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सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
मां विंध्याचल लोकगीत कजरी Trending Poetry कविता Hindi शायरी स्वतंत्र
read moreसिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
हम के झूलवा झुलाव पिया कजरी सुनाव trending Hindi लोकगीत कविता Poetry शायरी स्वतंत्र
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सावन गीत कजरी मां विंध्याचल धाम Trending Hindi Song शायरी स्वतंत्र
read moreकमलेश मिश्र
कजरी ( लोक गीत) हमके जयपुर से चुनरी मंगवा द पिया, गोटा जड़वा द पिया ना, धानी- धानी चुनरी पर गोटा चमकिह, धानी हरी चूड़ी हाथे में खनकिह, हमके सावन क मेला घुमा द पिया गोटा जड़वा द पिया ना | हमके जयपुर से चुनरी मंगवा द पिया, गोटा जड़वा द पिया ना, चुनरी पहिन हम देवघर जइबो, हमके भोले क.. हमके भोले क दर्शन करवा पिया जल चढ़वा द पिया ना देवघर घुमा द पिया ना, धानी मोरी चुनरी, हरी मोरी चूड़ी चुनरी पहिन हम झूलबे झूलनवां, हमके सावन क झूला झूला द पिया गोटा जड़वा द पिया ना|| ©कमलेश मिश्र कजरी.....
कजरी..... #कविता
read moreManish Shrivastava
लोकगीत तोरी कोमल जुवानी, तुतरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || होंठ तोरे लाल-लाल, गोरे थे गाल-गाल | 2 भरी दुपहरिया, नजरयानी | जेठ जमके परो, हो गई भुतरयानी || लगन लगीं देखो, कजरयानी |2 जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || कारे-कारे गुदना परे, गोरे -गोरे गाल पे | कैसी हो गई है, देखो गुदरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज मो.9009247220 ©Manish Shrivastava लोकगीत
लोकगीत #शायरी
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