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पंकज गुप्ता
सोने की चिड़िया वाले मेरे हिन्दोस्तां में आज हालात कुछ और हैं। हो हिन्दू या मुसलमान अपने गिरेबां में झांके तो बात कुछ और है। ~~पंकज गुप्ता~~ #NojotoQuote तिरंगा #तिरंगा #हिंदुस्तान
Ganesh Shewale
"ऊन मागे राहिलं अन सावली निघून गेली... का..? कुणास ठाऊक... कुणाची प्रार्थना मंजूर झाली...!! :-आम्ही निशब्द झालोय दादा..😒 दादा
Yogita Harne
Happy birthday....... दादा..... कांधे पर बिठाकर,मुझको घुमाया आपके सांये में मैने खुद को महफुस पाया वटवृक्ष जैसे परिवार को जोड़ रखा अपमान काघुंट पिकर भी,अपनापन कभी न कम रखा हाथ आशीष और साथ का सदा हमारे सिर पर रखा.... आज आपके जन्मदिन पर ईश्वर से इतनी प्रार्थना सिर पर आपका हाथ हमारे यूँ ही बनाये रखना आप सामने अब सिर्फ बैठे होते हो घर को घर बनाये रखते हो.... हर मांगलिक प्रसंग अपने घर का आपसे शुरू होता सब कुछ हो जायेगा आपके होने से बल मिलता... दादा
राजेश कुमार बी.जी
बेटे तै पोता प्यारा हो सै प्यार दादे का न्यारा हो सै खुशी निराली दादा की पोते का घर में आणा हो सै हर दादा का सुपणा पोते के लाड लडाणा हो सै उंगली पकड के चाले बिन कद बच्चा तौवला सयाणा हो सै उठले बेटा "कीडी मरगी" नूये दादा का समझाणा हो सै खूब खेल खेलावे दादा चीजो भी खूब खिलावे दादा बैठ कंधे पे आणा जाणा हो सै निराला देखया प्रेम जित वो प्रदेश हरियाणा हो सै दादा
D.M Bhosale
माणसं जाती-जातीत फूट पाडतात माणसं घरा-घरात काडी ओढतात माणसं भावा-भावात वैर पेटवतात माणसं बहिण-भावात भेद करतात माणसं माय-लेकरात वितुष्ट आणतात माणसं बाप-लेकात भांडण लावतात माणसं भावकीत आग भडकावतात माणसं ऑफिसातही वाकडं वागतात माणसं पायात पाय घालतात माणसं अचानक तोंडावर पाडतात माणसं तोंडावर चांगलं बोलतात माणसं पाठीमागे नावं ठेवतात माणसं गरजेला हात पसरतात माणसं गरज संपल्यावर विसरतात माणसं वेळ आल्यावर हसतात माणसं चांगलं झाल्यावर जळतात माणसं खऱ्याला खोटं म्हणतात माणसं खोट्याला खरं मानतात माणसं सरड्यासारखी रंग बदलतात माणसं सापापेक्षा विषारी असतात माणसं चांगलीही असतात कितीतरी माणसं ओळखून घ्या चांगली माणसं ~ दादा भोसले दादा
Jindeshna
काल चक्र जब लेता है, कई हजारों साल। तब जाकर पैदा होता है हुकमचंद सा लाल।। ©Jindeshna दादा
Yogita Harne
घर के आंगन का सबसे वृहद वटवृक्ष गिर ही गया.. छाया में जिसके जीवन गुजारा आज तपती तपिश में हमको छोड़ गया जिसने सांये में बचपन गुजारा जीवन संवारा वो कालचक्र के चलते रथ से थक कर उतर ही गया.. जिसके होने से रोशन था अपना जंहा.. वो जलता दिया न जाने कैसे बुझ ही गया... ईश्वर का बनाया विधान है जो आया वो जायेगा कर्म का पाठ सिखाकर,पर वो रहनुमा चुपके चुपके गुजर गया.. ©Yogita Harne # दादा