, मगर कभी हिम्मत नहीं हारी। अब कुछ नहीं संगरूरवी के तन भीतर, चलती फिरती लाश को, दफनाने को करो तैयारी। ©Sarbjit sangrurvi माना कि सीधा सादा, चुस्त चलाक नहीं मैं, ना की कभी किसी से, भुल कर भी होशियारी। रहा हरदम ही, मैं संगरूरवी,अपनी औकात में, नहीं कभी भी भुल कर,ब