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Parasram Arora
हमारी समस्याओ का जन्मस्थान हमारा परिवार या हमारा दफ्तर नहीं बल्कि हमारा ये मन ही हैँ हमारा ये मन जिसे रखा अद्भुत उपकरण क़े रूप मे काम करना था वह नालायक उपकरण बन गया हैँ मनचाही सौगाते देने वाला ये साधन पीड़ा पहुंचाने वाला बन गया हैँ और हम इस मन क़े हाथों की कठपुतली बन कर रह गये हैँ मन यांने एक नालायक उपकरण
मन यांने एक नालायक उपकरण
read moretwisha ray
और फिर सकारात्मक चीजों ने मुझे बाधाओं से बाहर कर दिया, आज भी जीवन सुचारू है। ©twisha ray अवसर और बाधाएँ जीवन के उपकरण हैं। #lifethoughts #positive_vibes #keep_supporting
अवसर और बाधाएँ जीवन के उपकरण हैं। #lifethoughts #positive_vibes #keep_supporting
read morePushpendra Pankaj
लिखो सदा प्रत्यक्ष लिखो, बंधकर नहीं ,निष्पक्ष लिखो । लोकतंत्र के हम सब प्रहरी, खुलकर अपना पक्ष लिखो ।। पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन
निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन #कविता
read moreGurudeen Verma
शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
Manmohan Dheer
कोई शब्द वर्जित नही मेरे लिए मैं भाषा को भाषा ही देखता हूँ उपजा प्रयोग हो रहा है प्रचलित अपने लेखन में स्थान देखता हूँ वैसे भी व्याख्या तो तुम ही करोगे मैं तो स्वयं को संवाहक देखता हूँ निर्लज्ज नही चूंकि उत्पादक नही मैं लेखन में भाषा ही देखता हूँ समाज है दोषी जो वर्जित हुए वे मैं तो बस उनमें अर्थ देखता हूँ . धीर लेखन
लेखन
read moreRameshwar Yadav
मैं गैरों से जीतकर एक अपनो से हार गया लगा जैसे मैं अपने सपनों से ही हार गया बहुत गुरुर था मुझे उसके होने का जिसकी बातें मुझे अंदर से मार गई लेखन
लेखन
read moreAbhit khudarvi
#OpenPoetry बात वही है लिखने में बस आप डिक्शनरी से लिख के तीन को सात बना देते है ओर हम हालातो से लिख के शब्द को भी ज़ज़्बात बना देते है। #लेखन
Manmohan Dheer
घटनाएं ही लेखन का मूल हैं स्मृतियों के लिए भी आवश्यक मन का सोचा कहाँ होता है पूरा सो अच्छा बुरा है लेखन भी पहले व्युत्क्रम नही होता था लेखन घटनाओं पर होता था कल्पनाओं के बादल नही यहां सक्रिय प्रदर्शन होता है यथार्थ कलम दौड़ती नियंत्रण में अंधी बन जाने क्या क्या लिख जाती है अपना बच्चा सबसे प्यारा लेखक का भी यही मूल है लेखन अच्छा बुरा नही होता है होता है यथार्थ या वीभत्स कल्पना . . धीर लेखन
लेखन
read moreMohan Sardarshahari
लिखता तो इसलिए हूं कि दिल में हर चीज छुपाना संभव नहीं वरना कलम-कोपी कोई चंदन का पेड़ और मैं भी कोई भुजंग नहीं।। ©Mohan Sardarshahari # लेखन
# लेखन #प्रेरक
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