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Mohit Kumar Goyal
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है, जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना " 😍 ©Mohit Kumar Goyal मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है, जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना " 😍
SumitGaurav2005
Divya Joshi
vishwadeepak
कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। जो सही लगता है वो गलत हो जाता है और जो गलत लगता है वो सही हो जाता है। बड़ी कशमकश जिंदगी चल रही है। कोई भी काम समय रहते नहीं हो पा रहा है इसके लिए चाहे मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ। एक साधारण काम भी होता है तो वो भी सीधे तरीके से और कम समय में नहीं हो पाता है। जिस कारण मैं बहुत व्यथित रहता हूँ। मैं क्या करूं, अकेला सा महसूस होता है। कोई आसपास नजर नहीं आता है। बस एक ख्याल खुद को मिटा लेने का जोकि मैं जानता हूँ गलत है फिर भी दिमाग में बार बार कौंध जाता है। ऐसा लगता है मानो अभी सब खत्म हो जाए। पर जिम्मेदारियां आकर मुझे बचा लेती हैं। बस यही जिम्मेदारी ही मुझे जीने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, लेकिन मेरे लिए ये घातक सिद्ध होती हैं। मैं सबको खुश नहीं रख सकता। मैंने तो अपनी ही खुशी गवां दी है। क्या करूँ जिससे सब कुछ सही हो जाए। क्या कोई मुझसे आकर कहेगा कि तुम परेशान मत हो, तुम्हारे सब काम बन जाएंगे, तुम्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्या कोई है?? क्या मैंने ऐसे कुछ अच्छे कर्म किए हैं जिससे मुझे अब सुख की अनुभूति हो सकती है?? मेरे बहुत से प्रश्न हैं जिनका उत्तर देने वाला कोई है या कोई आएगा?? मैं जिस दर्द से गुजर रहा हूँ उसे सुनने समझने वाला कोई है?? मुझे लगता है ये सभी सवाल जिंदगी भर मेरे लिए सवाल बनकर ही रह जाएंगे। क्योंकि सामने अंधकार सा है, कोई रास्ता ऐसा नहीं दिखता जिससे होकर मैं सुरक्षित निकल सकूँ। सबका कोई न कोई गॉड फादर होता है लेकिन मेरा कोई नहीं। सब धोखा और फरेब करने आते हैं मेरे साथ। कोई मेरे साथ खड़ा होने वाला नहीं है। जो हैं भी वो खुद से मजबूर रहते हैं। तो ऐसा साथ भी किस काम का। अगर मजबूरी है तो फिर साथ न करो या साथ करो तो अपनी मजबूरी न देखो। नहीं तो मैं भी मजबूर हूँ सभी के लिए। जिंदगी के उनतालीस वर्ष के नजदीक पहुंच चुका हूँ और जल्द ही चालीस भी हो ही जायेंगे। बहुत समय पीछे निकल गया है, जो कभी वापस नहीं आएगा। इसमें किसकी गलती दूँ, दूसरों की या खुद को?? मुझे समझदार होने में बहुत समय लग गया। समझदारी आते आते मैंने बहुत सी चीज़े पीछे ही छोड़ दीं। तो अब मुझे लगता है समझदार होने का क्या फायदा, जब सबकुछ ही हांथों से होते हुए, सामने से निकल गया है। खैर इसे ही मैं अपनी जिंदगी मानता हूँ। क्योंकि सबकी जिंदगी एक सी नहीं होती है, कुछ किस्मत भी होनी चाहिए। और मेरी किस्मत में कुछ लिखा ही नहीं गया है शायद। काटनी तो है ही, क्योंकि मुझ जैसे लोग और भी होंगे जो आकर चले गए। मेरा भी समय पूरा होते ही, मैं भी यूँ ही चला जाऊँगा। ©Deepak Chaurasia #कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। जो सही लगता है वो गलत हो जाता है और जो गलत लगता है वो सही हो जाता है। बड़ी कशमकश जिंदगी चल रही है।
Purna
Nik Katara
इन टहनियों सी उलझी कशमकश जो है मन में, उन्हें तने सा सीधा करना है मुझे, और कोशिश करता हूं तुम्हें खुश रख सकूं, किसी और को खुश करके क्या करना है मुझे, खुश इतना करना है कि तुम पिघल कर दरिया हो जाओ, औेर उस मोहब्बत के दरिया में तैरना है मुझे, आँखे झील सी है उसे झील ही रहने दो उसे समंदर न बनाओ , समंदर निगल जाएगा झील को, इस में खुद से डूबना है मुझे, शिकायतें है अभी बहुत मगर सुनो मेरी जान, किसीने न किया तुमसे ऐसा प्यार करना है मुझे। ©Nik Katara इन टहनियों सी उलझी कशमकश जो है मन में, उन्हें तने सा सीधा करना है मुझे, और कोशिश करता हूं तुम्हें खुश रख सकूं, किसी और को खुश करके क्या करना
_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay
जो चाहो उसे कह नहीं पाना जो पाओ उसे चाह नहीं पाना यही कशमकश तो जिंदगी है.... ©वंदना उपाध्याय कशमकश वंदना उपाध्याय
Parastish