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अविरल अनुभूति

बदली

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Unsplash एक बार जरा मेरी ओर निहार लेे।
सूरतें बदली अब सीरत संवार लेे।
तेरा अक्स हमनशीं जेहन हूं मैं।
एक बार जरा मुझे भी पुकार लेे।।

©अविरल अनुभूति बदली

Miss Khushi

बहुत अजीब रहा ये साल किसी ने रंग बदला, किसी ने स्वभाव, किसी ने पसंद बदली, और किसी ने मुझे ही बदल दिया.

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बहुत अजीब रहा ये साल
 
           किसी ने रंग बदला, 
           किसी ने स्वभाव, 
किसी ने पसंद बदली, और  किसी ने 
          मुझे ही बदल दिया..
               ❤️💯

©Miss Khushi बहुत अजीब रहा ये साल
 
           किसी ने रंग बदला, 
           किसी ने स्वभाव, 
किसी ने पसंद बदली, और  किसी ने 
          मुझे ही बदल दिया.

Dalip Kumar 'Deep'

करवट न बदली रात भर😄💒💕💕✍🏿📚 Good morning 🌿☕☕🌿 चलिये सैर पर चलते हैं,🌹🌹

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Dalip Kumar 'Deep'

बदली न शाम 🌿☕☕ शुभ संध्या✍🏿🌹 Good 💒💕💕evening 💕

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बेजुबान शायर shivkumar

! ! *भाई दूज* ! ! भाई दूज यानी की... भाई बहन के प्यार का अटूट #बंधन है । वन को भी #महका दे जैसे पावन वो चंदन है । इस दिन बहन भाई की आरत

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White 

! ! *भाई दूज* ! !

भाई दूज यानी की... 
भाई बहन के प्यार का अटूट बंधन है ।
वन को भी महका दे जैसे पावन वो चंदन है ।
इस दिन बहन भाई की आरती कर खिलाती है मिठाई को ।

भाई को तिलक लगाकर सलामत करती है ये दुहाई ।
सुना है यमराज एक दिन... 
अपने बहन‌ से मिलने उनके घर गए थे ।
तब इनकी बहन यामी ने...

यमराज की आरती कर खिलाई थी वो मिठाई ।
तिलक लगाकर सलामतक की करी थी ये दुहाई ।
तब से ही चला आ रहा ये रिवाज़ ।
आज भी दुनिया दे रही इसका इस्बात ।

मेरी ज़िन्दगी भी बड़ी ही निराली है।
ज़िन्दगी में कुछ इस तरह छाई है कुछ बदली काली ।
* बाबू * ये सच है के मैं घर का इकलौता बेटा नही हूं ।
इस भाई बहन के प्यार से मै बहुत बेगाना हूं ।






*आप सभी भाई बहन को भाई दूज की बधाई *

©बेजुबान शायर shivkumar ! ! *भाई दूज* ! !

भाई दूज यानी की... 
भाई बहन के प्यार का अटूट #बंधन  है ।
वन को भी #महका  दे जैसे पावन वो चंदन है ।
इस दिन बहन भाई की #आरत

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना शीर्षक चन्द्रः न नियतः . . विधा मन के भाव भाषा शैली संस्कृत स्वलिखित रचना हिन्दी अनुवाद सहित

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